"मैं वक्त का गुलाम हूँ , मुझे हर घड़ी नचाये वक्त ,
कभी डुस्कुओं रुलाये वक्त , कभी खिलखिला के हंसाये वक्त !!
.............."मयकदे में हालात अच्छे न अब ,
सूरते हालात अच्छे न अब ,
हर हलक को चाहिए , जाम अनगिनत ,
और गम का नशा , सब बिखरा सा है !!"
........."दिलकश हैं नज़ारे तो मुबारिक तुम्हें ,
अपना तो माज़ी है रूठा हुआ !!"
............बदला ज़माना और बदले हैं वो ,
हर कदम पर मरने की धमकी दें वो ,
उनको मालूम है मैं उनसे डरता नहीं ,
अब हालात की गर्मी में जलाने लगे वो !!"
............"कुछ तो होंगे हालात , बद से भी बदतर ,
यूँ ही शह्नयिओन की धुन , मातमी न हुई होगी !!"
........."मुझको गम दे के चले तो हो , बंदापरवर ,
पर ये गम मुझको परेशां नहीं करते ,
मैं तो हालात को पैमाना बना ,
गम का रोज़ नशा करता हूँ !!"
............"इक सितारा मेरी खुशियों का भी था दुनियां में ,
टूट के कब राख हुआ , देखा ही नहीं !!"
..........."मैं बिखर गया जहां में टुकड़ा , टुकड़ा ,
सहेज , समेट के रखना , कहीं मिल जाए अगर !!"
............मुझको कभी चाँद दिखाना मत ,
चांदनी दिन में ही छल गयी कई बार !!"
..........."किसी अजनबी को भी पीड़ा में देख चिंतित होना , स्वाभाव है मेरा , कोशिश नहीं ,
और इस स्वाभाव ने रुलाया बहुत , दुखाया बहुत , और धोखे भी बहुत खाए मैंने ,
पर संभव नहीं बदलूँगा मैं ,या स्वाभाव मेरा !!"
........."कौन सितारा है जो ,चमकना न चाहे ,
पर जल जाना चाह में , हर किस्मत में कहाँ !!"
.........."बटोही को , दो टुकड़ा , छांह से मतलब ,
जात क्या पूछूं , पेड़ कौन सा ?"
..........."मोहब्बत अगर दिमाग से होती तो दिल रोता ,
अब दिल से है तो भी रोता है दिल , सुभानल्लाह !!
.........."खानाबदोश को ज़मीं से क्या ,
जहाँ चल दिए , वहीँ वतन अपना !!"
.........."चलो जिंदगी की कश्मकश से निजात पा लें दो घड़ी ,
झूठ ही सही , पर खुदा को खुद बना दें दो घड़ी !!"
..........."दिल खोल हंस लिए , अपनी गल्तियों पे आज ,
अगर सदा होते सही तो , पछताते हम आज !!"
..........उनसे हमें थी झूमते आस्मां की उम्मीद ,
पल में गिरा ज़मीं पे हमें चल दिए !!"
...........बर्फानी आशाओं में इक चिंगारी छोड़ी ,
अब खुश हैं वो आग , तबाही से !!
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