Thursday, 7 March 2013

धुंधलके  गहराने   लगे  आँखों में  मेरी , और  मैं  समझा  उम्र ढलने  लगी ,
मौत  के  साये मुझे  दिखने  लगे , मालूम न  था  कारण  हैं और  भी  कई  !!
लोभ  क्रोध  घर  कर  गये जिस्म  में मेरे , मैं समझा  दोस्त मेरे हैं अब  बड़े  बड़े ,
जिह्वा स्वादु हो  रही ,  चख के  नये  स्वाद , मैं  समझा  स्वर्ग पहुंचा ,  मैं  खड़े  खड़े !!
जिस्म जान भर  गयी मेरी शराब  में , मज़ा आने  लगा  शवाब  कबाब में ,
भीड़  जुट  गयी  यार ,  दुनिया  जहां की , मैं  समझा बन  गया  अब  नवाब  मैं !!
छटने  लगे  पर  झट  ही  बादल ,  मौसम  ने  जब  बदले  मिज़ाज ,
यार  कार  गुम हो  गये , दिखने लगे , खाली बटुवे खाली  गिलास !!






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