Sunday, 11 March 2012


"रंज  को  ताबीर  निगाहों  में  न  कर  ,
इसे  रूह  का  पर्दा  कर  ,
और  जिस्म  में  जल  जाने  दे  !!"
..............

"मेरी  आँखें  तरसती  भी  हैं  , बरसती  भी  ,
पर  उफ़  , तू  संगदिल  , पिघलता  ही  नहीं  !!"
.............


ख़ुदा  क्या  ? और  मैं  क्या  ? परेशां  इसमें  हूँ  !
बाक़ी  सब  टूटे  खिलौने  , ज़मीं  पे  बिखरे  बिखरे  अब  !!"
............


"मुझे  सुनता  है  कोई  ? क्या  मालूम  !!
गाते  परिंदे  क्या  वाह  वाही  के  लिए  ?"
.............


"तेरी  निग़ाह  परेशानी  में  मेरी  तरफ  फिरती  है  ,
और  मुझे  लगता  है  ,  खुदा  हो  गया  आज  !!"
...............



"वो  दाद  भी  चाहते  हैं  , मुबारकबाद  भी  ,
इस  फ़ानी  दुनिया  में  , इक  झूठ  और  सही  !!"
............


"सात  समंदर  पार  घर  है  तेरा  ,
पर  मस्त  निगाही  का  नूर  ,
मेरे  क़रीब  पहुंचा  तो  है  !!"
.............


"वो  उम्दा  फ़कीर  और  मैं  वो  भी  ना  ,
फिर  जाने  क्यों  , मस्त  निगाहें  हैं  मेरी  !!"
..............


"वो  नेक  निगाह  और  एक  निगाह  ,
मेरी  झोली  जितनी  नूर  उतना  मिला  !!"
..........


"खूबसूरत  है  ज़मीं  मेरी  , पर  इक  ज़मीं  और  की  चाह  ,
और  मेरा  पागल  होना  , वाह  !!"
............


"हूँ  हैरान  , हवाएं  क्यों  पागल  आज  ,
क्या  मालूम  , मंज़ूर  ना  हो  तेरा  पर्दा  उनको  !!"
...........

"तंगहाली  में  वो  भी  हैं  , हासिल  है  जिनको  सब  ,
और  मैं  फटेहाल  भी  , ज़मानें  में  हूँ  बादशाह  हुज़ूर  !!"
............


"तूने  तारे  ना  छुए  तो  क्या  ,
ज़मीं  पे  रह  के  भी  ,
आसमान  की  हवाएं  पीता  है  तू  !!"
............


"इक  चोटी  पर्वत  की  , इक  समंदर  का  तल  ,
इक  ऊंचा  बहुत  , इक  गहरा  बहुत  ,
फख्र  दोनों  को  अपनी  नुमाई  का  ,
पर  गिला  फिर  भी  है  ,
इक  ऊंचा  ना  हुआ  , इक  गहरा  ना  हुआ  !!"
..............


"इक  समंदर  है  , इक  बादल  , इक  ठहरा  हुआ  , इक  ठहरे  ही  नहीं  ,
पर  तेरी  निग़ाह  में  दोनों  हैं  , और  दोनों  को  हासिल  है  जहां  !!"
..............


"तूने  सारी  कायनात  दिखा  तो  दी  , मैं  ना  समझूं  तो  किसका  कुसूर  ?
तू  परदे  में  हो  के  भी  बेपर्दा  है  , मैं  खोलूँ  ना  आँखें  तो  किसका  कुसूर  ?"
.................


"तू  एक  , तेरी  निग़ाह  एक  ,
फिर  क्यों  बदस्तूर  जारी  है  ये  बेदर्द  हवाएं  ,
क्यों  खामोश  हैं  तेरी  निगाहें  ,
तड़प  क्यों  है  ज़मानें  में  हद  से  ज्यादा  ,
ए  मेरे  मालिक  ,इस  दोज़ख  को  समेट  ,
हासिल  है  तुझे  ख़ुदाई  तो  ख़ुदा  की  तरह  देख  !!"
..............


"सिर्फ  तेरा  ? किसने  कहा  ,
ख़ुदा  भी  है  दिल  में , मोहब्बत  नाम  से  !!"
............


"ख़ुदा  खामोश  है  पर  सरफिरा  नहीं  ,
वो  तेरी  बद्तमीज़िओं  का  जवाब  देगा  ,
पर   तुझे  महसूस  होने  के  बाद  !!"
.................


"दिल  के  आगे  क्या  करूँ  ,
मानूं  तब  मरा  , ना  मानूं  तब  मरा  !!"
................


"मैं  हार  आया  दोनों  जहां  ,
यार  मिल  गया  अपना  मुझे  !!"
.................


"आती  है  तेरी  सिर्फ  इक  अदा  पसंद  ,
मैं  चाहूँ  हाँ  और  तू  इनकार  में  हिला  दे  सर  अपना  !!"
...............


"गिरा  बिजलियाँ  , किसने  कहा  , यहाँ  आंधियां  हैं  किये  परेशान  मुझे  ,
उठा  पर्दा  किसने  कहा  , यहाँ  बरबादियाँ  आती  हैं  मुआफ़िक  मुझे  !!"
.............


"दिन  फिरे  तेरे  भी  मेरे  भी  ,
ज़माना  अब  हमें  झांकता  नहीं  !!"
...............


"मुझे  छुपा  ले  साए  में  तेरे  ,
बहाने  से  रौशनी  में  भी  रहूँगा  साथ  !!"
.............


"ख़ुदा  चाहे  या  ना  चाहे  ख़ुदा  को  अपना  कह  दूंगा  ,
ख़ुदा  ख़ुदा  है  बख्शेगा  नादानियां  मेरी  !!"
..............


"साथी  समंदर  सा  कहाँ  मिले  नदिया  को  ,
मैली  कुचैली  को  भी  भर  बाहों  में  लेता  है  !!"
.............


"हज़ार  बार  मैंने  कहा  , हज़ार  बार  उसने  सुना  ,
कह  क्या  दिया  बहारों  ने  , सुन  सके  दोनों  ना  हम  !!"
..............


"वो  ख्याल  अपना  करें  , हम  अपना  , तो  रस्ते  में  हम  मिले  ही  क्यों  ?
क्यों  मुस्कुरा  वो  भी  दिए  , क्यों  सर  झुका  मैंने  दिया  ?"
.........


"इक  जुबां  ऐसी  भी  बोल  ,
दिल  भी  सुने  , जुबां  भी  सुने  !!"
............


"मुझे  है  मालूम  अकेला  हूँ  मैं  ,
फिर  गुज़र  तन्हा  , क्यों  होता  नहीं  ?"
.............


"वो  छुप  गये  बादलों  में  बिजलियों  की  तरह  ,
चमकते  हैं  कभी  ,भटके  हुओंको  , रास्ता  दिखाने  के  लिए  !!"
..............


"मैं  भी  हैराँ  हूँ  , मैं  उस  जग  का  हिस्सा  हूँ  ,
जिसे  कारी  किया  और  ग़ुम  हो  गया  फ़नकार  , फनकारी  के  साथ  !!"
..............


"तेरा  ही  है  ये  जहां  , कब  कहा  मैंने  ,
मेरा  भी  तो  , जीवन  भर  का  हिस्सा  रहा  जग  में  !!"
................


"मैं  अलग  करता  रहा  , ज़मीं  को  आसमान  से  ,
जितना  चला  , नए  क्षितिज  खुलते  रहे  , अनंत  अनंत  !!"
........


"खूबसूरत  है  तेरा  अंदाज़ , ए  मालिक  मेरे  ,
ढूँढता  है  अब  तक  सिले  , तेरा  जहां  !!"
.............


"कौन  जाने  मेरे  दिल  की  बात  ? कौन  है  मेरी  साँसों  के  क़रीब  ?
न  हो  तुम  , तो  है  ये  कौन  ? परिचय  दो  अजनबी  , मेरे  भेदी  , परिचय  दो  !!
कहीं  पैदा  तो  नहीं  किये  मैंने  भ्रम  , स्वयं  की  तुष्टि  संतुष्टि  के  लिए  ?
कहीं  हूँ  तो  नहीं  मैं  अभी  तन्द्रा  में  ? जो  तुम  कोई  नहीं  , तो  चिकोटी  भी  काटेगा  कौन  ?
जांचेगा  कौन  , कौन  अवस्था  मेरी  ? अगर  तुम  सच  में  हो  कोई  ,
तो  क़रीब  आओ  मेरे  परिचय  दो  ,मेरे  अजनबी  !!"
...............


"मेरा  मेला  चल  निकला  ,
तेरी  बाहों  के  झूले  में  हूँ  कैद  !!"
..............


"पीता  तो  हूँ  मरने  के  लिए  , पर  जी  जाता  हूँ  ,
शायद  दुआ  करता  है  कोई  , मेरे  पीने  पिलाने  के  लिए  !!"
.............


"मेरे  भाग्य  के  तारे  तू  टूट  ज़रा  ,
उनको  मेरे  मरने  की  दुआ  मांगनी  है  आज  !!"
................


"तू  बता  अंधों  को  अँधा  ना  कहूं  , तो  क्या  दिख  जाएगा  उसे  ,
अपनी  कमजोरी  को  गाली  ना  समझ  ,
आलोचक  तो  महज  चेताता  तुझे  , ताकि  तू  गड्ढे   में  ना  गिरे  !!"
...........


"निरख  परख  अली  कलियाँ  खोले  , मिल  जांयें  हरी  मनवा  बोले  ,
हरी  थमाएं  पराग  , स्वयं  पल  में  जाएँ  भाग  ,
हरी  हरी  बोल  , अली  हरी  हरी  बोल  !!"
.....................


"मेरे  कदम  बढ़ने  लगे  हैं  तेरी  और  , हरी  , बाहें  खोले  रखना  !!"

2 comments: