रफ़ू कर तो दोगे दिल को मेरे ,
पर तमन्ना जीने की आएगी कैसे !
चाक़ जिगर हो जिसका हमदर्दी से भी ,
पैबंद रूह में उसकी लगाओगे कैसे !!
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और भी हैं रस्ते दिल में उतरने के ,
आँखों को खुलते देखेगा कब तक !!
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चिरागों को जलाता जा आग से दिल की ,
सुना है आतिश है नज़र तेरी , और दिल इक शरारा है !!
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ख़ादिम का ख्याल कौन करे , जब ,
मालिक को ख़ुदा का खौफ न हो !!
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पेशोपेश में मुसाविर है ,
रंग बिना तस्वीर मुकम्मल हो कैसे ,
मैंने ख्वाब जज डाले स्याही के लिए ,
अरमान निचोड़े रंगों के लिए !!
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बहुत गहरे तक खोज आया मैं जड़ें अपनी ,
जानवर से ज्यादा कभी न थे हम !!
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गुनाहों की माफियाँ सनम देदे तो ,
यार जी जाए कुछ और ,
वर्ना , मरना तो तय है ,
तय वक्त , तय जगह , तय वज़ह से ,
सनम तेरे यार का !!
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तेरी शैतानियों से बाज आये हम ,
हमको रुलाने के सिवा , फ़न कोई तुममें नहीं !!
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यार का दर देख लिया ,
मेरे सिवा कोई भी नहीं !!
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यार का घर देख लिया ,
नजाकत के सिवा कुछ भी नहीं !!
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कुछ तो करें यार ख़ामोशी से ,
यूँ भी दुनियाँ में शोर बहुत है !!
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कुछ देर , बस कुछ देर रोने दे मुझे ,
आँख भर आई आज , अच्छी खबर आने से !!
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