बीनते जाते रास्ते में जो कंक्कर , वो फक्कड़ कहाँ मिलते अब यहाँ ,
अब तो साधू के वेश , ठगते मेरा देश , कांटे ही कांटे बिछाते यहाँ ,
पूजे जाते स्वयंभू , शंभू की जगह , नेता ही नेता अब दिखे सब यहाँ ,
फटे कपड़ों में जो रहे उम्र सारी , उनकी मूरत को मिलते स्वर्ण सिंहासन यहाँ !!
अब तो साधू के वेश , ठगते मेरा देश , कांटे ही कांटे बिछाते यहाँ ,
पूजे जाते स्वयंभू , शंभू की जगह , नेता ही नेता अब दिखे सब यहाँ ,
फटे कपड़ों में जो रहे उम्र सारी , उनकी मूरत को मिलते स्वर्ण सिंहासन यहाँ !!
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