होलियाँ कब न हुयी होलियाँ तेरी ?
वही रंग , वही भंग , वही बोलियाँ ,
ढोल वही , थाप वही ,
वही बैर भुला , फिर से , दोस्त बनना मेरा ,
जारी है , बरसों बरस ,
और तू फिर से गले मिल बोल रहा ,
होली मुबारक , होली मुबारक ,
होलियाँ कब न हुयी होलियाँ तेरी ?
फिर भी इक रंज है होली से ,
तेरे रंगों ही में मैं क्यों भूल गया ?
मैंने खोया है बहुत कुछ पीछे ,
कुछ , भगत , सुखदेव , राजगुरु जैसे ,
गांधी , सुभाष , तिलक , आजाद सरीखे ,
जिनकी कुर्बानी से रंग , खिल रहे माथे पे मेरे ,
रंग कुछ , नाम इनके भी हो गये होते ,
कुछ भ्रष्ट कम , हम हो गये होते ,
खिलती ये होलियाँ और भी कुछ हम पर ,
लगता हम भी , कुछ अपने हिस्से का रंग ,
अपनी कुर्बानी के नाम , देश को दे गये होते ,
होलियाँ कब न हुयी होलियाँ तेरी ?
वही रंग , वही भंग , वही बोलियाँ ,
ढोल वही , थाप वही ,
वही बैर भुला , फिर से , दोस्त बनना मेरा ,
जारी है , बरसों बरस ,
और तू फिर से गले मिल बोल रहा ,
होली मुबारक , होली मुबारक ,
होलियाँ कब न हुयी होलियाँ तेरी ?
फिर भी इक रंज है होली से ,
तेरे रंगों ही में मैं क्यों भूल गया ?
मैंने खोया है बहुत कुछ पीछे ,
कुछ , भगत , सुखदेव , राजगुरु जैसे ,
गांधी , सुभाष , तिलक , आजाद सरीखे ,
जिनकी कुर्बानी से रंग , खिल रहे माथे पे मेरे ,
रंग कुछ , नाम इनके भी हो गये होते ,
कुछ भ्रष्ट कम , हम हो गये होते ,
खिलती ये होलियाँ और भी कुछ हम पर ,
लगता हम भी , कुछ अपने हिस्से का रंग ,
अपनी कुर्बानी के नाम , देश को दे गये होते ,
होलियाँ कब न हुयी होलियाँ तेरी ?
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