Friday, 14 October 2011

हमीं  से  है  प्रश्न  और  हमीं  से  समाधान  चाहते  हैं  !
अच्छे  खुदा  के  बन्दे  हैं  , जमीं  भी  और  आसमान  साथ  चाहते  हैं  !!

करते  हैं  जो ,  खुदा  के  लिए   ,  हम , जिंदगी  के  तमाशाई  हैं  !
मालूम  है  मुझे   सिर्फ   इतना  ,  तू  है  ,  बाकी  तेरी  रहनुमाई  है  !!

जानते   हैं  वो  भी  ,  सच  क्या  है ,  मनाना   हमें   ,  जानते   हैं  ,  मगर  मानते  नहीं  !
मेरी  रुसवाई  को  वहम   माने   ,  वहम   है  नहीं  ,  जानते   हैं   , मगर  मानते  नहीं !!


हज़ारों हाथ उठते हैं , दुआ के लिए ! मैं मौत से पहले , मरने वाला नहीं !!
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वहां जाता हूँ , जहां नज़र नहीं जाती ! जहां जाता हूँ , नज़र वहीँ आता हूँ !!
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सामान है , आधे से जयादा टूटा ! हसरत है हिमाला चढ़ जाऊं !!

खींच लाऊँ सागर को धरती पर , पानी सारा हमारा पीता है ! .....
खींचे तू क्या , मैं ही आता हूँ ? रहता है वहीँ , जगह , जो मैंने बख्शी है !!
और इसी बीच सुनामी आ गयी ...................................

धू धू धधकती दोपहरी में जैसे , बदरिया बरसात की लहरा गयी हो ,
छांह ऐसी दिलों में , बन के छा गयी हो , मन को शरद सा शीतल कर गयी हो ,
ये कौन है जगत में , जो कर जाए ऐसे , शायद तेरी माँ हो , या फिर मेरी माँ हो !!


आधे   अधूरे  से  ,  ख्वाबों   के  सहारे  ,
मैं   तैरता   रहा  ,  पार   करता  रहा  ,
नदी   नाले  ,  समंदर ,  आसमां  दो  जहाँ  के ,
उतरा  जो  नीचे  ,  जमीं  भी  नहीं  थी  ,
आसमां  भी  पड़ा   था  ,  हो  के  टुकड़े - टुकड़े  !
ये  ख्वाबों  की  दुनियां  ,  है  ऐसी  ही   दुनियां  ,
जियो  तो  जियो  ,
जिंदगी  के  सहारे  ,  बंदगी  के  सहारे  !!


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