खाने में आये कंकर ,या जाए कओवा बीठ !
समझाना अपने दिल को , मैं यहीं कहीं पे हूँ !!
तेरा आना और जाना दोनों गजब के थे !
ना आते पता लगा , ना जाते हवा लगी !!
दामन में दाग चस्पां हैं , तेरे भी ,मेरे भी !
जनता को महज बहलाओ ,एक तू दे , एक मैं दूँ , गाली ,
बराबर हुई !!
काशी में हो काबा , काबे में हो काशी !
तब भी चलन बदलेगा क्या ? मेरे जनाब का ?
आहटों के समुंदर ने , घेरा हुआ मुझे !
जानू भी तो कैसे , तेरी आमद हुई ?
साकी नीम घोल दे मेरी शराब में !
जायका है थोड़ा बिगरा हुआ ,दिल और दिमाग का !!
चाँद को , दिवस निकलते देखा है , सूरज को , निशा दिखाओ , तब जाने !
आशा की निराशा , देखी है , निराशा की हताशा ? दिखाओ तब जाने !!
राधे राधे करता जा , जो मिलता है खाता जा !
यहाँ कौन सा कैग का औडिट ? किसको पता , कितना है प्रोफिट ?
स्टिंग भी हुआ , तो क्या है ? हमें संवैधानिक इम्मुनिटी है !
बस्तियां भी हैरान हैं ,मेरे , हौसले की बुलंदी पर !
कहाँ चोरों के बीच , घर अपना बसाया है !!
और चोरों ने है , शोर इतना मचाया , स्वागत करो ,
एक भाई अपना और आया है !!
शहनाई पे ना दर्द भरी धुन छेरो , मैं पहले ही उदास बहुत हूँ !
धीरे धीरे खिसक रहे सुपुत , और कुपुतों से भंडार भरा है !!
TIGER PATAUDI A LEGEND , SLIPPED UNDER THE COVER (THE FIELD POSITION IN WITCH HE WAS THE BEST) TO REST IN THE GRAVE , AFTER DOING COLOURS FOR INDIA AND CRICKET . MOTHER INDIA IS PROUD OF SUCH A SON . MAY GOD BLESS THE FAMILY TO BEAR THE LOSS ……………………………………FROM A HARDENED FAN.
लाली सुबह की शाम को वापिस करे कोई !
चाहता हूँ जादूगर मुझे एसा मिले कोई !!
दिल और दिमाग दोनों में है , गप शप चली हुई !
जय से नहीं ज्यादा येडा औ मूरख यहाँ कोई !!
चलो अगले जनम के लिए भी दोनों , समझौता करलें यार !
जगहें बदल के हमलोग , कर लें इसी से प्यार !!
सुनता हूँ आहटें ,शहर की , जंगलों में आ गयी हैं !
शेर , भालू औ भेरियों की चाहतें बदल गयी हैं !!
खाने में सोना चांदी , और रहने को कोठी शाही !
चमचों की वह वाही से , अजब रंगीनिया हो गयी हैं !!
या - रब ! बख्शना दिल को , खौफ से मेरे ! कोसता हूँ जब भी खता होती है कोई !!
धैर्य धर , धरनी के पूत , नीके दिन आवेंगे !
चला चली के इस मेले में , कित आवेंगे कित जावेंगे !!
आज अन्तरिक्ष में , कल पाताल में ,
सब आते हैं , सब जाते हैं !
प्राण गंवा कर , बन आत्महंता ,
क्या पक्ष अपना रख पावेंगे ?
स……………ब अच्छे हैं , मेरे पास सब अच्छाई छोर के जाते हैं .
बुराई मेरी भी बहा ले जाते हैं , सब अच्छे हैं !!
पीपल ने बरगद से पूछा उदास क्यों है ? दाढ़ी भी बढ़ा ली है !........
बरगद बोला अब कोई हमारी छाया में नहीं बैठता , चौपालें भी नहीं
लगती . रोज नै कहानियाँ सुनने को मिलती थीं , सबसे छुट्टी हो गयी .
दाढ़ी तो मैं कभी बनाता ही नहीं था , जब वो एक दूसरे की नोछाते थे ,
मेरी भी नुच जाती थी . आह …………………………… पर अब सब बदल गया है ?
शाम , शाम से पहले तो ना आती होगी ?
खड़ा हुआ हूँ सुबह से इंतज़ार में !!
छेरता हूँ दर्द के तराने नए नए !
बांसुरी के पोर की , पीड़ा लिए हुये !!
रेखाएं मेरे हाथों में , थोड़ी सी फर्क हैं !
एक में जिंदगी है , दूजे में मौज है !!
जिसे छोरता हूँ , आता है पीछे , पीछे !
जिसे जोड़ता हूँ , भाग जाता है ?
माधव तुम्हारी मिट्टी ने ये क्या कर दिया ?
कहीं पैदा किया कंस , कहीं रावण , घड़ दिया !!
तेरा सामान , घर के बाहर , रक् …खा है ,
मुझे आवाज न देना , परेशान हूँ मैं !
कोई तस्वीर शायद बन जाए , रुख मेरा है ,
वीरानों की ओर !!
मेरी तमन्ना देख ! उड़ना चाहता हूँ आसमानों में !!
औ मेरी परेशानी देख !
जकरा हुआ हूँ , दलदलों में , गुनाहों में !!
हो न जाए नाशाद , कोई राहों में ,
सर झुकाए , रफ्ता - रफ्ता , चले चलता हूँ !
बच के रहना तुम भी ,मेरी रवानी से ,
छू जाए हवा भी तो , उलझ पड़ता हूँ !!
कोई इस जहां से , उस जहां को मिलवा दे !
मेरा सनम , मुझको देख , हैराँ तो हो !!
धुंध में उभर आयी है , शक्ल मेरी !
कोई है ?
ठहरादो पुरवाई को !!
उकेरून कोई रंग , तितलियों से !
रोको , मेरी रुसवाई को !!
वादा - खिलाफी न , कोई हो जाए !
मिलने को कहा था सौदाई को !!
डर रहा हूँ , सर -ए-राह चलते हुए !
दी हुई मेरी गाली अब जवान हुई !!
घायल तो हुवा होगा कोई , उस जमाने में !
बख्शेगा क्यों अब , लौटाते हुए !!
घबरा के भगवान् ने इक दिन ,
पूछा मेरे कान में आकर !
पड़ा पीछे क्यों मेरे ?
बोला मैं , भले -मानुस ,
दुःख दो चार और दे देता !
पीछे पड़ता क्या तेरे ,
घर में घुसने नहीं देता !!
जला के दिल उसने मेरा , रोशनी घर में कर ली है !
हमीं से पूछता है फिर , उजाला कैसा , कैसा है !!
आधे अधूरे श्याम को , राधा बना डाला !
ये तेरा है जमाल , औ , कमाल भी तेरा ,
तेरे हाथ में मिटटी , तेरे हाथ में गारा ,
कूची रंग भर देगी , जब चाहे , जो , बना डाले ,
कभी राधा बना डाले , कभी श्याम बना डाला !!
समुदर लाख कोशिश करे , हिमालय हो नहीं सकता !
हिमालय , चाह कर भी , समुंदर छू नहीं सकता !!
गहराई अपनी जगह जचती , ऊँचाई अपनी जगह सोहे !!
किनारे , थपेड़ते हर बार , लहर को !
समुंदर थाम लेता है !!
जिंदगी ठुकुराई हुयी को , जैसे !
जनाज़ा , साम्भ लेता है !!
रोज इक नयी परेशानी , ढूँढता हूँ ?
आनी तो है ही , पहचानी ढूँढता हूँ !
ऐसे की जैसे , कविताओं के ढेर में ,
कहानी पुरानी कोई ढूँढता हूँ !!
जिंदगी में लाख पचड़े हों ,
पर है हसीं दुल्हन सी !
ढूँढता भगवान् भी ,
आने को इक ,
नया बहाना है !!
उम्मीद कतरा कतरा हुई ,
रंग बिखर गए सारे ,
फिजायें नउम हुई ,
अश्कों से तर गए सारे ,
हार मानी किसी ने , जीवन से ,
जी जाते तो जीत भी जाते !!
हवाओं में गंध पहचानी सी है ,
मन का हर छोर , गुदगुदाया है !
या तो टूटा है कोई , इत्तर का बाम ,
या कोई साथी मुस्कुराया है !!
समुंदर है के थकता ही नहीं , उछाल - उछाल के लहरों को ,
लहरें हैं के पागल हुई जाती हैं , अठखेलियाँ करती हैं ,
खिलखिलाती हैं ,
मछलियों से दौड़ लगाती हैं ,
स्वयं पे इठलाती हुई , फिर समुंदर में पिघल जाती हैं ,
जीवन की तरह .
समुंदर है के फिर नयी लहर उछाल देता है ,
समुन्द्र है के थकता ही नहीं !!
औंधा कुआँ , औंधी खोपड़ी ,औंधा तवा , औंधा दवात ,
सब झेले जाते हैं !
नहीं झेला जाता है तो , औंधा पूत ,औंधा पति ,औंधा दामाद ,
औंधा ऑफिसर , और औंधा नेता !!
हम चौंकते हैं आज ,मगर सिंघासन और ताज ,
सदा खून से रंगे हैं !
नींव में इनकी , निरपराधों ,बेजुबानों , बेसहारों के ,
पिन्ज्जर सजे हैं !!
मरघट पे है आज , क़यामत की रौनक !
लगता है के किसी , भ्रष्टाचारी की विदाई है !!
मरघट पे मुर्दनी सी क्यों छाई है ?
ईमान ही मरा है , क़यामत तो नहीं आई ?
चन्द आँखों को खटकता था ,
होना , मेरा , ख़्वाबों में शरीक ,
आँखों में शहद डाला के ये बंद ना हों !!
आधी शरारत , आधी बचकानी थी , हरकत मेरी ,
फिर भी क्योंकर , गुनाह मुआफ हुआ , हैरान हूँ मैं !!
आभ्यांतर में चलने दे , ये उथल पुथल है अविनाशी की ,
राग द्वेष को जलने दे !
मत घबरा तू इस उबाल से , इस लाली से , इस मलाल से ,
ये ह्रदय की अन्त्तर ऊष्मा है , चार दिनों में शीतल होगी ,
फिर उकेरेंगी नए परिवर्तन , रत्न जडित होंगे सब दर्पण ,
मेरा भारत फिर उज्लायेगा ,नयी छवि फिर दिखलायेगा ,
नयी छवि फिर दिखलायेगा !!
मन साझा कौन करे ? मन में बैठा झूठा दुम्भ ,
मैं ऊंचा और जग नीचा ,
जग झूठा और मैं सच्चा ,
लाख मनाऊँ मन ना माने ,
तो मन साझा कौन करे ?
फिरूं मैं मन के अंधियारों मैं ,
कोई तो मुझको , बतियाने दे ,
मेरे दुम्भ को मिमियाने दे ,
दो दिन मैं तो मरना ही है ,
यम खूंटे से बंधा परा हूँ ,
दो दिन में तो जरना ही है ?
पर मन साझा कौन करे , पर मन साझा कौन करे !!
प्रिय पाहुने हुए , पाँव धुलाती रही ,
अश्रु बहाती रही , खुशियों नहाती रही !
प्रिय पाहुने हुए ,प्रिय पाहुने हुए !!
दर्द भूली विरह का , भूली रातों का जगना ,
उठाके आँखों का तकना ,
भूली भूख का बिसरना ,
बिना बात के झुन्झ्लना , पर सखी ,
आज पिया पाहुने हुए , पिया पाहुने हुए !!
हाँ मैंने खायी भंग , मुझे बस दो दिखते है ,
एक दिखे बलम , दूजे सनम दिखते हैं !!
चलो हम एक हो जाएँ पहले ,
खुदाओं को समझ होगी ,तो ,
वो भी एक हो जायेंगे .
कौन रखवाला है , भगवानो का , सिवा भक्तों के ,
समुंदर भी किनारा मांगता है , किनारों से !!
मन करता है बारिश से , स्टेचू –स्टेचू , खेलूँ .
बरसती बूंदों को , थम बोल दूं . फिर थमी बूंदों की तारों से ,
झंकार निकालूँ सितार सी . कुछ बूंदों को लटका रहने दूं ,
कुछ को झटका दूं . मर्जी से कभी बोलूँ बरस , कभी फिर
थम बोल दूं .
क्या आओगे तुम मेरे साथ ? खेलोगे तुम भी खेल अजीब ?
भूलोगे तुम भी उंच नीच ? मन मेरे को बरसाओगे ?
बोलो हाँ ? के बोलो ना !!
मैं हज़ारों बरस , चलता रहा , चलता रहा ,
मौसमों के थपेड़े सहे , नित नयी लड़ाई लड़ी ,
भूखा रहा , प्यासा रहा , दुनियां भर का नेता बनने का ख्वाब ,
मन में संजोये , नेताओं की कहानियाँ सुनता रहा .
पर अब मैं झूटी कहानियाँ सुनते –सुनते , जड़ हो गया हूँ ,
बरगद की तरह कई असली नकली जडें जमीन में धंस गयी हैं .
मैं हिन्दोस्तान का ईमान हूँ ,
कैदी की तरह जीते हुए मरणासन्न खड़ा हूँ !!
हवाएं आयें जाएँ , समुन्दरों से पर्वतों तक , मेरा घर न हुआ ,
कोयलें कुहू कुहू पुकारें , मेरा घर न हुआ , सदायें सह्सहायें ,
घरोंदों से वीरानो तक , मेरा घर न हुआ , बस्तियां रो रो पुकारें मेरा घर न हुआ ,अंधेरों से रौशनी हर रात छिने ,
बोले दीवारों से , ये घर किसी का न हुआ , न हुआ , न हुआ , न हुआ , न हुआ !!
अंधेरों का कायल हूँ मैं , मुझे खुद से मिला देते हैं ,
खुद से डरा देते हैं !
अक्स मेरा साफ़ नजर आता है , कालिख में , उजाले तो उन्हें भुला देते हैं !!
हाथ आँखों पे रक्खूं , कानो से दिखाई देता है ,
बहकाया है यादों ने तेरी , दीदारे मयखाने तक !!
हुम्जुबानो को है दोष इतना , समझा ………….समझा तो वो ,
इशारा न हुआ !!
मैं किनारा , मंजिल से , कर ही गया था !
तुमने थामा , और तस्वीर मुकम्मल हो गयी !!
जलाया इस कदर तुमने आज ,
हाथ जाम तलक , मुश्किल से आया है !
है साकी भी हैरानो परीशां ,
के मयखाना ये किसने रुलाया है !!
फिर फिर आ जाती हैं , दुआएं घूम के वापिस मेरी !
लगता है आज कोई फिर रूठ गया मुझसे ,
मेरा खुदा क्यों संगदिल आज हुआ , क्यों हवाएं गिला करती हैं मुझसे !!
INDIA HAS GHARAANA CULTURE . MAY IT BE MUSIC , CINEMA , ARTS,
BUSINESS , DOCTORS , ENGG. TEACHERS , BHAIS , AND NOW POLITITIANS .
ANYONE WHO WANTS TO BREAK IT SHOULD HAVE SINGLE TARGET IN MIND ,
FISH EYE . LIKE ARJUN , OR HE WILL BE MAULD DOWN LIKE ABHIMANYU ,
BY ALL GHARAANAS COLLACTIVELY , EVEN IF HE IS GIFTED IN THE WOMB .
BHAGWAAN NE KURSI KI JAAT BHI KYA JAAT BANAAYI HAI ?
BAITHNE WAALA TO KHOOB AANAND KARTA HAI .
USKI BHOOKH HI NAHIN MITATI . KURSI KA TO SAARA DIN SAR GHUTATA
RAHTA HAI , UPER SE BADBOO KE MAARE BURA HAAL HO JAATA HAI.
TAANE SUNO ALAG SE , SAARA KASOOR KURSI KA HAI ? KURSI TO BARON BARON
KA DIMAAG KHARAAB KAR DETI HAI , AUR JO EK BAAR BAITH JAATA HAI,
KURSI CHHORTA HI NAHIN . BHAGWAAN KARE AGLE JANAM KOYI KURSI NA BANE !!
ऐनक पूछे आखों से मुझमे तुझमे फुरक है क्या ?
तुम भी माध्यम मैं भी माध्यम ,मन देखे तो दिखता है ,
इसमें इतना इठलाना क्या ?
आँखें बोलीं हम गड्ढे में रहकर भी ,
पहरा देती घूम घूमकर , दुःख में भी और सुख में भी .
तुम बैठी हो नाक पर ऊंचे , फिर भी चैन नहीं आया ,
नेताओं जैसी भाषा में दोष मुझीपर लगाया ?
मैं झूटी नहीं , मक्कार नहीं , तेरे जैसी चाटुकार नहीं , इसी लिए घबराती नहीं , शर्माती नहीं , इतराती हूँ !!
चलो चांदनी में , घूम आयें , किश्तियों में !
चलो चांदनी में , बर्फ के गोले बनाएं , पर्वतों में !!
चलो चांदनी में , सीपियाँ ढूंढें , समुन्दरों में !
चलो चांदनी में , घर बनाएं , रेतियों में !!
चलो जल्दी करो , जल्दी करो , चाँद छुप न जाए बद्लिओं में !!
आसमान लाल , और धरा होती नीली ? हवा में बहता पानी ,
समुंदर होता फानी ? आग का होता दरिया , पानी के होते पैर ?
पैसा बहता दिल में , सड़क पर चलती रेल !
तो क्या नज़ारा होता ?
मित्तरां दे मेले च , कानू पाया खौलर ,
मैनू ढोल बजावन दे ,
तैनू पीनी दारु , पीले बुक ला के ,
मैनू बोलियाँ पावन दे !!
दूरी से मनभावन के भी अर्थ अनर्थ हो जाते हैं !
कोई कहना चाहे समर्थ हो ,
अर्थ समार्ट हहो , हो जाते हैं !!
ऐसे में सुनने परे अपशब्द ? सुन लीजे !
दूरी है , दूरी का निवारण क्या कीजे !!
ज्ञान ध्यान नहीं मुझमे कोई , सदा शरण में लेना माँ !
अक्षम्य हो अपराध कोई तो , क्षमादान मुझे देना माँ !!
चितेरे चितवन के बहुतेरे , मेरा मनवा कारा ,
राधा ढूँढता हूँ !
कृष्ण कन्हाई , श्याम श्याम , मधुशाला ढूंढता हूँ !
चढ़ूँ पीके मन कालिया पर ,
मर्दन कर दूं अहम नाग का , ऐसा मादक मदन ढूढता हूँ !!
DHAIRYA DHAR , DHARNI KE POOT , NEEKE DIN AAWENGE !
CHALA CHALI KE IS MELE MEIN , KIT AAWENGE , KIT LAAWENGE !!
AAJ ANTRIKSHA MEIN , KAL PATAAL MEIN , SAB AATE HAIN JAATE HAIN !
PRAAN GANWAA KAR BUN ATMHUNTAA , KYA PAKSHA (APNA ) RAKH PAAYENGE !!
मैं बेक्टेरिया हूँ . आसमान में पानी की बूँद में घुस गया हूँ !
वाह ! क्या मज़ा आ रहा है , ऐसे गिर रहा हूँ जैसे , डिसकवरी में
अन्तरिक्ष की यात्रा करने के बाद , वापसी में समुंदर में गिरने जा
रहा हूँ . हवाएं सिर्फ बूँद को थोड़ा गर्म कर पा रही हैं ,
मैं सुरक्षित हूँ . बस अब धरती मिल जाए , फिर देखते हैं भोजन का
क्या इंतजाम होगा ?
झूम झूम के नाचो आज , आज मेरे यार की …………..? कुछ नहीं है .
बस यूँही बरसात में परनाले के नीचे नहाने का मन है .बाहिर बहुत दिनों बाद बिलासपुर में बारिश हो रही है , कीचर में फूटबाल खेलने
का किसका मन नहीं करेगा ? BUT ALAS ! इस ढलती उमर में ? सब अमिताभ
थोड़ी हैं ? धन्य हो अमिताभ इस उमर में होलीवूड ? हमें क्या पता
था बुड्ढा सच ही बोल रहा था , बुड्ढा होगा तेरा ……………………………….
बोल वचन अनमोल रे झींगुर , झिन , झिन क्या करता है ,
निकले शब्दों से कुछ अर्थ , तो ही मन हरता है !!
झींगुर बोला शब्द भी मेरे , बोली मेरी , सुनता जा रे ,
बोल मधुर मानवता से बोल , तभी मन हरता है !!
मेरी बोली क्या समझेगा , जिसे अपनी समझ नहीं आई ,
मानवता ढूंढे , रंग , धर्म में , देता न कुछ दिखलाई !!
मेरा माही गरबरझाला , मेनू तकिया करे ,
छिलके खावे अप्पी , केलेयाँ नु सुटिया करे !
मेरा माही झल्लावल्ला , राखी करया करे ,
मेनू मारे डंडे , बैलां नु हकिया करे !!
मेरा माही रान्झावंझा , मेय्थों पर्दा करे ,
खेतां च पावे भंगरा ते , तीमियां च नचदा फिरे !!
चाँद तो साझा है , दिन और रात का ,
दोनों को बचाए रखता है !
सूरज को साझा कौन करे ,
दिन को संजोये रखता है !!
सांझ से पहले घर आउंगी कहके , छाँव ,
सुबह की निकली , आई न अब तक ? मैं ,
चाँद , हाथ में लिए , खरा दरवाजे पर ,
सूरज के साथ , चली जाने कहाँ तलक ?
न सिखाओ छलना , ज़माने के साथ चलना ,
मो पे रहम करो ललना , मैं छवि तुम्हारी हूँ !
तुम बच के निकल जाओगे , मन में छुप जाओगे ,
मुझे रोज है निकलना , बुद्धि तुम्हारी हूँ !
जाने कौन जीता , कौन जाने हारा ,
ये रोज का है यक्ष प्रश्न ,
स्वयं का स्वयं से ,
मैं बुद्धि तुम्हारी हूँ , बुद्धि तुम्हारी हूँ !!
AAM KI AMRAYI MEIN , KOYAL KE SWAR GOONJE ,
BAURAADO PEDON KO , PHAL MEETHE KAROONGI , MAN MEETHE KAROONGI !
TUM CHIDAAO MUJHE JITNAA , SWAR TEJ HI HONGE ?
SHAHAD UNME GHULEGA , RAS UNME BHAREGA ,
PREYASI NA TUMHAARI HUN , KUCHH KARWA KAHUNGI ‘
PHAL MEETHE KAROONGI , AUR MAN MEETHE KAROONGI !!
KESAR LIYA PHOOLON SE , AUR SOORAJ PE PHENK DIYA ,
KUCHH PARA SOORYA KE MUKH PAR , AUR KUCHH KHETAL MEIN BIKHAR GAYA !
BURF KA GOLA CHANDA PE PHEINKA , KUCHH THAAMA MAMA NE ,
AUR NUBH MEIN SHESH TITAR GAYA !
JO BIKHRA RANG KESAR KA , AUR , BURF KA GOLA TUTA THA ,
PATA CHALA HAI AB JAKAR , VO SAB TAARON NE LOOTA THA !!
BLACKHOLE DEKH YE TAARA MUJHE CHHED RAHAA HAI . PATAA NAHIN KAUN SI
GALAXY SE AAYA HAI , ISKI MAAN BAHAN BHI HAI KOYI KAUN JAANE ? ABHI ABHI ISNE MERI HYDROGEN KI CHUNARIYA CHHEEN LEE AUR PAANI PAANI KAR DI APNI
OXYGEN SE ! BARI MUSHKIL MEIN PAR GAYI THEE . DHERON SULPHUR DIOXIDE CHHORI
TAB JAAKE PEECHHA CHURAAYA . YAHAAN KOYI KAAYDA KAANOON HAI KE NAHIN ?
ISE TU APNE AARAKSHAN MEIN LELEY AUR ISKI LUTIYA DUBO DE . ISKO AISEY
NICHOR ISKI LIGHT BHI BAHAR NA NIKLE , PAAJI KAHIN KA ! SUN RAHE HO NA
BLACKHOOOOOOLE ?......................................................
YE KAUN HAI JO DE RAHAA HAI , AAVAAJ BAAR BAAR ,
MUJHE THODI DER AUR , APNE SAATH RAHNE DO !
MAIN CHALAA HUN VAN MEIN , MAN KE ,
MAN KE , PASHU CHARAANE ,
THORI AUR DER MUJHKO , GAWAALA BAN-NE DO !
GHAAS MAN KA MAIL , AUR PASHU ATMA-BODH ,
DAND AATMPAREEKSHA , THODI AUR KARNE DO !! YE KAUN HAI …………………………………….
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