Monday, 18 March 2013

झुर्रियों  की  आड़  से  झांकती ,  जिंदगी ,
मुझको दिख गयी हांफती  जिंदगी ,
हर  झुर्री  के  पीछे  का  अनुभव  दिखा ,
हर सीढ़ी पे  चढ़ता  कदम   इक दिखा ,
सफलता  असफलता के रंग  में  मढ़ा ,
कुछ  फूलों  सा  कोमल , पसीना खड़ा ,
कहीं  पत्थर  के  कण , राहों के  रोड़े से ,
कहीं  भावों  की  नदिया , सब्र  के  घोड़े पे ,
कहीं ख़्वाबों  की  नाव , नाची हिंडोले से ,
पर  डिगी न  कोई लट ,  असूलों के माथे  से ,
ऐसी  जिंदगी सोहे तेरे  नाम  पे ,  और  मेरे  नाम  पे  ,
तो भली जिंदगी ,  भले , हांफती  जिंदगी ,
झुर्रियों की  आड़ से  झांकती ,  जिंदगी !!

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