Wednesday, 29 August 2012

थका कहाँ था मैं ?
थक गये पाँव थे ,
जम गयी थी शिराएँ ,
दृष्टि बढ़ चली थी , अंधत्व की  तरफ ,
कर्ण सुनते नहीं थे शब्द कोई ,
अन्न बिना पचे पड़ा था पेट में मेरे ,
पर मैं चला जा रहा था ,
निःशब्द , निडर ,
मृत्यु पथ पर ,
नए जन्म की  ओर ,
हर हार के बाद !!

Saturday, 5 May 2012


"उनसे  हमें  थी  झूमते  आस्मां  की  उम्मीद  ,
पल  में  गिरा  ज़मीं  पे  हमें  दिया !!"
..............
"ग़ज़ल  के  रंग  दिल  में  , और  दिल  में  ग़ज़ल  तू ,
तेरी  तस्वीर  का  रुख  ,मेरी  तरफ  हो  और  तू  हो  तकदीर  मेरी  ,
ऐसा  वक्त  आये  तो  क्या  ? क्या  ग़ज़ल  फिर  होगी  खुदा  !!"
.........
"नक़ल  के  भाव  बढ़े  इतने  , के  असल  सस्ती  लगे  अब  ,
अब  असल  को  असल  कहते  हुए  डर  लगता  है  !!"
...........
चला  जा  थोड़ी  देर  को  तू  , रंगे  महफ़िल  से  ऐ  खुदा  ,
महफ़िल  को  भी  तो  एहसास  हो  , खुदा  होता  है  क्या  !!"
...........
चुभने  लगे  फिर  प्यार  के  आंसू  ,
इन  अश्को  को  भी  मालूम  है  ,
कितना  नरम  दिल  हूँ  मैं  !!"
............
दिल  के  आईने  में  धुंध  सी  है  ,
मेरे  हुज़ूर  और  मैं  ,
बदल  बदल  दिखते  हैं  !!
.............
"किसके  हिस्से  में  कौन  आया , न  बता  ,
मैं  तेरे  हिस्से  में  हूँ  के  नहीं  , ये  बता  , काफी  है  !!"

Wednesday, 25 April 2012


"चाँद सवेरा ले आएगा , लगता है क्यूँ ,
मेरा मन पुच्छल तारा बन उम्मीद जगाये ,
अवलोकन करते जन में ज्यूँ !!"
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"जलने दे जिया कुछ और अभी ,
भटके पंथी , आस लगाये किरणों की अभी !!"
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"चलने दे अभी , मस्त जहां को छलने दे अभी ,
बेपरवाह सितारों को , चाँद की चाल , चलने दे अभी !!"
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"ग़ज़ल  के  रंग  दिल  में  , और  दिल  में  ग़ज़ल  तू ,
तेरी  तस्वीर  का  रुख  ,मेरी  तरफ  हो  और  तू  हो  तकदीर  मेरी  ,
ऐसा  वक्त  आये  तो  क्या  ? क्या  ग़ज़ल , फिर , होगी  खुदा  !!"
............
नक़ल  के  भाव  बढ़े  इतने  , के  असल  सस्ती  लगे  अब  ,
अब  असल  को  असल  कहते  हुए  डर  लगता  है  !!"
...........
"चला  जा  थोड़ी  देर  को  तू  , रंगे  महफ़िल  से  ऐ  खुदा  ,
महफ़िल  को  भी  तो  एहसास   हो  , खुदा  होता  है  क्या  !!"
.........
"चुभने  लगे  फिर  प्यार  के  आंसू  ,
इन  अश्कों  को  भी  मालूम  है  ,
कितना  नर्म  दिल  हूँ  मैं  !!"
.............
"दिल  के  आईने  में  धुंध  सी  है  ,
मेरे  हुजुर  और  मैं  , बदल  बदल  दिखते  हैं  !!"
...........
"किसके  हिस्से  में  कौन  आया  न  बता  ,
मैं  तेरे  हिस्से  में  हूँ  के  नहीं  , ये  बता  , काफी  है  !!"
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"आराम  से  राम  का  ले  नाम  ,
सनम  तो  वैसे  भी  तुम्हारे  हैं  ,
पर  नाम  में  है  आराम  और  केवल  आराम  !!"
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"मजूरी  करूँ  दिल  से , न  कोई  मजबूरी  ,
जब  मालिक  मेरा  सनम  होवे  ,
गुलामी  भी  शाम  सिन्दूरी  !!"
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"दूध  को  दही  बना  आया  ,
अब  खीर  बनादे  , कहे  यार , खुदाया  !!
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"अंदाज़  मेरे  सब  तुमसे  शुरू  और  तुम  पे  ख़तम  ,
मेरा  नाम  भी  बस  मेरा  नहीं  , जो  तुम  न  पुकारो , तो  !!"
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"हर  जन्म  कोई , जिस्म  मैं  ढोता  हूँ  ,
और  बोझ  उतरने  पे  रोता  हूँ  !!"
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"हमसे  उम्मीद  सितारों  की  रक्खे  है  जो  ,
कैसे  उससे  कहदें  के  खाक  भी  हाथों  में  नहीं  मेरे  !
उनकी  उम्मीद  से  जिंदा  मैं  भी  हूँ  ,
उठते  उसके  साथ  ही  दुआ  में  हाथ  मेरे  !!"
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"सिर्फ  उतनी  दूर  चलो  साथ  मेरे  ,
के  दूरी  भी  तय  हो  और  मन  भी  न  भरे  !!"
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किताबों  से  निकल  बहार  आये  अक्षर  ,थोड़ी  हो  जाए  धूप  ,
बंद  वर्षों  से  हैं  हम  , कोई  हमसे  बतियाता  नहीं  !!"



Sunday, 22 April 2012


"मैं  वक्त  का  गुलाम  हूँ  , मुझे  हर  घड़ी  नचाये  वक्त  ,
कभी  डुस्कुओं  रुलाये  वक्त  , कभी  खिलखिला  के  हंसाये  वक्त  !!
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"मयकदे  में  हालात  अच्छे  न  अब  ,
सूरते  हालात  अच्छे  न  अब  ,
हर  हलक  को  चाहिए  , जाम  अनगिनत  ,
और  गम  का  नशा  , सब  बिखरा  सा  है  !!"
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"दिलकश  हैं  नज़ारे  तो  मुबारिक  तुम्हें  ,
अपना  तो  माज़ी  है  रूठा  हुआ  !!"
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बदला  ज़माना  और  बदले  हैं  वो  ,
हर  कदम  पर  मरने  की  धमकी  दें  वो  ,
उनको  मालूम  है  मैं  उनसे  डरता  नहीं  ,
अब  हालात  की  गर्मी  में  जलाने  लगे वो !!"
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"कुछ  तो  होंगे  हालात  , बद  से  भी  बदतर  ,
यूँ  ही  शह्नयिओन  की  धुन  , मातमी  न हुई  होगी  !!"
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"मुझको  गम  दे  के  चले  तो  हो  , बंदापरवर  ,
पर  ये  गम  मुझको  परेशां  नहीं  करते  ,
मैं  तो  हालात  को  पैमाना  बना  ,
गम  का  रोज़  नशा  करता  हूँ  !!"
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"इक  सितारा  मेरी  खुशियों  का  भी  था  दुनियां  में  ,
टूट  के  कब  राख  हुआ  , देखा  ही  नहीं  !!"
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"मैं  बिखर  गया  जहां  में  टुकड़ा  , टुकड़ा  ,
सहेज  , समेट  के  रखना  , कहीं  मिल  जाए  अगर  !!"
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मुझको  कभी  चाँद  दिखाना  मत  ,
चांदनी  दिन  में  ही  छल  गयी  कई  बार  !!"
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"किसी  अजनबी  को  भी  पीड़ा  में  देख  चिंतित  होना  , स्वाभाव  है  मेरा  , कोशिश  नहीं  ,
और  इस  स्वाभाव  ने  रुलाया  बहुत  , दुखाया  बहुत  , और  धोखे  भी  बहुत  खाए  मैंने  ,
पर  संभव  नहीं  बदलूँगा  मैं  ,या  स्वाभाव  मेरा  !!"
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"कौन  सितारा  है  जो  ,चमकना  न  चाहे  ,
पर  जल  जाना  चाह  में  , हर  किस्मत  में  कहाँ  !!"
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"बटोही  को  , दो  टुकड़ा  , छांह  से  मतलब  ,
जात  क्या  पूछूं  , पेड़  कौन  सा  ?"
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"मोहब्बत  अगर  दिमाग  से  होती  तो  दिल  रोता  ,
अब  दिल  से  है  तो  भी  रोता  है  दिल  , सुभानल्लाह  !!
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"खानाबदोश  को  ज़मीं  से  क्या  ,
जहाँ  चल  दिए  , वहीँ  वतन  अपना  !!"
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"चलो  जिंदगी  की  कश्मकश  से  निजात  पा  लें  दो  घड़ी  ,
झूठ  ही  सही  , पर  खुदा  को  खुद  बना  दें  दो  घड़ी  !!"
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"दिल  खोल  हंस  लिए  , अपनी  गल्तियों  पे  आज  ,
अगर  सदा  होते  सही  तो  , पछताते  हम  आज  !!"
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उनसे  हमें  थी  झूमते  आस्मां  की  उम्मीद  ,
पल  में  गिरा  ज़मीं  पे  हमें  चल  दिए  !!"
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बर्फानी  आशाओं  में  इक  चिंगारी  छोड़ी  , 
अब  खुश  हैं  वो  आग  , तबाही  से  !!

Friday, 20 April 2012


"चलो  चलके  झील  में  हंसों  से  बतियाएं  ,
चुने  मोती  कितने  , कितना  अलग  किया  पानी  ,
कितना  दूध  मिला  था  , मानसरोवर  में  ,
जो  नदियों  में  बहना  भूल  गया  है  अब  ,
कौन  थी  गुजरिया  , क्या  नाम  उसका  था  ,
जिसने  नदिया  का  दूध  बिलोया  था  ,
और  नदी  का  दूध  बन  गया  पानी  ,
चलो  हंसों  से  पूछें  आज  !!"
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"इस  जहाँ  में  कुछ  अकेले  , जग  से  खेले  ,
अब  अकेले  ही  झुण्ड  का  अहसास  देते  हैं  ,
और  असंभव  दिखने  वाला  कम  ,
सहज  में  करके  जाते  हैं  !!"
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बहुत  बोल  लिए  अब  , कुछ  मौन  हो  जाए  ,
इक  चुप  बस  इक  चुप  , समाधान  हो  जाए  !!"
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"खली  हाथ  चले  आओ  , किसने  कहा  ख़ाली  है  जहाँ  ,
ख़ाली  हाथ  चले  चलो  , भरा  वो  जहाँ  भी  है  !!"
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"बहुत  बार  किया  मैंने  कुछ  ऐसा  , अपनों  को  पराया  कर  आया  ,
जिसको  समझा  था  मैं  दगा  , वो  निकला  वफ़ा  का  साया  !!"
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"सगरे  जगत  में  तू  तारणहार  ,
जगत  भी  तू  और  नाव  भी  तू  ,
सवार  भी  तू  और  पतवार  भी  तू  ,
फिर  क्यों  झंझट  में  मन  है  ,
करता  भी  तू  ,करतार  भी  तू  !!"
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"जड़  से  जुडूं  और  उडूं  आकाश  ,
ऐसे  हैं  एक  सहारे ,
माँ  बाप  हमारे  पेड़  सामान  !!"
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"सिर्फ  मन  है  मेरे  साथ  , जो  दिल  को  मना  लेता  है  ,
बिगाडूँ  उसे  भी  , मेरे  बस  में  कहाँ  ."
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"दिल  से  खेलोगे  और  दाद  मिलेगी  ,
यार  वहम  ये  कितना  अच्छा  है  !!"
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"मैं  नहीं  कहता  मुझे  शायर  मान  ,
दिल  का  मारा  तो  कह  ही  सकते  हो  ,
तू  तारीफ़  में  न  बोल  , कुछ  मीठे  बोल  ,
दारू  सा  कड़वा  कुछ  , हलक  में  तो  घोल  !!"
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"मुझे  संदेशे  कोई  नहीं  आते  , और  मैं  उब  भी  गया  हूँ  मेलों  से  ,
जिन  रिश्तों   में  नहीं  अपनापन  , उनको  खींचने  की  ज़रुरत  भी क्या  है  !!"
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"प्याला  मेरा  भर  दे  कोई  , अंगूरी  अंगूरी  ,
तन्हाई  के  आलम  में  , शाम  बने  सिन्दूरी  सिन्दूरी  ,
अपने  कहाँ  मिलते  हैं  ज़माने  में  अब  ,
इक  जाम  जिगर  में  हो  तंदूरी  तंदूरी  !!
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"आओ  चलो  करलें  तौबा  , न  तुम  बोलो  , न  मैं  बोलूँ  ,
बस  एक  चांदनी  की  चादर  , खामोश , शिकायत  पे  डालें  !!"
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"न  कोई  चाहने  वाला  फिर  भी  , इक  आवाज़  लगाता  हूँ  , आये  कोई  !
अपना  न  कहे  , हसरत  से  चाहे  मुझे  , पर  पास  बुला  , बहला  भर  जाए  कोई  !!"
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"घूँट  दर  घूँट  , पीता  ही  गया  कड़वे  घूँट  ,
अब  न  दिल  ख़ाली  न  जिगर  ख़ाली  !!"
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"सूरज  , पवन  , आकाश  , जल  , पृथ्वी  के  बिना  जीवन  कहाँ  ?
पर  वो अपने  कर्तव्यों  का  रोना  कभी  नहीं  रोते  ,
और  एक  हम  , हर  कदम  एहसान  जताए  जाते  हैं  !!"


यूँ  ही  ऊंचाईयों  पे  जा  बैठे  परिंदे  , आकाश  अपना  समझ  बैठे  हैं  ,
रात  ढलने  पर  आसरा  मिलता  है  तो  जमीं  पे  बस  !!"
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"हर  तरफ  उम्मीद  बस  उम्मीद  ,
और  नासूर  भरते  नहीं  देश  के  मेरे  !!"
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"इक  घरौंदा   , रोटी  इक  , और  तन  को  कपडा  न  मिले  सबको  तो  ,
आजादी  किसका  नाम  और  करनी  भी  क्या  !!"
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"चारों  तरफ  ही  है  शोर  , चोर  चोर  , चोर  चोर  ,
सिपाही  इस  खेल  में  अब  कोई  बचा  ही  नहीं  !!"
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"जो  भी  बचा  है  देशप्रेमी  इस  देश  में  ,
है  परीशां  ,कौन  है  जिसको  सुनाएं  , दिल  का  हाल  !!"
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"जो  भी  उठता  आवाज  , सुधरो  और  सुधारो  ,
उसको  बची  बस इक  जगह , बस , जेल  जेल  , जेल  जेल  !!"
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"सब  निवासी  उदास  हैं  और  बे - आस  हैं  , राजनीति  में  भरे  सब  ....................

Wednesday, 18 April 2012

प्रथम  अभिव्यक्ति  हो  मेरी  तुम ,
अब  तुम  ही  रहो  मौन , तो  क्या  किस्मत ?
प्रथम  संध्या  हो  मेरी  तुम ,
अब  तुम  ही  रहो  गौण , तो  क्या  किस्मत ?
प्रथम  दिवस  हो  तुम  मेरा  ,
अब  तुम  ही  न  जागो , तो  क्या  किस्मत ?
प्रथम  रात्रि  हो  मेरी  तुम ,
अब  तुम  ही  बनो  स्वप्न , तो क्या  किस्मत ?

"तरोताज़ा  हो  आना  तुम  , खामोश  सुबह  , शबनम  की  गली  ,
मैं  निहार  घटाओं  का  आंचल  , आ जाऊंगा  सपनों  में  तेरे  !!"
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"जहाँ  जीत  लो  जुबान  में  रस  है  भरा  ,
शहद  भी  है  इसमें  और  ज़हर  भी  भरा  ,
युक्तिसंगत  तुम  इनका  करलो  प्रयोग  ,
और  क़दमों  में  करलो  तुम  वसुंधरा  !!"
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"अजब  हालात  में  रिंद  घर  आया  ,
मयकदा  छोड़  सीधा  घर  चला  आया  ,
न  गम  का  ख्याल  न  इज़हारे  ख़ुशी  ,
न  रोना  धोना  न  शेरोशायरी  ,
न  गिरना  पड़ना  , न  माशूका  का  जिक्र  ,
बस  सीधे  सीधे  घर  चला  आया  ,
या  तो  दिल  पे  लगी  चोट  ,या  मय  का  है  कसूर  ,
मेरा  यार  यूँ  कभी  पैरों  पे  न  आया  !!"
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"निशानियाँ  ख़त्म  कर  दल  , दिल  से  बहारों  की  ,
फानी  है  जब  जहाँ  तो  , सिर्फ  खुदा  को रख याद  !!"
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"निकल  के  आएगा  सच  , कहाँ  कहाँ  से  खुदा  ,
झूठ  का  बुत  , परदे  में  खुदा  और  जहाँ  झूठा  !!"
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"पत्तों  को  दर्द  दिखा  आया  हूँ  ,
अब  ज़रा  सी  हवा  लगते  ही  ,
नगमों  का  गुमान  होता  है  !!
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"हलके  हलके  से  उतर  आता  है  नशा  चाँदनी  पे  सवार  ,
और  समंदर  बहका  बहका  सा  चाँद  छूने  , उछल  पड़ता  है  !!"
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"शतरंज  के  मोहरों  को  सिर्फ  पिटना  है  ,
हारेगा  खिलाडी  तो , जीतेगा  भी  इक  दिन  !
घबरा  न  किस्मत  के  मोहरों  से  तू  हारा  है  आज  ,
बाजी  पलटेगी  किस्मत  इक  दिन  !!"
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"इक  सफ़र  तय  नहीं  ,दूजे  की  फिक्र  होने  लगी  ,
ठहरता  ही  नहीं  मन  किसी  मंजिल  पे  , खुदा  !!
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"तबाही  का  सब  सामान  सजा  ,
बंदा  खुश  है  के  मैं  हूँ  महफूज़  !!"
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अगरचे  दुनियां  , दुनियां  होती  , और  इंसान  होता  , खुदा  ,
तब  भी  क्या  मोहब्बत  के  यही  मायने  होते  ?"
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"खुदा  खुश  तो  मैं  खुश  ,
पर  खुदा  मुझसे  खुश  ,
होगा  कभी  क्या  ?"
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"मैं  हर  गुनाह  पे  खुदा  खैर  करे  कहता  हूँ  ,
अब  खुदा  की  खुदा  जाने  !!"
...........
"असर  मुझपे  दुआओं  का  क्या  होगा  ,
मौत  पीछे  लगी  जब  से , पैदा  मैं  हुआ  !!"
............
"वाजिब  है  तिलमिलाना  , दर्द  से  गुज़रा  है  दिल  ,
संभल  जाएगा  , हद  हो  जायेगी  जब  !!
......
"इक  पल  को  धरा  छोड़  दे , अम्बर  में  मुझे  ,
फिर  मुझे  माँ  की  , उछालती  , बाहों  की  याद  हो  आएगी  !!"
...........
ये  खोखली  जिंदगी  और  ये  खोखले  वादे  तेरे  ,
कुछ  भरी  हैं  तो  मेरी  आँखें  ,
जो  छलक  आती  हैं  तन्हाई  में  !!"
...........
कैसे  कह्दूं  तेरा  ख्याल  आता  ही  नहीं  ,
कैसे  अपने  ही  दिल  को  धोखा  दे  दूं  !!"
...............
"इक  सितम  फिर  से  मुझपे  कर  दो  ,
फिर  दो  घड़ी  अनजान  बनों  मेरे  लिए  !!"
............
"चाँद  को  अपना  चेहरा  मत  दिखा  ,
उसको  छुपने  को  बादल  को  बुलाना  होगा  !!"
..........
"फिर  मुझे  अपनी  बाहों  में  लेले  माँ  ,
आँखों  में  बरसात  हुयी  ,
और  झुला  झूलूँ  बाँहों  का  , मन  में  है  आज  !!"
.........
"रहे  घूम  के  आयीं  मंजिल  तक  , मंजिल  थी  वहीँ  ,
पर  मंजिल  पर  ठहरा  कौन  ?
लुत्फ़  उठा  , मंजिल  को  पा  , घर  वापिस  लौटा  कारवां  ,
और   राहें  चलती  रहीं  घर  से  मंजिल  और  मंजिल  से  घर  तक  !!"
..........
अनजान  लोगों  से  पहचान  बनाने  को ,
मैं  मन  हारा  , और  जग  सारा  !!"

Tuesday, 17 April 2012


"बातें  उनकी  , जग  को  समझ  नहीं  आतीं   , और  पागल  भी  , उनको  ही  कहते  लोग  !!"

...........
"सितारों  से  दामन  भरने  का  दम  भरते  हैं  वो  ,
पर  चिंगारियों  से  डरते  हैं  वो  ,
अजब  सपने  दिखा  रहे  हैं  गुलिस्ताँ  में  बहार  के  ,
और  उजड़े  चमन  के  उल्लू  के  रिशतेदारां  हैं  वो  !!"
..........
"सिर्फ  दूर  रहो  तुम  इतना  के  पराया  न  लगे  ,
और  क़रीब  आओ  तो  इतना  ,की  अपना  कहूं  और  बुरा  न  लगे  !!"
..........
"समंदर  पी  लिया  करते  हैं  कई  बार  , सूखे  पत्ते  भी  , और  कभी इक  बूँद  भी  न  समा  पाती  हलक  में  फलक  के  !!"
...........
"सिर्फ  इतना  समझ  आता  है  के  मैं  हूँ  , था  ? या  हूँगा  ? खुदा  जाने  !!"
................
"अपनी  डगर  का  पता  नहीं  , नदिया  को  रास्ता  बता  रहा  हूँ  मैं  ,
खुद  खड़ा  गुमनाम  और  ,राह  चलतों  को  उपनाम  दे  रहा  हूँ  मैं  !!

"कसम उनको भी दो यार , जो सनम को बहका आये कि वो धोखे में हैं ,
मेरी ही जुबान क्यों बंद रहे , मौकाए इज़हार में !!"
.............
बस्तियां हसीं और बाशिंदे नौबहार ,
फिर गुलिस्ताँ में खिजाँ की नौबत क्यों है आज ?"
........
क्यों अहसास हुआ मैं चूका , क्यों जाना अब समय नहीं ,
क्यों आँखों में आंसू आये , इक उम्र गुज़र जाने के बाद !!
...............
"हरी सिमरन को बचा है क्या अब , पश्चाताप की अगन के बाद ,
अब तुम सोना , सोने सा दिल , हरी विराजे तुम में आज !!"
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"रौनकें सदा बादशाहत में हैं , कभी जय जय करो अपनी भी तुम ,
कभी बाँट दो अपने हिस्से के सुख , और हासिल करो मन की शांति तुम !!"
.......
"तेरी शामों में मेरी इक शाम और मेरे छालों का दिल से मिट जाना ,
जैसे लू की जलन से चेहरे को , शबनम का मरहम मिल जाना !!"
...........
"फिर से गुज़र गया तूफ़ान , और हिंडोले डोलते रहे ,
घर में दुबके चेहरे , इक झूले को तरसते रहे !

Monday, 16 April 2012


"मैं  देखता  हूँ  दरख्तों  के  साए  , कभी  लम्बे  होते  कभी  छोटे  होते  ,
मैं  देखता  हूँ  , बादल  के  टुकड़े  , कभी  घनघनाते  , कभी  छितराते  ,
मैं  देखता  हूँ  ,मौसम  के  तेवर  , कभी  ठन्डे  ठन्डे  ,कभी  जलते  शोले  ,
यहाँ  पर  खड़ा  कुछ  भी  नहीं  , फिर  मैं  क्यों  चाहता  हूँ  , जीवन  को  रोके  रखना  ,
चल  रे  चल  , यहाँ  कुछ  भी  न  अचल  !!"
.........
"गाँव  अब  खेत  हुए  शहरों  के  लिए  ,
खेतों  में  बोते  हैं  अब , दुःख  दर्द  नए  !
गाँव  की  बोली  अब  , बूढों  के  लिए  ,
बच्चे  अब  गाँव  के  अँगरेज़  हुए  !"
............
"उपवन  में  वन  की  झलक  मिलने  लगी  अब  ,
माली  अब  उदासीन  हुआ  , सड़कों  के  किनारे  बोता  है  फूल  !!"
..........

मुझ  में  कुछ  , रहा  न  बाकी  , सब  गया  ,
इक  खुदा  , इक  उसकी  याद  , और  बुत  इक  ,बन  गया  !!"

...........
"जो  न  थे  मेरे  उसूल  , अब  बन  गये  ,
इन  ठोकरों  ने  , जग  में  रहना  सिखा  दिया  !!"
...........


"दवा  की  शीशी  में  सोना  बिकता  है  अब  ,
गरीब  की  पहुँच  से  बाहर  हैं  अब  !!"
.............
अजी  क्या  सुनाएं  दिल्ली  की  बातें  , दिल्ली  में  दिल  रह  गया  ,
हुक्मरान  कोई  पागल  न  थे  , दिल्ली  को  दिल  , दर्ज़ा  दिया  !!"
................
जुबान  से  दिल  गया  ,और  दिल  से  जुबान  ,
इस  प्यार  ने  सब  कर  दिया  है  अस्त  व्यस्त  !
जिस्म  में  है  रूह  , या  रूह  है  जिस्म  बिना  ,
इस  प्यार  ने  जग  को  बनाया  मस्त  मस्त  !!"
.............
झरोखों  से  रौशनी  आने  तो  दी  ,
पर  दिल  जला  , तब  रूह  ,रौशन  हुई  !!"
........
"दिल  उनका  रूह  पे  कब्जाई  हुआ  ,
क्या  करें  जब  दिमाग  तमाशाई  हुआ  !!"
..............
"ये  तब्दीलियाँ  , बचपन  से  बुढ़ापे  तक  की  हैं  ,
यूँ  ही  नहीं  जय  इक  दिन  में  , सयाना  हो  गया  !!"
...........
"ये  सयानापन  मेरा  बचपन  में  भी  था  ,
पर  तब  , बचपना  , इसे  कहते  थे  लोग  !!"
...............
सयानापन  , जवानी  , दो  धुरे  हैं  दूर  दूर  ,
जो  सयाना  , जवान  कैसे  ? जो  जवान  तो  अक्ल  का  क्या  काम  ?"
................
"दिल  खोल  के  हँसता  है  मलंग  ,
रोने  से  दिन  बदले  हैं  क्या  ?"
.................
"जुल्मी  हैं  पिया  , देखा  भी  , और  अनदेखा  भी  किया  !
बोझिल  है  जिया  , धड़के  भी  और  धधके  भी  हिया  !!"
.............
"चलो  फुर्सत  के  वक्त  ,कुछ  तारे  गिनलें  ,
ज़माना  गुजरा  है  , अम्बर  पे  नज़र  डाले  हुए  !!"
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"मलिन  मुख  से  , दरिद्रता  न  हटेगी  ,
कुछ  हस  बोल  , रिझा  अपने  सनम  को  ,
वर्ना  रोते  रहोगे  , सजन  सौतन  का  हुआ  ,
यूँ  ही  नहीं  , अशर्फी  बायीं  का  चले  सिक्का  जहां  में  !!"
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"लफ़्ज़ों  को  तरतीब  में  रख  , और  दिल  से  बोल  ,
वाह  बोलेगा  ख़ुदा  , और  ज़माना  ग़ज़ल  सुन  लेगा  !!"
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"अभी  बस  सुन  ले  तू  , ख़ामियां  बहुत  हैं  मेरी  तक़रीर  में  ,
नुक्ताचीनी  भी  सुन  लूँगा  तेरी  ,पर  वक्त  के  पहले  ही  तू  , मौत  तो  न  दे  !!"
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"सूरज  को  जलता  देख  ,
रौशनी  देता  है  , खाक  होने  के  लिए  !!"
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"मेरी  रूह  पे  पर्दा  है  जिस्म  ,
और  इसको  जलना  भी  है  , मौत  के  बाद  ,
तो  क्यों  न  ,जिन्दा जी  इससे  अलग  हो  लूं  मैं  ,
असल  क्या  है  उसका  भी  तो  नज़ारा  कर  लें  !!"
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"खुदा  के  गुनाहगारों  में  मैं  भी  हूँ  ,
यूँ  ही  तो  ख़ुदा  मौत  न  देता  होगा  !!
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"खुदा  के  पास  है  क्या  मेरी  फितरत  के  बाद  ,
मैं  भी  तो  उसकी  फितरत  का  ही  नज़ारा  हूँ  !
जो  मैं  हूँ  ख़ुदा  की  फितरत  से  ,
तो  वो  भी  ख़ुदा  , मेरी  फितरत  से  जनाब  !!"
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"मैंने  जिक्र  कमाया  है  , होता  है  अब  , सब  जगह  ,
पर  फिक्र  क्यों  है  अब  , जिक्र  अच्छा  ही  हो  !!"
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"हैराँ  कर  के  मुझे  चल  दिए  तुम  कौन  जहाँ  ,
मैं  समझा  मज़ाक  हो  रहा  है  अभी  , तुम  हो  वफादार  अभी  !!"
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"खुदा  भी  खुद  से  खेलता  है  कभी  ,
कभी  फैलता  है  , कभी  सिमट  आता  है  मुट्ठी  में  मेरी  !!"
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"बस  इस  बहाने  से  सताले  मुझे  ,
मैं  तेरा  कुछ  भी  नहीं  !!"
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"बस  मेरी  नज़र  भर  दुनियां  है  ,
उस  से  ओझल  कुछ  भी  नहीं  !

Monday, 19 March 2012


"उनकी  लड़ाई  भूख  से  थी  ,
ज़ेहन  बीते  दिन  , भूख  से  हारा  था  ,
अब  रोटी  भारी  थी  , लड़ाई  जारी  थी  ,
ज़ेहन  अब  शोकेष  में  , बड़े  लोगों  के  घर  ,
पूजा  करवाता  है  , काले  धन  के  बदले  में  ,
भूख  सदा  जीती  है  और  गरीब  सदा  जीवन  हारा  है  !!"
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"प्रिय  को  मुख  दिखा  आई  वसुंधरा  ,
सूर्य  का  मुख  , तप्त  हो  लाल  हुआ  ,
घन  गरजे  , बिजुरी  चमके  ,
पिया  को  हर्षा  आई  वसुंधरा  !
लज्जा  के  इन्द्रधनुषी  रंग  उभरे  ,
चन्द्र  टीका  माथे  लगा  आई  वसुंधरा  ,
गगन  आया  तारों  की  बारात  सजा  ,
विधु  पति  चुन  आई  वसुंधरा  !!"
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"आंधियां  कहाँ  खुश  हैं  तबाही  से  ,
उन्हें  भी  तो  चिढ़ा  रहा  मौसम  का  मिजाज़  !!"
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"मैं  खतावार  ना  था , किसे  मालूम  ?
सजा  मुझको  हुई  , गुनाहगार  हूँ  अब  !!"
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"इक  रोटी  में  बिका  ईमान  ,
अब  देता  है  ईनाम  ज़माने  को  !!"
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"ज़ेहन  बिक  गया  था  जिनका  निवाले  में  ,
ज़माने  भर  के  अब  नुक्ताचीं  हुए  !!"
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"परिंदे  को  परवाज़  पे  जाते  देखा  तो  ,
ना  जाना  ख़तरा  क्या  है  ,
अब  अनजान  जहां  में  निकला  तो  ,
खतरों  की  तासीर  को  जाना  , क्या  है  !!"
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"कुछ  स्याही  है  माथे  पे  , धो  दूंगा  निकल  जायेगी  ,
दिल  से  रंज  के  दाग  , जाते  ही  नहीं  , नेकी  के  बिना  !!"
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"उसने  घुटनों  में  सर  दे  रोना  सीख  लिया  ,
गम  को  सीने  में  दबा  सोना  सीख  लिया  !!"
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वो  खुश  हैं  दवा  ले  आये  , ले  आये  चाहे , मरने  के  बाद  ,
अब  कोई  तोहमत  सर  ना  आएगी  , की  कोशिश  ना  हुई  !!"
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"मैं  शामिल  हूँ  कायनात  में  , कहाँ  मालूम  था  ,
मुझे  दिखती  थी  कायनात  अलग  , और  मैं  अलग  ,
खुदा  शामिल  है  कायनात  में  , कहाँ  मालूम  था  ,
मुझे  दिखती  थी  कायनात  अलग  , खुदा  अलग  ,
अब  आँखें  खुली  तो  सब  दिखता  है  ,
मुझमें  खुदा  ,खुदा  में  मैं  ,
कायनात  मुझमें  और  कायनात  में  मैं  !!
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"मैं  , मैं  को  मैं  ना  बोलूँ  तो  क्या  बोलूँ  ?
ख़ुदा  का  हिस्सा  हूँ , खुदा  हूँ  ,
पर  जहाँ  भी  तो  चलाना  है  !!"
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"ये  जिंदगी  जलवों  में  गयी  ,
खुद  से  वाबस्ता  ना  हो  पाया  कभी  ,
और  अब  ये  आलम  है  , के  सिर्फ  तू  है  ,
तमाशा  भी  , तमाशाई  भी  !!"

Sunday, 18 March 2012


"सिर्फ  इक  गली  बाकी  है  , जहाँ  मेरा  जाना  ना  हुआ   ,
अब  उसमे  जाते  हुए  डरता  हूँ  , क्या  होगा  अगर  यार  , यहाँ  भी  ना  हुआ   !!"
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"खुला  छोड़  आसमान  , अभी  तारे  गिनने  हैं  मुझे  ,
चाँद  से  बतियाना  है  , इन्द्रधनुष  चुनने  हैं  मुझे  !!"
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"तुम  हसीं  , तो  दुश्मन  मेरे  ,
जगाते  हो  नींदों  में  मेरी  !!"
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"इस  शहर  में  खाली  दुकान  ,खाली  मकान  कोई  नहीं  ,
सब  ओर  शोर  बस  गया  , तन्हायिआँ  गयीं  !!"
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"खुदा  के  वास्ते  खुदा  से  कह  ,
तेरा  यार  खड़ा  है  दर  पे  तेरे  ,
मरने  के  लिए  , तेरे  नखरे  उठाने  के  लिए  !!"
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"दिन  के  उजाले  में  भी  डर  लगता  है  अब  ,
रातों  ने  करीब  आने  ना  दिया  यार  !"
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"समंदर  , मेरा  ना  हुआ   ! पर्वत  मेरा  ना  हुआ   !
कायनात  में  कुछ  भी  , दिल  से  मेरा  ना  हुआ  !
मैं  तड़प  के  हर  ख़ुदा  के  घर  सर  नवा  आया  ,
सब  कहते  हैं  , तेरा  यार  है  रूठा  हुआ  !!"
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"जला  के  मेरा  दमन  वो  ,
अब  यारी  का  दम  भरते  हैं  !!"
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जला  भी  ले  दिल  के  चिरागों  को  अब  ,
वक्त  तेरे  दिल  में  मेरे  आने  का  हुआ  !!"
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"मैं  आकाश  में  लिख  आई  , हवाओं  से  तेरा  नाम  ,
अब  सारी  कायनात  की  साँसों  में  तू  ही  तू  बसता  है  !!"
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"किनारे  भी  बहे  , दरिया  भी  बहे  , कश्ती  भी  बही  धारे  में  ,
दिल  से  उबल  आये  जो  नाले  , मांझी  भी  बहे  , सहारे  में  !!"

Saturday, 17 March 2012


रोज़  जिंदगी  सुप्रभात  कहके  जगाती  मुझे  ,
और  मैं  बीते  दिन  के  गिले  शिकवे  ले  , झगड़  पड़ता  हूँ  उससे  !!"
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"तेरी  दी  दौलतें  ख़त्म  न  होतीं  मरने  तक  ,
साथ  ले  नहीं  जा  सकता  , दुःख  रहता  है  मुझे  !!"
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"जिंदगी  को  कभी  खुद  पे  चुटकुला  मान  के  चल  ,
पसंद  करेगा  तो  मज़ा  ले  हँसता  रहेगा  ,
चिढेगा  तो  जिंदगी  ऐसे  रोज़  और  कई  सुनाएगी  चुटकुले  !!"
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"दम  रख  ज़माने  में  ,
हर  कदम  करतार  नाचते  देखना  चाहता  है  तुझे  ,
शोले  की  बसंती  की  तरह  , यार  के  लिए  !!"

Friday, 16 March 2012


"पर्दा  तो  सिर्फ  आँखों  का  है  ,
मन  के  आगे  बेपर्दा  हैं  सब  !!"
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वो  नगमा  मचलता  तो  है  अंतर  में  मेरे  ,
पर  गड्डमगड्ड   हैं  बहरूपिये  शब्द  मेरे  ,
शक्ल  कोई  उभरती  ही  नहीं  !!"
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"वो  इक  बार  भी  न  बोले  मुझसे  ,
और  जुबान  में  मेरे  छाले  पड़े  हैं  !
कमबख्त  नादानियाँ  मेरी  ,
जला  डाला  दिल  उनका  !!"
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"हालात  ने  सिखा  दिया  मुझे  खामोशियों  का  राज़  ,
अब  बेवजह  , बेवक्त  , कुछ  मैं  बोलता  नहीं  !!"
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"काश  हम  भी  कोई  जंग  हारे  होते  ,
होती  अपनी  भी  प्यार  की  दास्ताँ  यार  !!"
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"वो  नगमा  , हर  रोज़  , नया  गाते  हैं  ,
और  मेरे  हाथों  में  साजे  दिल  बजे  हर  रोज़  !!"
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"जम  में  खनक  है  , ख्याल  बजने  सी  ,
जल  तरंग  की  जगह  , मय  तरंग  बज  रही  है  आज  !!"
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"वो  मोती  चमड़ी  उगा  लाये  आज  ,
तंज  फिकरे  नाकाम  हो  रहे  आज  !!"
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"नाकामियों  से  घबरा  गये  क्यों  तुम  ,
ये  कायनात  खुदा  की  नाकामी  ही  तो  है  !!"
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"जहां  में  सब  देते  भी  हैं  और  लेते  भी  हैं  कुछ  ,
हर  शै  जब  खुश  है  तो  दुखी  क्यों  तू  !!"
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"वो  आये  और  मुस्कुराए  दरवाज़े  की  ओट  ,
मैं  दीवाना  हुआ  बस  मुस्कुराता  ही  रहा  , समझा  न  प्यार  !!"
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"उनकी  आँखों  में  जन्नत  भी  थी  , दोज़ख  भी  ,
मैंने  दोज़ख  झेला  उनकी  ज़न्नत  के  लिए  !!"
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"सब्ज़  थे  उनके  ख्वाब  ,
छोड़  आया  मैं  शबे  माह  उनके  लिए  !!"
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"नाखुदा  को  भी  खुदा  कह  दूं  इक  बार  ,
कश्ती  तो  लगे  किनारे  इक  बार  !!"
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"बहके  बहके  से  ख्याल  ,
बहके  बहके  अरमान  ,
अब  तो  खुदा  ही  करे  खैर  ,
दीवाना  होके  दिल  पहलू  से  गया  !!"
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जो  ना  बोले  तुम  तो  शुक्रिया  ,
पर  हैराँ  हम  भी  हैं  मेहरबानी  पे  तेरी  !!"
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"मुद्दा  ये  नहीं  , अकेले  हैं  हम  ,
पर  साथ  गम  भी  नहीं  , दिल  भी  अकेले  में  है  !!"
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"जिक्र  करना  भी  गवारा  नहीं  अब  उनको  ,
बेशर्म  मेहमान  हम  , इस  कदर  उनके  दिल  के  हुए  !!"
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"जन्म  से  आँधियों  के  हैं  शुक्रगुज़ार  हम  ,
तूफ़ान  तेरी  नादानियों  के  ,
झेल  जाते  हैं  चिराग़  मेरे  अब  !!"
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"समस्या  कभी  कोई  थी  ही  नहीं  ,
दिल  तेरे  पास  ना  था  , जुनूँ  मेरे  पास  ना  था  !!"
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"पी  के  उलट  गये  वो  कई  बार  , आदतन  ,
अब  उलट  के  पी  गये  कई  बार  , बेगैरतन  !!"
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"तेरी  खामोश  निगाहों  में  तिर  आये  हैं  प्रश्न  नए   ,
मेरी  आँखें  अब  ढूंढ  रही  हैं  , कोने  नए  , छुपने  के  लिए  !!"
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"जब  आशाओं  पे  बादल  काले  घिर  आये  हों  , तो  एक  कदम  ,
बस  एक  कदम  है  बारिश  और  बादल  छट  जायेंगे  !!"
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"शैशव  से  आँखें  ना  होती  तो  था  दोष  ,
अब  मन  ही  ना  देखे  तो  मूरख  बोल  अँधा  तो  ना  बोल  !!"
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"हुस्न  की  होलियाँ  हुई  हजारों  बार  , मन  प्रहलाद  सा  बच  निकला  हर  बार  !!"
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"रंग  सब  बिक  गये  होलियों  में  , मासूमियत  के  सिवा  ,
मेरा  बचपन  अभी  भी  हर  रंग  पे  छा  जाता  है  !!"
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"जादू  हुआ  ना  गुलाम  मेरा  ,
तेरा  जादू  अभी  भी  सर  चढ़  के  बोलता  है  ज़मानें  में  !!"
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"आजू  बाजू  किनारे  खुशियों  के  ,
और  बहता  गम  का  , बीच  में  दरिया  ,
दरिया  को  बहने  दे  ,और  थाम  किनारे  ले  !!"
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"मेरी  बाहों  में  पिघलते  हुए  आना  ,
मैं  तुम्हें  मन  के  खुदा  सा  तामीर  करूंगा  !!"
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"तेरी  बाहों  का  झूला  सिर्फ  एक  है  जग  में  ,
आने  दे  पनाहों  में  जी  भर  के  मुझे  !!"
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"मैंने  सोचा  झूम  गया  अम्बर  ,
रुका  तो  देखा  , धरती  ने  अंगडाई  ली  थी  !!"
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"इंतज़ार  , सिर्फ  मेरा  , सिर्फ  मेरा  , रहा  तुमको  ,
दीवारों  ने  रो  रो  , तेरी  खुश्कत  में  , मेरा  नाम  , उभरा  था  !!"
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"ख़त्म  हुए  सब  रास्ते  , मंजिल  के  बाद  बचा  क्या  ?
जन्म  से  तय  थे  सब  रास्ते  , मौत  के  बाद  बचा  क्या  ?"
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"इक  भी  पैगाम  मेरे  नाम  ना  आया  ,
डाकिया  निकलता  है  , रूठा  हुआ  सा  !!"
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"सारे  जीवन  की  कविताई  उतर  आई  ,
समझा  जिस  दिन  से  निस्सार  जीवन  को  !!"
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"छोड़ेगा  किनारा  जब  दरिया  बन  निकलोगे  ,
ऐसे  तो  तालाब  सा  बंधे  रहो  तुम  !!"
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"ऐसे  चलो  जग  में  , जैसे  अकेले  हो  तुम  ,
इक  सैलाब  सा  साथ  हो  लेगा  तुम्हारे  !!"
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हर  निर्णय  तुम्हारा  है  , और  भोगोगे  तुम  ही  ,
अब  कांटे  उगाओ  या  फूल  चमन  में  !!"
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"तेरे  बोये  कांटे  भी  काट  ही  लूँगा  ,
पर  फूल  उगने  का  , वक्त  निकल  जाएगा  कुछ  !!"
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"वक्त  से  पहले  तुम  खोज  लो  कुष्ठ  ,
अंग  भंग  होने  से  तभी  बच  पाओगे  !!"
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"तब  ही  बोलो  या  तभी  , वक्त  के  मायने  बदलेंगे  क्या  ?
करो  अब  ही  या  अभी   , कर्म  के  मायने  बदलेंगे  क्या  ?"
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"चले  आओ  चमन  तेरा  है  मेरा  भी  ,
यूँ  अजनबी  बन  कब  तक  रहेंगे  दूर  !!"
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वो  बुन  रहे  हैं  मुझे  स्वेटर  की  तरह  ,
कभी  दो  फंदे  छोड़  देते  हैं , कभी  उठा  देते  हैं  ,
आधा  अधूरा  स्वेटर , पूरा  होता  ही  नहीं  ,
कहते  हैं  माँ  ने  बोर्डर  में  घर  ही  गलत  उठाये  हैं  ,
और  बुनती  , भी  टेढ़ी  लगा  रक्खी  है  !!"
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"छू  गया  मन  , अल्हड़पन  बादल  का  ,
पल  में  शक्ल  बदल  गया  घन  ,
पकड़  ना  पाया  इक  टुकड़ा  भी  ,
रहा  देखता  सकल  गगन  !!"
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मेरा  थक  के  चूर  होना  विधाता   को  पसंद  आता  नहीं ,
खाली  देख  ,  उलझनें  फेंकता  मेरे  आगे  सुलझाने  के  लिए !!