Monday, 19 March 2012
"उनकी लड़ाई भूख से थी ,
ज़ेहन बीते दिन , भूख से हारा था ,
अब रोटी भारी थी , लड़ाई जारी थी ,
"प्रिय को मुख दिखा आई वसुंधरा ,
सूर्य का मुख , तप्त हो लाल हुआ ,
घन गरजे , बिजुरी चमके ,
पिया को हर्षा आई वसुंधरा !
गगन आया तारों की बारात सजा ,
"आंधियां कहाँ खुश हैं तबाही से ,
"मैं खतावार ना था , किसे मालूम ?
"इक रोटी में बिका ईमान ,
"ज़ेहन बिक गया था जिनका निवाले में ,
"परिंदे को परवाज़ पे जाते देखा तो ,
ना जाना ख़तरा क्या है ,
अब अनजान जहां में निकला तो ,
"कुछ स्याही है माथे पे , धो दूंगा निकल जायेगी ,
"उसने घुटनों में सर दे रोना सीख लिया ,
वो खुश हैं दवा ले आये , ले आये चाहे , मरने के बाद ,
"मैं शामिल हूँ कायनात में , कहाँ मालूम था ,
मुझे दिखती थी कायनात अलग , और मैं अलग ,
खुदा शामिल है कायनात में , कहाँ मालूम था ,
मुझे दिखती थी कायनात अलग , खुदा अलग ,
अब आँखें खुली तो सब दिखता है ,
"मैं , मैं को मैं ना बोलूँ तो क्या बोलूँ ?
ख़ुदा का हिस्सा हूँ , खुदा हूँ ,
"ये जिंदगी जलवों में गयी ,
खुद से वाबस्ता ना हो पाया कभी ,
और अब ये आलम है , के सिर्फ तू है ,
Sunday, 18 March 2012
"सिर्फ इक गली बाकी है , जहाँ मेरा जाना ना हुआ ,
अब उसमे जाते हुए डरता हूँ , क्या होगा अगर यार , यहाँ भी ना हुआ !!"
............
"खुला छोड़ आसमान , अभी तारे गिनने हैं मुझे ,
चाँद से बतियाना है , इन्द्रधनुष चुनने हैं मुझे !!"
.........."तुम हसीं , तो दुश्मन मेरे ,
जगाते हो नींदों में मेरी !!"
..........."इस शहर में खाली दुकान ,खाली मकान कोई नहीं ,
सब ओर शोर बस गया , तन्हायिआँ गयीं !!"
................"खुदा के वास्ते खुदा से कह ,
तेरा यार खड़ा है दर पे तेरे ,
मरने के लिए , तेरे नखरे उठाने के लिए !!"
..............."दिन के उजाले में भी डर लगता है अब ,
रातों ने करीब आने ना दिया यार !"
.............."समंदर , मेरा ना हुआ ! पर्वत मेरा ना हुआ !
कायनात में कुछ भी , दिल से मेरा ना हुआ !
मैं तड़प के हर ख़ुदा के घर सर नवा आया ,
सब कहते हैं , तेरा यार है रूठा हुआ !!"
............."जला के मेरा दमन वो ,
अब यारी का दम भरते हैं !!"
..............जला भी ले दिल के चिरागों को अब ,
वक्त तेरे दिल में मेरे आने का हुआ !!"
.............."मैं आकाश में लिख आई , हवाओं से तेरा नाम ,
अब सारी कायनात की साँसों में तू ही तू बसता है !!"
.............."किनारे भी बहे , दरिया भी बहे , कश्ती भी बही धारे में ,
दिल से उबल आये जो नाले , मांझी भी बहे , सहारे में !!"
Saturday, 17 March 2012
रोज़ जिंदगी सुप्रभात कहके जगाती मुझे ,
और मैं बीते दिन के गिले शिकवे ले , झगड़ पड़ता हूँ उससे !!"
..............."तेरी दी दौलतें ख़त्म न होतीं मरने तक ,
साथ ले नहीं जा सकता , दुःख रहता है मुझे !!"
.............."जिंदगी को कभी खुद पे चुटकुला मान के चल ,
पसंद करेगा तो मज़ा ले हँसता रहेगा ,
चिढेगा तो जिंदगी ऐसे रोज़ और कई सुनाएगी चुटकुले !!"
.............."दम रख ज़माने में ,
हर कदम करतार नाचते देखना चाहता है तुझे ,
शोले की बसंती की तरह , यार के लिए !!"
Friday, 16 March 2012
"पर्दा तो सिर्फ आँखों का है ,
मन के आगे बेपर्दा हैं सब !!"
...............वो नगमा मचलता तो है अंतर में मेरे ,
पर गड्डमगड्ड हैं बहरूपिये शब्द मेरे ,
शक्ल कोई उभरती ही नहीं !!"
..............."वो इक बार भी न बोले मुझसे ,
और जुबान में मेरे छाले पड़े हैं !
कमबख्त नादानियाँ मेरी ,
जला डाला दिल उनका !!"
.........
"हालात ने सिखा दिया मुझे खामोशियों का राज़ ,
अब बेवजह , बेवक्त , कुछ मैं बोलता नहीं !!"
............."काश हम भी कोई जंग हारे होते ,
होती अपनी भी प्यार की दास्ताँ यार !!"
................"वो नगमा , हर रोज़ , नया गाते हैं ,
और मेरे हाथों में साजे दिल बजे हर रोज़ !!"
..............."जम में खनक है , ख्याल बजने सी ,
जल तरंग की जगह , मय तरंग बज रही है आज !!"
................"वो मोती चमड़ी उगा लाये आज ,
तंज फिकरे नाकाम हो रहे आज !!"
..........."नाकामियों से घबरा गये क्यों तुम ,
ये कायनात खुदा की नाकामी ही तो है !!"
.............."जहां में सब देते भी हैं और लेते भी हैं कुछ ,
हर शै जब खुश है तो दुखी क्यों तू !!"
..............."वो आये और मुस्कुराए दरवाज़े की ओट ,
मैं दीवाना हुआ बस मुस्कुराता ही रहा , समझा न प्यार !!"
..............."उनकी आँखों में जन्नत भी थी , दोज़ख भी ,
मैंने दोज़ख झेला उनकी ज़न्नत के लिए !!"
................."सब्ज़ थे उनके ख्वाब ,
छोड़ आया मैं शबे माह उनके लिए !!"
.........."नाखुदा को भी खुदा कह दूं इक बार ,
कश्ती तो लगे किनारे इक बार !!"
.............."बहके बहके से ख्याल ,
बहके बहके अरमान ,
अब तो खुदा ही करे खैर ,
दीवाना होके दिल पहलू से गया !!"
...............जो ना बोले तुम तो शुक्रिया ,
पर हैराँ हम भी हैं मेहरबानी पे तेरी !!"
............."मुद्दा ये नहीं , अकेले हैं हम ,
पर साथ गम भी नहीं , दिल भी अकेले में है !!"
..........."जिक्र करना भी गवारा नहीं अब उनको ,
बेशर्म मेहमान हम , इस कदर उनके दिल के हुए !!"
................"जन्म से आँधियों के हैं शुक्रगुज़ार हम ,
तूफ़ान तेरी नादानियों के ,
झेल जाते हैं चिराग़ मेरे अब !!"
..........."समस्या कभी कोई थी ही नहीं ,
दिल तेरे पास ना था , जुनूँ मेरे पास ना था !!"
.........
"पी के उलट गये वो कई बार , आदतन ,
अब उलट के पी गये कई बार , बेगैरतन !!"
..........."तेरी खामोश निगाहों में तिर आये हैं प्रश्न नए ,
मेरी आँखें अब ढूंढ रही हैं , कोने नए , छुपने के लिए !!"
..............."जब आशाओं पे बादल काले घिर आये हों , तो एक कदम ,
बस एक कदम है बारिश और बादल छट जायेंगे !!"
................."शैशव से आँखें ना होती तो था दोष ,
अब मन ही ना देखे तो मूरख बोल अँधा तो ना बोल !!"
..............."हुस्न की होलियाँ हुई हजारों बार , मन प्रहलाद सा बच निकला हर बार !!"
.................."रंग सब बिक गये होलियों में , मासूमियत के सिवा ,
मेरा बचपन अभी भी हर रंग पे छा जाता है !!"
................"जादू हुआ ना गुलाम मेरा ,
तेरा जादू अभी भी सर चढ़ के बोलता है ज़मानें में !!"
............"आजू बाजू किनारे खुशियों के ,
और बहता गम का , बीच में दरिया ,
दरिया को बहने दे ,और थाम किनारे ले !!"
............"मेरी बाहों में पिघलते हुए आना ,
मैं तुम्हें मन के खुदा सा तामीर करूंगा !!"
.............."तेरी बाहों का झूला सिर्फ एक है जग में ,
आने दे पनाहों में जी भर के मुझे !!"
..............."मैंने सोचा झूम गया अम्बर ,
रुका तो देखा , धरती ने अंगडाई ली थी !!"
................."इंतज़ार , सिर्फ मेरा , सिर्फ मेरा , रहा तुमको ,
दीवारों ने रो रो , तेरी खुश्कत में , मेरा नाम , उभरा था !!"
............"ख़त्म हुए सब रास्ते , मंजिल के बाद बचा क्या ?
जन्म से तय थे सब रास्ते , मौत के बाद बचा क्या ?"
..............."इक भी पैगाम मेरे नाम ना आया ,
डाकिया निकलता है , रूठा हुआ सा !!"
............."सारे जीवन की कविताई उतर आई ,
समझा जिस दिन से निस्सार जीवन को !!"
.............."छोड़ेगा किनारा जब दरिया बन निकलोगे ,
ऐसे तो तालाब सा बंधे रहो तुम !!"
............."ऐसे चलो जग में , जैसे अकेले हो तुम ,
इक सैलाब सा साथ हो लेगा तुम्हारे !!"
...........हर निर्णय तुम्हारा है , और भोगोगे तुम ही ,
अब कांटे उगाओ या फूल चमन में !!"
.............."तेरे बोये कांटे भी काट ही लूँगा ,
पर फूल उगने का , वक्त निकल जाएगा कुछ !!"
.............."वक्त से पहले तुम खोज लो कुष्ठ ,
अंग भंग होने से तभी बच पाओगे !!"
.............."तब ही बोलो या तभी , वक्त के मायने बदलेंगे क्या ?
करो अब ही या अभी , कर्म के मायने बदलेंगे क्या ?"
.............."चले आओ चमन तेरा है मेरा भी ,
यूँ अजनबी बन कब तक रहेंगे दूर !!"
...............वो बुन रहे हैं मुझे स्वेटर की तरह ,
कभी दो फंदे छोड़ देते हैं , कभी उठा देते हैं ,
आधा अधूरा स्वेटर , पूरा होता ही नहीं ,
कहते हैं माँ ने बोर्डर में घर ही गलत उठाये हैं ,
और बुनती , भी टेढ़ी लगा रक्खी है !!"
............"छू गया मन , अल्हड़पन बादल का ,
पल में शक्ल बदल गया घन ,
पकड़ ना पाया इक टुकड़ा भी ,
रहा देखता सकल गगन !!"
..............
मेरा थक के चूर होना विधाता को पसंद आता नहीं ,
खाली देख , उलझनें फेंकता मेरे आगे सुलझाने के लिए !!
"Death is definite , and so is aging , it's not new to me , i have felt it ,through my grand parents , parents , friends , relations . And myself have died , inumerable times without knowing it .I feel but pain ,the pain of leaving .Leaving which i can't carry , but feel is mine .So leave mine and rest is peace only peace ."
Monday, 12 March 2012
हम चले उल्टा , वो ज़माने साथ ,
सामना हर बार हुआ , मंजिल के पास !!
……………
गुज़र उसका भी हुआ और मेरा भी ,
निबाह दोनों ने लिया , फनकारी के साथ !!
…………….
हद से बढ़ जाए न ख़ुमारी ,
इसलिए पीता हूँ तेरे अश्कों को , शबनम के साथ !!
…………….
खुश होता है जहर खाके कोई , मालूम है ,
मरता है शहद खाके कोई , मालूम है ,
पर जो न मालूम था , मालूम आज हो ही गया ,
गम खा के दिलजला , अमर हो ही गया !!
…………..
हंस के देख चंद रोज़ ,
रो के भी देख चंद रोज़ ,
जी के भी देख चंद रोज़ ,
मर के भी देख चंद रोज़ ,
लुत्फ़ क्या है , मुख्तलिफ हालातों में जीने का ,
जाम पी के देख चंद रोज़ ,
कभी गिरा के भी देख चंद रोज़ !!
जानता तू है मुकद्दर मेरा , तो पेश आता अदब से मैं ,
क्या मालूम था , उखड़ेगा तू भी , मैं भी बेअदबी से मेरी !!
………….
दिल की इबारत को , क्योंकर लब तक ले आया तू ,
अब तो लब लरज रहे हैं , और दिल भी बेकाबू है !!
……………
तेरे क़ाबिल तो नहीं है वो ,
पर तेरी ज़िद है तो ये भी सही ,
तू तेरी ज़िद का कायल है तो ,
इक मेरा गुनाह और सही !!
………….
रंजिश है तेरी आँखों में ,
कसमसाती है लपटों की तरह ,
जलाती है उनको भी ,
जिनको रंजिश का पता ही नहीं !!
…………..
हालात बना बेहतर ए ख़ुदा ,
या तू भी , इक बार मोहब्बत कर देख ,
क्यों यार को करता है जुदा ,
जुदा तू भी कायनात से हो कर देख !!
…………….
हालात से लगता तो नहीं ,आयेंगे वो ,
पर वादा करें झूठा , मुमकिन ये भी नहीं !!
………………
ऐतबार था तेरा तभी तो , उलझन में हैं ,
धोखे में कैसे , आये यार , उलझन में हैं !!
रफ़ू कर तो दोगे दिल को मेरे ,
पर तमन्ना जीने की आएगी कैसे !
चाक़ जिगर हो जिसका हमदर्दी से भी ,
पैबंद रूह में उसकी लगाओगे कैसे !!
…………..
और भी हैं रस्ते दिल में उतरने के ,
आँखों को खुलते देखेगा कब तक !!
…………
चिरागों को जलाता जा आग से दिल की ,
सुना है आतिश है नज़र तेरी , और दिल इक शरारा है !!
…………
ख़ादिम का ख्याल कौन करे , जब ,
मालिक को ख़ुदा का खौफ न हो !!
………….
पेशोपेश में मुसाविर है ,
रंग बिना तस्वीर मुकम्मल हो कैसे ,
मैंने ख्वाब जज डाले स्याही के लिए ,
अरमान निचोड़े रंगों के लिए !!
……………
बहुत गहरे तक खोज आया मैं जड़ें अपनी ,
जानवर से ज्यादा कभी न थे हम !!
………….
गुनाहों की माफियाँ सनम देदे तो ,
यार जी जाए कुछ और ,
वर्ना , मरना तो तय है ,
तय वक्त , तय जगह , तय वज़ह से ,
सनम तेरे यार का !!
…………..
तेरी शैतानियों से बाज आये हम ,
हमको रुलाने के सिवा , फ़न कोई तुममें नहीं !!
……………
यार का दर देख लिया ,
मेरे सिवा कोई भी नहीं !!
…………..
यार का घर देख लिया ,
नजाकत के सिवा कुछ भी नहीं !!
…………
कुछ तो करें यार ख़ामोशी से ,
यूँ भी दुनियाँ में शोर बहुत है !!
…………….
कुछ देर , बस कुछ देर रोने दे मुझे ,
आँख भर आई आज , अच्छी खबर आने से !!
आज मिली फुर्सत तो क्यों न तुमसे बोलूँ ,
ए मेरे मन चल , जहां से पार चल दें !
यार चल दें कहीं हम उन , ठंडी हवाओं में ,
ज़हर जमानें का न घुल पाया हो जिसमें अभी तक !
अभी जिसको न रंगीं कर सका हो रंज का रंग ,
न बचपन सा भोलापन जहाँ से गया हो !
चांदनी आती हो जहां बिन खंगाले ,
और बर्फ बिछ जाती हो जहाँ बिन घघरा संभाले !
जहाँ उड़ते हो पंछी निर्भय उडारी , निर्मल गगन में ,
और चोटियों में होड़ लगी हो , आसमान छू लें !
बादल जहाँ छिप छिप जाएँ , दौड़ लगायें ,
कहीं वहीँ ले चल , रे मनवा हम साथ हो लें !!
.............
मैं क्या न देदूं तुम्हें आज ज़मीं से गगन से ,
क्या न देदूं दिल से अपने जो मेरा हो सबसे सुन्दर ,
ये भाव आते हैं जब भी मन में मेरे ,
यार चेहरा बस सामने , इक तुम्हारा ,बस इक तुम्हारा !!
..........
तेरा वितान जमीं अम्बर पर ,
तेरा गान सर्व कर्ण में ,
तेरा स्वर हर कंठ में ,
दृश्य तू है सर्व सर्व ,
तेरा ही है हर पर्व पर्व ,
तू मेरा , मैं तेरा वितान ,
"अनल है प्राणदाता , अनिल जीवन आधार ,
जल , थल से बनी मूरत को स्थान देता आकाश ,
जगत पंचभौतिक , जगतार पंचभौतिक ,
ए मेरे मन चल , जहां से पार चल दें !
यार चल दें कहीं हम उन , ठंडी हवाओं में ,
ज़हर जमानें का न घुल पाया हो जिसमें अभी तक !
अभी जिसको न रंगीं कर सका हो रंज का रंग ,
न बचपन सा भोलापन जहाँ से गया हो !
चांदनी आती हो जहां बिन खंगाले ,
और बर्फ बिछ जाती हो जहाँ बिन घघरा संभाले !
जहाँ उड़ते हो पंछी निर्भय उडारी , निर्मल गगन में ,
और चोटियों में होड़ लगी हो , आसमान छू लें !
बादल जहाँ छिप छिप जाएँ , दौड़ लगायें ,
कहीं वहीँ ले चल , रे मनवा हम साथ हो लें !!
.............
मैं क्या न देदूं तुम्हें आज ज़मीं से गगन से ,
क्या न देदूं दिल से अपने जो मेरा हो सबसे सुन्दर ,
ये भाव आते हैं जब भी मन में मेरे ,
यार चेहरा बस सामने , इक तुम्हारा ,बस इक तुम्हारा !!
..........
तेरा वितान जमीं अम्बर पर ,
तेरा गान सर्व कर्ण में ,
तेरा स्वर हर कंठ में ,
दृश्य तू है सर्व सर्व ,
तेरा ही है हर पर्व पर्व ,
तू मेरा , मैं तेरा वितान ,
हे भगवन हे कृपानिधान !!"
..............
"अनल है प्राणदाता , अनिल जीवन आधार ,
जल , थल से बनी मूरत को स्थान देता आकाश ,
जगत पंचभौतिक , जगतार पंचभौतिक ,
आत्म दृष्यदाता ,परमात्म सर्वज्ञाता ,
विनम्र है नमन मेरा , जगतपति विधाता !!"
Sunday, 11 March 2012
"रंज को ताबीर निगाहों में न कर ,
इसे रूह का पर्दा कर ,
और जिस्म में जल जाने दे !!"
.............."मेरी आँखें तरसती भी हैं , बरसती भी ,
पर उफ़ , तू संगदिल , पिघलता ही नहीं !!"
.............ख़ुदा क्या ? और मैं क्या ? परेशां इसमें हूँ !
बाक़ी सब टूटे खिलौने , ज़मीं पे बिखरे बिखरे अब !!"
............"मुझे सुनता है कोई ? क्या मालूम !!
गाते परिंदे क्या वाह वाही के लिए ?"
............."तेरी निग़ाह परेशानी में मेरी तरफ फिरती है ,
और मुझे लगता है , खुदा हो गया आज !!"
..............."वो दाद भी चाहते हैं , मुबारकबाद भी ,
इस फ़ानी दुनिया में , इक झूठ और सही !!"
............"सात समंदर पार घर है तेरा ,
पर मस्त निगाही का नूर ,
मेरे क़रीब पहुंचा तो है !!"
............."वो उम्दा फ़कीर और मैं वो भी ना ,
फिर जाने क्यों , मस्त निगाहें हैं मेरी !!"
.............."वो नेक निगाह और एक निगाह ,
मेरी झोली जितनी नूर उतना मिला !!"
.........."खूबसूरत है ज़मीं मेरी , पर इक ज़मीं और की चाह ,
और मेरा पागल होना , वाह !!"
............क्या मालूम , मंज़ूर ना हो तेरा पर्दा उनको !!"
...........
"तंगहाली में वो भी हैं , हासिल है जिनको सब ,
और मैं फटेहाल भी , ज़मानें में हूँ बादशाह हुज़ूर !!"
............"तूने तारे ना छुए तो क्या ,
ज़मीं पे रह के भी ,
आसमान की हवाएं पीता है तू !!"
............"इक चोटी पर्वत की , इक समंदर का तल ,
इक ऊंचा बहुत , इक गहरा बहुत ,
फख्र दोनों को अपनी नुमाई का ,
पर गिला फिर भी है ,
इक ऊंचा ना हुआ , इक गहरा ना हुआ !!"
.............."इक समंदर है , इक बादल , इक ठहरा हुआ , इक ठहरे ही नहीं ,
पर तेरी निग़ाह में दोनों हैं , और दोनों को हासिल है जहां !!"
.............."तूने सारी कायनात दिखा तो दी , मैं ना समझूं तो किसका कुसूर ?
तू परदे में हो के भी बेपर्दा है , मैं खोलूँ ना आँखें तो किसका कुसूर ?"
................."तू एक , तेरी निग़ाह एक ,
फिर क्यों बदस्तूर जारी है ये बेदर्द हवाएं ,
क्यों खामोश हैं तेरी निगाहें ,
तड़प क्यों है ज़मानें में हद से ज्यादा ,
ए मेरे मालिक ,इस दोज़ख को समेट ,
हासिल है तुझे ख़ुदाई तो ख़ुदा की तरह देख !!"
.............."सिर्फ तेरा ? किसने कहा ,
ख़ुदा भी है दिल में , मोहब्बत नाम से !!"
............"ख़ुदा खामोश है पर सरफिरा नहीं ,
वो तेरी बद्तमीज़िओं का जवाब देगा ,
पर तुझे महसूस होने के बाद !!"
................."दिल के आगे क्या करूँ ,
मानूं तब मरा , ना मानूं तब मरा !!"
................"मैं हार आया दोनों जहां ,
यार मिल गया अपना मुझे !!"
................."आती है तेरी सिर्फ इक अदा पसंद ,
मैं चाहूँ हाँ और तू इनकार में हिला दे सर अपना !!"
..............."गिरा बिजलियाँ , किसने कहा , यहाँ आंधियां हैं किये परेशान मुझे ,
उठा पर्दा किसने कहा , यहाँ बरबादियाँ आती हैं मुआफ़िक मुझे !!"
............."दिन फिरे तेरे भी मेरे भी ,
ज़माना अब हमें झांकता नहीं !!"
..............."मुझे छुपा ले साए में तेरे ,
बहाने से रौशनी में भी रहूँगा साथ !!"
............."ख़ुदा चाहे या ना चाहे ख़ुदा को अपना कह दूंगा ,
ख़ुदा ख़ुदा है बख्शेगा नादानियां मेरी !!"
.............."साथी समंदर सा कहाँ मिले नदिया को ,
मैली कुचैली को भी भर बाहों में लेता है !!"
............."हज़ार बार मैंने कहा , हज़ार बार उसने सुना ,
कह क्या दिया बहारों ने , सुन सके दोनों ना हम !!"
.............."वो ख्याल अपना करें , हम अपना , तो रस्ते में हम मिले ही क्यों ?
क्यों मुस्कुरा वो भी दिए , क्यों सर झुका मैंने दिया ?"
........."इक जुबां ऐसी भी बोल ,
दिल भी सुने , जुबां भी सुने !!"
............"मुझे है मालूम अकेला हूँ मैं ,
फिर गुज़र तन्हा , क्यों होता नहीं ?"
............."वो छुप गये बादलों में बिजलियों की तरह ,
चमकते हैं कभी ,भटके हुओंको , रास्ता दिखाने के लिए !!"
.............."मैं भी हैराँ हूँ , मैं उस जग का हिस्सा हूँ ,
जिसे कारी किया और ग़ुम हो गया फ़नकार , फनकारी के साथ !!"
.............."तेरा ही है ये जहां , कब कहा मैंने ,
मेरा भी तो , जीवन भर का हिस्सा रहा जग में !!"
................"मैं अलग करता रहा , ज़मीं को आसमान से ,
जितना चला , नए क्षितिज खुलते रहे , अनंत अनंत !!"
........"खूबसूरत है तेरा अंदाज़ , ए मालिक मेरे ,
ढूँढता है अब तक सिले , तेरा जहां !!"
............."कौन जाने मेरे दिल की बात ? कौन है मेरी साँसों के क़रीब ?
न हो तुम , तो है ये कौन ? परिचय दो अजनबी , मेरे भेदी , परिचय दो !!
कहीं पैदा तो नहीं किये मैंने भ्रम , स्वयं की तुष्टि संतुष्टि के लिए ?
कहीं हूँ तो नहीं मैं अभी तन्द्रा में ? जो तुम कोई नहीं , तो चिकोटी भी काटेगा कौन ?
जांचेगा कौन , कौन अवस्था मेरी ? अगर तुम सच में हो कोई ,
तो क़रीब आओ मेरे परिचय दो ,मेरे अजनबी !!"
..............."मेरा मेला चल निकला ,
तेरी बाहों के झूले में हूँ कैद !!"
.............."पीता तो हूँ मरने के लिए , पर जी जाता हूँ ,
शायद दुआ करता है कोई , मेरे पीने पिलाने के लिए !!"
............."मेरे भाग्य के तारे तू टूट ज़रा ,
उनको मेरे मरने की दुआ मांगनी है आज !!"
................"तू बता अंधों को अँधा ना कहूं , तो क्या दिख जाएगा उसे ,
अपनी कमजोरी को गाली ना समझ ,
आलोचक तो महज चेताता तुझे , ताकि तू गड्ढे में ना गिरे !!"
..........."निरख परख अली कलियाँ खोले , मिल जांयें हरी मनवा बोले ,
हरी थमाएं पराग , स्वयं पल में जाएँ भाग ,
हरी हरी बोल , अली हरी हरी बोल !!"
....................."मेरे कदम बढ़ने लगे हैं तेरी और , हरी , बाहें खोले रखना !!"
Wednesday, 7 March 2012
होली के रंग में सराबोर ,
मैं मितवा को ढूंढूं बन चोर ,
मितवा छुप छुप जाए ,
कहीं नज़र न आये ,
होली के रंग में ,
प्यार की खुशबू ,
रतनारी है गुलाल अबीर ,
मैं ढूंढूं राधा राधा ,
सखियों पे रंग दिया डाल ,
अब राधा रूठ गयी ,
चलो राधा को करूँ सराबोर ,
होली आयो रे !!.......
बुरा न मानो होली है , सबको होली मुबारक हो !!
...............होली के रंग सम रंग नहीं हैं , जो मन का मैल मिटाए ,
बिना बैर और बिना विरोध के , शत्रु , मित्र बन जाए !!
................मन साफ़ सफ़ेद रखना तुम , मेरे रंग खिलेंगे फागुनी सब ,
जब भी खिलखिलाओगे , फूल सतरंगी झर आयेंगे दामन में तेरे !!
..................होली के रंग , बहुत बार मन में लगे मेरे ,
बचा सिर्फ तेरा रंग , धुल गये बाकी सारे !!
.................होली सिर्फ होली खेलना तुम ,
बहाने होरी के , लिपट न जाना , रंगों की तरह ,
निर्लज्ज हवाओं की तरह छू न लेना ,
मेरा गदराये मौसम सा शरीर !!
..................आरोह में थे सब स्वर मेरे ,
तेरे निखरे बिखरे रंगों ने ,
होरी के दिन ,
अजब राग सिखा दिया !!
..........दर्द के सब रंग ,
होली के रंगों में बह गये मेरे ,
अब सब बेरंग है ,
सिवा खून के मेरे !!
.............अपने हाथों में गुलाल कम एहसास अधिक रखना ,
मेरा तन मन रंग देना एक ही बार सब !!
.................तेरे रंगों में तेज़ाब सा है कुछ ,
मेरा अहं पिघल गया सारा !!
................तू अपने रंगों को उधर देदे मुझे ,
संभाले रक्खूँगा अंतिम होली तक !!
...................मुझे न पता था ,
मेरा बसंत तेरे कारण हुआ ,
मैं तो समझा होली है आज !!
..............यार मत इठला , होली लगाने दे मुझे ,
कुछ लोग अनाड़ी समझ रहे हैं मुझे !!
................तोड़ दो बाँध सारे ,
आज यार चाहता है डुबोना मुझे !!
..........रंगे दामन को रंगें क्या , यार मेरे ,
मेरी तरह धुल के आओ हर बार , तो कुछ बात बने !!
...........सितम हर बार करो ,
और छुड़ालो दामन मुझसे ,
न समझ नादानी मेरी ,
ये तो होली की सौगात है ,
मजा भीगने का ले रहा हूँ आज !!
............आज तितलियाँ सारी पागल हुयीं ,
ये कौन पंख उनके , चुरा ,
मानुष को बेच आये आज !!
...........
नचा तुमने लिया तो नाच आये हम ,
क्या चला पता , होली में कौन पागल हुआ !!
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