कौन देगा शाबाशियाँ अब उन अइयारों को अये खुदा ,
तेरा घर बसाने को जिन्होंने अपने घर जला दिए !
दिए उठाये सर पे घूमे , अंधविश्वासों के डेरों में ,
शफा , दवा , ले बस्तियों में , सेहत लौटा गये , मरीजों में ,
दुश्मनों को हद पे रोका , जिन अनाम शहीदों ने ,
खो गये सब , जिनके काम अबके चापलूसी के दौर में ,
कौन देगा शाबाशियाँ अब उन अयियारों को अये खुदा ,
तेरा घर बसाने को जिन्होंनें अपने घर जला दिए !!
तेरा घर बसाने को जिन्होंने अपने घर जला दिए !
दिए उठाये सर पे घूमे , अंधविश्वासों के डेरों में ,
शफा , दवा , ले बस्तियों में , सेहत लौटा गये , मरीजों में ,
दुश्मनों को हद पे रोका , जिन अनाम शहीदों ने ,
खो गये सब , जिनके काम अबके चापलूसी के दौर में ,
कौन देगा शाबाशियाँ अब उन अयियारों को अये खुदा ,
तेरा घर बसाने को जिन्होंनें अपने घर जला दिए !!
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