जाने दे मुझको चला जाने दे !!
फिक्र क्यों करता है साँसों को अलग करदे मेरी ,
यूं भी तो जान भी अलग , मैं भी अलग होते हैं !!
शाम तो रंगीन , खुदाया , होगी पर तेरी होगी ,
मेरा तो साया भी अलग , मैं भी अलग होते हैं !!
रात का पहरा है , शामो - सहर , मेरी सोचों पर ,
मेरा तो दिल भी अलग , दिमाग भी अलग होते हैं !!
जिंदगी तो जीता हूँ पर , सब्र को मैं जीता हूँ ,
मेरी तो जैसे हर सांस अलग , सांस अलग होते हैं !!
जब्र का रस्ता नहीं ठीक , थोड़ा संभलो ज़रा ,
अभी तो शहनाई भी बजनी है , सुबह होने दो !!
दोनों बैठेंगे तो समझेंगे , ज़िन्दगी क्या है ,
अभी तू अपनी जगह सही , उसको अपनी जगह होने दो !!
ज़िन्दगी खेल नहीं है के , दुबारा औ तिबारा होगा ,
इक बार ही सही खेलो और खेल को थोड़ा जमने दो !!
दिल का हाल जो सुनना है तो , अंसुवन का दिया जलाओ रे !
बाती रख लो मन की और , सुधियन को तुम बिसराओ रे !!
दिल डाल डाल , मन पात पात , दो घूँट खून पिलाओ रे !
अंखियन से मिलने दो आंखें , धतूरा मुझे पिलाओ रे !!
दो बातें होंगी चाँद से पहले , चाँद छुपे , तब जाओ रे !
दिल की बातें दो तुम छेरो , फिर दिल वाणी मुझसे लिखवाओ रे !!
दिल का हाल जो सुनना है तो , अंसुवन का दिया जलाओ रे !!
मैं जाने अनजाने चला आया अपने गाँव!
सालों साल जिसमें धरता नहीं था मैं पावं !
गाँव है अब शहर से ऊंचा , खेत में उगे उद्योग !
बैल घूमे सड़कों पर ,बैठने को न कोई छाओं !!
करोंदे बेर खाए न कोई , जलते जगनू घुमाये न कोई !
मोबाइल सबके लगे कान से , न कोई करता आओ आओ !!
ना कोई लड़ता अखाड़े में कुश्ती , कबड्डी !
न लड़ते अब पेंच पतंग , हर कोई करते हेल्लो , हाओ !!
अब लगता है गलती कर ली , किसी ने गाँव की खुशबू हर ली !
मैं जाने अनजाने क्यों चला आया अपने गाँव !!
हाट लगी भई हाट लगी , गाँव के बीच में खाट लगी !
खाट के ऊपर सामान पड़ा है , हर सामान पे भाव जड़ा है !!
लाख रूपए की सुबह है यारो , लाख रूपए की शाम खड़ी !
लाख रूपए है रात की कीमत , मुफ्त में साथ में सपना पड़ा है !!
दस लाख में किडनी मिलेगा , दस लाख में लीवर !
बीस लाख में हार्ट मिलेगा , चालीस लाख में दिमाग पड़ा है !!
इज्जत बिके बीस बीस में , झूठ मिलेगा तीस तीस में !
मनोरंजन कर की छूट साथ में , रूपए रूपए में इमान पड़ा है !!
हाट लगी भई हाट लगी , गाँव के बीच में खाट लगी !........................
ज़िन्दगी के महाभारत में जब भी मैंने , कुरुक्षेत्र में खुद को खड़ा पाया !
दोस्तों को दुश्मनों के , और दुश्मनों को दोस्तों के साए में , खड़ा पाया !!
मेरी शक्तियां भी अर्जुन के भावावेश में थीं , स्वयं को असमर्थित पड़ा पाया !
युद्ध में , साथ था मेरे तो सिर्फ आत्म , कृष्ण रूप में जिसे मैंने खड़ा पाया !!
क़द्र करता हूँ मैं तुम्हारी गलतियों की , यूं तो सराहेंगे , कामयाबी पे तुम्हें बहुत लोग !!
कामयाबी तो हमें भी है पसंद , लेकिन , न करते कोई गलती , तो होते क्या , बुलंदी पे वो लोग !!
नारे लगाना तो आसां है बहुत , दुनिया में , खेना कश्तियाँ तूफानों में , जानते हैं बहुत कम लोग !!
उब गया हूँ प्यार और मनुहार से , आओ थोड़ी देर लड़ें कुछ जोर से !
पास पड़ोसी भी जानें कोई रहता यहाँ , वर्ना लगता है के मुर्दा हो गए हैं !!
यारो मेरा भी कहीं कोई बुत लगाओ , टूटना चाहता हूँ किसी क्रांति के बाद !
चाहता हूँ कोई बीठे , ऊपर मेरे भी , गल्तियाँ मैंने भी की है जन्मने के बाद !!
शायद किसी क्रांति का कारण बनूँगा मैं , सोचता हूँ जब भी उल्टा सोचता हूँ !!
सर भी मेरा , धड भी मेरा , हाथों में छतरी भी , मेरी है !
फिर क्यों न बारिशों का मज़ा ले लें , न मेरी थीं , न मेरी हैं , न मेरी ही रहेंगी !!
जहाँ रहना मैं चाहूं , न रहने देंगी ये इच्छाएं मेरी ,
बराबर दौडती हैं , मेरे संग जीने के लिए , मरने के लिए !!
मेरा आराम तुझको भा गया है , अच्छा लगा !
वर्ना काम तो अभी भी मुझे करने बहुत हैं !!
मेरा मुस्कुराना ना तुझे रास आया , दीवाली मुबारिक पे गुस्सा बड़ा आया !
मैंने भेजी फुलझरियां , और भेजे कुछ अनार , तूने फोड़ा बम तो मज़ा बड़ा आया !!
बन बन के बिगड़ना और बिगड़ के फिर बनना ,
ये मौज मेरी मिटटी में पहले ही से शामिल है !
अब रब को बिगाडूं और फिर दोबारा से बनाऊं ,
जो सब को लगे प्यारा , इस कोशिश में आमिल हूँ !!
वो फिर मेरी मौज के आड़े नहीं आये , ऐसा कुछ करने का ख्याल तो अच्छा है !
पर वो भी तो शातिर है , आएगा आड़े , पर सोचने समझने को ख्याल तो अच्छा है !!
चांदी के चम्मच से पियूंगा शबनम को , गुलाब की पंखुड़ी का रंग घोल घोल !
मेरी आँख की किरकिरी है , मेरी रूह को तरसाती है , सुबह सुबह , रोज़ रोज़ !!
ओ माँ ! मैं जानता हूँ तू तारा है आसमान का , साथ पिताजी खड़े हैं तारा जुड़वां !
सब दिखता है यहाँ से , आस पास किसी के माँ बाबूजी , भाई बहन , नाना नानी , दादा दादी , सब हैं !
सब बहुत सुंदर तारे बने हैं , खूब चकाचौंध हो रही है !
सबको , आसमान और जमीं के सब तारों को दिवाली बहुत बहुत मुबारक हो !
माँ इस दिवाली पे जितने दिए जलें , और जितने दिल जलें सबको खूब रौशनी देना !
इतनी रोशनी देना कि अगर पड़ोस में किसी के घर में या दिल में अँधेरा हो तो वो भी जगमगा जाये !
कोई भूखा न रहे , कोई उदास न रहे , सबके घर लहलहा जायें , पर देखना माँ कोई घर न जले !
अच्छा माँ जब भी कोई जरूरत होती है तुम्हें आवाज़ लगा देता हूँ , देखना माँ अपना और सबका ख्याल रखना !!
आज मन उदास है , टूटी फिर विपदा अचानक ,
हुआ काल प्रगट , सिंह सा , लील गया , जीवन उनका ,
जो चर रहे थे हिरन की तरह , खतरे से परे ,निश्चिन्त खड़े थे !
अचानक समय सिमट गया ,जीवन क्षण में निपट गया !
अब हो रही गिनती कितने मरे , कितने घायल ,
कितने थे बस में चढ़े , क्या बस में थी खराबी ?
सब प्रश्न निरर्थक , हर बार हादसे के बाद के प्रश्न पत्र ,
जिन्हें कोई हल नहीं करता , और जिनका कभी परिणाम नहीं निकलता .
और काल फिर अपनी गति से चलने लगा जैसे कुछ हुआ न हो . पर मैं उदास हूँ .