Sunday, 18 March 2012
"सिर्फ इक गली बाकी है , जहाँ मेरा जाना ना हुआ ,
"खुला छोड़ आसमान , अभी तारे गिनने हैं मुझे ,
"तुम हसीं , तो दुश्मन मेरे ,
"इस शहर में खाली दुकान ,खाली मकान कोई नहीं ,
"खुदा के वास्ते खुदा से कह ,
तेरा यार खड़ा है दर पे तेरे ,
"दिन के उजाले में भी डर लगता है अब ,
"समंदर , मेरा ना हुआ ! पर्वत मेरा ना हुआ !
कायनात में कुछ भी , दिल से मेरा ना हुआ !
मैं तड़प के हर ख़ुदा के घर सर नवा आया ,
"जला के मेरा दमन वो ,
जला भी ले दिल के चिरागों को अब ,
"मैं आकाश में लिख आई , हवाओं से तेरा नाम ,
"किनारे भी बहे , दरिया भी बहे , कश्ती भी बही धारे में ,
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment