धुंधलके गहराने लगे आँखों में मेरी , और मैं समझा उम्र ढलने लगी ,
मौत के साये मुझे दिखने लगे , मालूम न था कारण हैं और भी कई !!
लोभ क्रोध घर कर गये जिस्म में मेरे , मैं समझा दोस्त मेरे हैं अब बड़े बड़े ,
जिह्वा स्वादु हो रही , चख के नये स्वाद , मैं समझा स्वर्ग पहुंचा , मैं खड़े खड़े !!
जिस्म जान भर गयी मेरी शराब में , मज़ा आने लगा शवाब कबाब में ,
भीड़ जुट गयी यार , दुनिया जहां की , मैं समझा बन गया अब नवाब मैं !!
छटने लगे पर झट ही बादल , मौसम ने जब बदले मिज़ाज ,
यार कार गुम हो गये , दिखने लगे , खाली बटुवे खाली गिलास !!
मौत के साये मुझे दिखने लगे , मालूम न था कारण हैं और भी कई !!
लोभ क्रोध घर कर गये जिस्म में मेरे , मैं समझा दोस्त मेरे हैं अब बड़े बड़े ,
जिह्वा स्वादु हो रही , चख के नये स्वाद , मैं समझा स्वर्ग पहुंचा , मैं खड़े खड़े !!
जिस्म जान भर गयी मेरी शराब में , मज़ा आने लगा शवाब कबाब में ,
भीड़ जुट गयी यार , दुनिया जहां की , मैं समझा बन गया अब नवाब मैं !!
छटने लगे पर झट ही बादल , मौसम ने जब बदले मिज़ाज ,
यार कार गुम हो गये , दिखने लगे , खाली बटुवे खाली गिलास !!
No comments:
Post a Comment