Monday, 31 October 2011

उम्र   मिली  बरसों   में   और  बरस  भी  थोड़े  से  ,  जबकि  काम  युगों  का  है  !
युगों  का  काम  बरस  में  कर  गए  ,  वो  भी  थोड़े  से  , वो  भी  हम  सब  के  जैसे  थे  !!



मुझे  थोड़ा शान्ति  से  मरने  दो  ! मत  दिलाओ  याद  मैंने  ,किसके  लिए  क्या  किया  , या  फिर  किसके  लिए  क्या  छोड़ा  ! ये  सब  तो  यूं  भी  छूटना  ही  है  ! सिरहाने  से  थोड़ा  हट  जाओ  , थोड़ी  हवा  आने  दो  ! मुझे  झूठी  तसल्ली  मत  दो  , अब  मैं  इन  सब  से  परे  हूँ  ! तुमने  जो  किया  अपने  लिए  , जो  कर  रहे  हो  अपने  लिए  ! ये  कौन  मुझे  हॉस्पिटल  ले  जाने  की  बात  कर  रहा  है  ? जब  ले  जाना  चाहिए  था  तब  किसी  के  पास  समय  नहीं  था  ,अब  लोक  लाज  का  दर  है  ! तुम्हारी  इच्छापूर्ति  के  लिए  नहीं  बिंधना  मुझे  ! चलो  अकेला  छोड़  दो  मुझे  , मुझे  मरने दो  , शान्ति  से  मरने  दो !!

No comments:

Post a Comment