जय पलासणियां
Wednesday, 20 March 2013
गुलामी इक नाम नहीं , भोगी है सदियों तक ,
औलाद मेरी अब क्या जानें , आज़ादी लुटाती है , गलियों में ,
मेरा नाम भी अब अपना नहीं , इंडिया इंडिया गाते हैं ,
बिन मेहनत जो मिल जाए , उस से परिवार चलाते हैं !!
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