शामिल हूँ तेरे शौक में , शौक से अपने ! कोई मजबूरी नहीं , जानते हैं , हालात हम अपने !
बहकाते हैं लोग तुम्हें भटकाने को , रास आते नहीं ज़माने को , अब , सब शौक ये अपने !!
आराम से बैठेंगे , तो कुछ कह लेंगे , कुछ सुन लेंगे !
मिला कोई ? दुश्मन ही था , मेरा अहं बढ़ा गया !!
मैं जवाब दूं , तो किसको दूं , परेशान हैं नज़रें मेरी !
बहकाते हैं लोग तुम्हें भटकाने को , रास आते नहीं ज़माने को , अब , सब शौक ये अपने !!
आराम से बैठेंगे , तो कुछ कह लेंगे , कुछ सुन लेंगे !
सदियाँ गुजारी हैं राहगुज़र में , अकेले , तेरे इंतजार में !!
था अशेष मेरा परिचय , शून्य के निकट था मैं !
मिला कोई ? दुश्मन ही था , मेरा अहं बढ़ा गया !!
फिर दे गया नाम मुझे , शून्य से गिरा गया !!
वहां है कोई , चिलमन में छुपा बैठा है !
देखता है यहाँ का सब कुच्छ वो , वहां का दिखाता सिर्फ पर्दा !!
क्या छूट गया , क्या मिलने वाला , क्या कोई मायने रखता है ?
जो हाथ में है , उस वक्त का सदा , सादर उपयोग मैं , करता हूँ !!
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जाने दे यार को , थोड़ा बहक जाने दे !
उंचाईयां छूएगा पतंग , तेरी इस ढील से !!
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मेरे सपनों में भी तुने , सेंध लगायी , जितने थे सपने अछे , तू ले आई !
अब मैं डरता हूँ सोने से भी , कैसी निकली हरजाई , नींद भी चुरा - आयी !!
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मैं जानता हूँ , तू खड़ा कहीं , कर रहा मेरा इंतज़ार !
तेरी बेकरारी से मुझे , हैं मिल रही तसल्लियाँ !!
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मैं क्या हूँ , मैं नहीं जानता , मेरा अर्थ मुझ को बतादे कोई !
मुझे घर है शाम को लौटना , रब ने लेना इम्तिहान है !!
जोबन तेरा कमाल है , मैं करीब आ के , ज़रा देख तो लूं !
क्या छूट गया , क्या मिलने वाला , क्या कोई मायने रखता है ?
जो हाथ में है , उस वक्त का सदा , सादर उपयोग मैं , करता हूँ !!
.......................................................................................................................................................जाने दे यार को , थोड़ा बहक जाने दे !
उंचाईयां छूएगा पतंग , तेरी इस ढील से !!
............................................................................मेरे सपनों में भी तुने , सेंध लगायी , जितने थे सपने अछे , तू ले आई !
अब मैं डरता हूँ सोने से भी , कैसी निकली हरजाई , नींद भी चुरा - आयी !!
......................................................................................................मैं जानता हूँ , तू खड़ा कहीं , कर रहा मेरा इंतज़ार !
तेरी बेकरारी से मुझे , हैं मिल रही तसल्लियाँ !!
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मैं क्या हूँ , मैं नहीं जानता , मेरा अर्थ मुझ को बतादे कोई !
मुझे घर है शाम को लौटना , रब ने लेना इम्तिहान है !!
नज़र मेरी घबराई सी है , तुझे छुपा न लें , कहीं बदलियाँ !!
मेरे नसीब में , पहरा लिखा , तेरा करूं , या के चाँद का !
दोनों को है ख़तरा यहाँ , कहीं छुपा न लें ये बदलियाँ !!
मैं जवाब दूं , तो किसको दूं , परेशान हैं नज़रें मेरी !दोनों हसीं , कमाल हैं , कहीं चुरा न लें ये बदलियाँ !!
दोनों हसीं , कमाल हैं , कहीं चुरा न लें ये बदलियाँ !!
मैं घबराई लर्जाई भाग आई हूँ , तेरा पैगाम लाये थे सपने मेरे !मेरे सपनो को मत झुठलाना तुम , मैं सवेरे सवेरे , भाग आई हूँ !!मेरे सपने अलग से परेशान होंगे , माँ बाप अलग से परेशान हैं !मेरी चुनरी भी घर में बिसर गयी रे , मुझे छाओं में ले ले मेरे मेहरबान !!तुझे कसम है तेरी ही , सनम मेरे , मेरा लौटना है मुश्किल वहां !तेरा पैगाम लाये थे सपने मेरे , तेरा विश्वास करके मैं भाग आई हूँ !!
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कानों में बजे घंटियाँ , आँखों में फिरें बिजलियाँ !तेरी आहटों का कमाल है , इस अंधे बहरों के शहर में !!तू न - हो तो , जियेगा कौन इस , खुदगर्जी , के माहौल में !तेरा आना बयार सा , नई , बस्तियां बसाये , अजीब सी !!
हो करीब , बहुत करीब , कोई शख्श यूं खामोश सा !सुने जो दिल की धड़कने , और दिल में अपने उतार ले !!खोजे उनके अर्थ फिर , गहरे समुन्दरों के शोर में !और लाये उनको संभाल फिर , दिल में मेरे उतार दे !!
मुझे हैराँ किया तेरे अंदाज़ ने , क्या खबर थी , तू भी दुश्मनों में है !
करता रहा तेरा एतबार , किया शामिल तुझे , हर कदम हर राज़ में !!
तेरा एहसान क्या मिटेगा यार , मेरी मिट्टी ने , तुझे अब पहचाना है !
अब जब भी आना , संभल के आना , रंजिशें हैं , दिल औ दिमाग में !!
अपने शहर में हूँ , फिर भी हूँ अजनबी , जितने भी दोस्त थे हासिल हुए , बने अजनबी !
आज एक से मन मुटाव , कल दुसरे से हुआ , दूरियां बढती गयी , मिलते अब न कभी !!
चलते चलते मस्तियों में घर से गुज़र गया , अब घर वाले भी हमें अपना , मानते नहीं !
साथ जन्मे , साथ पढ़े , खेले साथ साथ , सदियों पुराने साथ भी , अब बन गए अजनबी !!
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कानों में बजे घंटियाँ , आँखों में फिरें बिजलियाँ !
तेरी आहटों का कमाल है , इस अंधे बहरों के शहर में !!
तू न - हो तो , जियेगा कौन इस , खुदगर्जी , के माहौल में !
तेरा आना बयार सा , नई , बस्तियां बसाये , अजीब सी !!
हो करीब , बहुत करीब , कोई शख्श यूं खामोश सा !
सुने जो दिल की धड़कने , और दिल में अपने उतार ले !!
खोजे उनके अर्थ फिर , गहरे समुन्दरों के शोर में !
और लाये उनको संभाल फिर , दिल में मेरे उतार दे !!
मुझे हैराँ किया तेरे अंदाज़ ने , क्या खबर थी , तू भी दुश्मनों में है !करता रहा तेरा एतबार , किया शामिल तुझे , हर कदम हर राज़ में !!
तेरा एहसान क्या मिटेगा यार , मेरी मिट्टी ने , तुझे अब पहचाना है !
अब जब भी आना , संभल के आना , रंजिशें हैं , दिल औ दिमाग में !!
अपने शहर में हूँ , फिर भी हूँ अजनबी , जितने भी दोस्त थे हासिल हुए , बने अजनबी !
आज एक से मन मुटाव , कल दुसरे से हुआ , दूरियां बढती गयी , मिलते अब न कभी !!
चलते चलते मस्तियों में घर से गुज़र गया , अब घर वाले भी हमें अपना , मानते नहीं !
साथ जन्मे , साथ पढ़े , खेले साथ साथ , सदियों पुराने साथ भी , अब बन गए अजनबी !!
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