ग़म के साथ ग़म के घर एक शाम
कल अचानक किसी ने मेरे कंधे पर हाथ रख दिया तो मैं चौंक गया ! पीछे मुड़ के देखा तो ग़म था ! बोला यार बड़े दिन से मिले नहीं , कहाँ चले गये थे ! ढूंढता मर गया मैं , मैंने सोचा जय को तो फुर्सत नहीं मैं ही मिल लेता हूँ ! मैं बोला “ यार डरा दिया तुने तो , चलो कहीं बैठते हैं “! ग़म ने कहा नहीं यार , चल मेरे घर चल , आ मैं तुझे अपना घर दिखाता हूँ , चाय भी वहीँ पियेंगे ! मैंने कहा चलो !
जब वहां पहुंचे तो मैंने देखा ख़ुशी का घर भी वहीँ था ! मैंने पूछा ये क्या ? बोला , यार जुड़वां बहन है मैंने साथ ही उसका घर भी बना दिया ! जिसकी मर्ज़ी जहाँ चला जाए !ग़म का घर बहुत उदास शक्ल का था ! लम्बी लम्बी दाढ़ी जैसी देकोरातिओं की हुई थी ! आँखें भी मकान की खाली खाली सी थीं ! मुंह लटका हुआ था ! मैंने पूछा ये क्या हाल बना रक्खा है मकान का , कुछ सजाते बवाते क्यों नहीं !
वो हैरानी से मेरा मुंह देखने लगा ! बोला यार अरबों रुपया लगाया है डेकोराशन पर , इसी डेकोराशन से आकर्षित होके तो मेरे पास खूब भीड़ रहती है !और तुम हो के ……..! चलो अन्दर चलो ! मैं तो अन्दर हैरान रह गया मानो सारी दुनियां ही यहाँ बस गयी है , अरस्तो , प्लूटो , चार्ल्स डिकंस से लेकर हिन्दोस्तान के दुर्योधन ,कर्ण , भरत , कैकेयी , गाँधी , देवदास , लैला , मजनूँ , शीरीं , फरहाद , मुशर्रफ , अन्ना सब वहां मौजूद थे ! अब सब नाम तो नहीं गिना सकता ना, जो मेन मेन नाम थे उदाहरण के लिए ले दिए ! कुछ तुम भी तो अक्ल दौड़ाओ , सब वहीँ नज़र आ जायेंगे ! खूब बड़े बड़े कमरे थे , और खूब रौशनी का प्रबंध था ! पर सब एक कोने से में अलग अलग पड़े हुए थे ! किसी ने कोई रौशनी नहीं की हुई थी ! आपस में बातचीत भी कोई नहीं कर रहा था ! शराब का दौर चल रहा था इक्का दुक्का वहां भी खड़ा हुआ था ! ग़ज़ल से भगवान की आरती उतारी जा रही थी ! सब मुंह लटकाए हुए थे ! भई , मैं तो दर गया ! मैं तो इतना उदास कभी नहीं हुआ ! मेरी ग़म से दोस्ती बहुत थोड़ी है ! होंसला तो बहुत बढ़ गया पर ग़म का असर मुझ पर होने लगा ! मैंने कहा अच्छा ग़म भाई मैं चला , चाए भी आज शराब सी लगी ! धन्यवाद ! फिर आऊँगा किसी दिन , ख़ुशी के घर भी जाना पड़ेगा , नहीं तो नाराज़ हो जाएगी ! ये बोल कर मैं भाग खड़ा हुआ ! अच्छा भाई लोगो आप भी मिल आना किसी दिन ! गुड बाय !!
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