Monday, 19 March 2012


"उनकी  लड़ाई  भूख  से  थी  ,
ज़ेहन  बीते  दिन  , भूख  से  हारा  था  ,
अब  रोटी  भारी  थी  , लड़ाई  जारी  थी  ,
ज़ेहन  अब  शोकेष  में  , बड़े  लोगों  के  घर  ,
पूजा  करवाता  है  , काले  धन  के  बदले  में  ,
भूख  सदा  जीती  है  और  गरीब  सदा  जीवन  हारा  है  !!"
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"प्रिय  को  मुख  दिखा  आई  वसुंधरा  ,
सूर्य  का  मुख  , तप्त  हो  लाल  हुआ  ,
घन  गरजे  , बिजुरी  चमके  ,
पिया  को  हर्षा  आई  वसुंधरा  !
लज्जा  के  इन्द्रधनुषी  रंग  उभरे  ,
चन्द्र  टीका  माथे  लगा  आई  वसुंधरा  ,
गगन  आया  तारों  की  बारात  सजा  ,
विधु  पति  चुन  आई  वसुंधरा  !!"
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"आंधियां  कहाँ  खुश  हैं  तबाही  से  ,
उन्हें  भी  तो  चिढ़ा  रहा  मौसम  का  मिजाज़  !!"
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"मैं  खतावार  ना  था , किसे  मालूम  ?
सजा  मुझको  हुई  , गुनाहगार  हूँ  अब  !!"
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"इक  रोटी  में  बिका  ईमान  ,
अब  देता  है  ईनाम  ज़माने  को  !!"
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"ज़ेहन  बिक  गया  था  जिनका  निवाले  में  ,
ज़माने  भर  के  अब  नुक्ताचीं  हुए  !!"
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"परिंदे  को  परवाज़  पे  जाते  देखा  तो  ,
ना  जाना  ख़तरा  क्या  है  ,
अब  अनजान  जहां  में  निकला  तो  ,
खतरों  की  तासीर  को  जाना  , क्या  है  !!"
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"कुछ  स्याही  है  माथे  पे  , धो  दूंगा  निकल  जायेगी  ,
दिल  से  रंज  के  दाग  , जाते  ही  नहीं  , नेकी  के  बिना  !!"
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"उसने  घुटनों  में  सर  दे  रोना  सीख  लिया  ,
गम  को  सीने  में  दबा  सोना  सीख  लिया  !!"
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वो  खुश  हैं  दवा  ले  आये  , ले  आये  चाहे , मरने  के  बाद  ,
अब  कोई  तोहमत  सर  ना  आएगी  , की  कोशिश  ना  हुई  !!"
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"मैं  शामिल  हूँ  कायनात  में  , कहाँ  मालूम  था  ,
मुझे  दिखती  थी  कायनात  अलग  , और  मैं  अलग  ,
खुदा  शामिल  है  कायनात  में  , कहाँ  मालूम  था  ,
मुझे  दिखती  थी  कायनात  अलग  , खुदा  अलग  ,
अब  आँखें  खुली  तो  सब  दिखता  है  ,
मुझमें  खुदा  ,खुदा  में  मैं  ,
कायनात  मुझमें  और  कायनात  में  मैं  !!
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"मैं  , मैं  को  मैं  ना  बोलूँ  तो  क्या  बोलूँ  ?
ख़ुदा  का  हिस्सा  हूँ , खुदा  हूँ  ,
पर  जहाँ  भी  तो  चलाना  है  !!"
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"ये  जिंदगी  जलवों  में  गयी  ,
खुद  से  वाबस्ता  ना  हो  पाया  कभी  ,
और  अब  ये  आलम  है  , के  सिर्फ  तू  है  ,
तमाशा  भी  , तमाशाई  भी  !!"

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