जानता तू है मुकद्दर मेरा , तो पेश आता अदब से मैं ,
क्या मालूम था , उखड़ेगा तू भी , मैं भी बेअदबी से मेरी !!
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दिल की इबारत को , क्योंकर लब तक ले आया तू ,
अब तो लब लरज रहे हैं , और दिल भी बेकाबू है !!
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तेरे क़ाबिल तो नहीं है वो ,
पर तेरी ज़िद है तो ये भी सही ,
तू तेरी ज़िद का कायल है तो ,
इक मेरा गुनाह और सही !!
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रंजिश है तेरी आँखों में ,
कसमसाती है लपटों की तरह ,
जलाती है उनको भी ,
जिनको रंजिश का पता ही नहीं !!
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हालात बना बेहतर ए ख़ुदा ,
या तू भी , इक बार मोहब्बत कर देख ,
क्यों यार को करता है जुदा ,
जुदा तू भी कायनात से हो कर देख !!
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हालात से लगता तो नहीं ,आयेंगे वो ,
पर वादा करें झूठा , मुमकिन ये भी नहीं !!
………………
ऐतबार था तेरा तभी तो , उलझन में हैं ,
धोखे में कैसे , आये यार , उलझन में हैं !!
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