इंसानों की दुनियाँ में रहूँ इंसान काफ़ी है ,
रहूँ आशिक तेरी दीद का काफ़ी है !
रख पाए जो मेरी मिट्टी को मिट्टी काफ़ी है ,
रूह चले तुम तक , ये काफ़ी है !
छू पाऊँ तेरे जज़्बात को काफ़ी है ,
बस जाऊं निगाह में तेरी काफ़ी है !
हुनर इतना सा आ जाए मुझे काफ़ी है ,
सुन पाऊँ तेरे दिल की बात काफ़ी है !!
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