Sunday, 22 April 2012


"मैं  वक्त  का  गुलाम  हूँ  , मुझे  हर  घड़ी  नचाये  वक्त  ,
कभी  डुस्कुओं  रुलाये  वक्त  , कभी  खिलखिला  के  हंसाये  वक्त  !!
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"मयकदे  में  हालात  अच्छे  न  अब  ,
सूरते  हालात  अच्छे  न  अब  ,
हर  हलक  को  चाहिए  , जाम  अनगिनत  ,
और  गम  का  नशा  , सब  बिखरा  सा  है  !!"
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"दिलकश  हैं  नज़ारे  तो  मुबारिक  तुम्हें  ,
अपना  तो  माज़ी  है  रूठा  हुआ  !!"
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बदला  ज़माना  और  बदले  हैं  वो  ,
हर  कदम  पर  मरने  की  धमकी  दें  वो  ,
उनको  मालूम  है  मैं  उनसे  डरता  नहीं  ,
अब  हालात  की  गर्मी  में  जलाने  लगे वो !!"
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"कुछ  तो  होंगे  हालात  , बद  से  भी  बदतर  ,
यूँ  ही  शह्नयिओन  की  धुन  , मातमी  न हुई  होगी  !!"
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"मुझको  गम  दे  के  चले  तो  हो  , बंदापरवर  ,
पर  ये  गम  मुझको  परेशां  नहीं  करते  ,
मैं  तो  हालात  को  पैमाना  बना  ,
गम  का  रोज़  नशा  करता  हूँ  !!"
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"इक  सितारा  मेरी  खुशियों  का  भी  था  दुनियां  में  ,
टूट  के  कब  राख  हुआ  , देखा  ही  नहीं  !!"
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"मैं  बिखर  गया  जहां  में  टुकड़ा  , टुकड़ा  ,
सहेज  , समेट  के  रखना  , कहीं  मिल  जाए  अगर  !!"
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मुझको  कभी  चाँद  दिखाना  मत  ,
चांदनी  दिन  में  ही  छल  गयी  कई  बार  !!"
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"किसी  अजनबी  को  भी  पीड़ा  में  देख  चिंतित  होना  , स्वाभाव  है  मेरा  , कोशिश  नहीं  ,
और  इस  स्वाभाव  ने  रुलाया  बहुत  , दुखाया  बहुत  , और  धोखे  भी  बहुत  खाए  मैंने  ,
पर  संभव  नहीं  बदलूँगा  मैं  ,या  स्वाभाव  मेरा  !!"
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"कौन  सितारा  है  जो  ,चमकना  न  चाहे  ,
पर  जल  जाना  चाह  में  , हर  किस्मत  में  कहाँ  !!"
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"बटोही  को  , दो  टुकड़ा  , छांह  से  मतलब  ,
जात  क्या  पूछूं  , पेड़  कौन  सा  ?"
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"मोहब्बत  अगर  दिमाग  से  होती  तो  दिल  रोता  ,
अब  दिल  से  है  तो  भी  रोता  है  दिल  , सुभानल्लाह  !!
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"खानाबदोश  को  ज़मीं  से  क्या  ,
जहाँ  चल  दिए  , वहीँ  वतन  अपना  !!"
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"चलो  जिंदगी  की  कश्मकश  से  निजात  पा  लें  दो  घड़ी  ,
झूठ  ही  सही  , पर  खुदा  को  खुद  बना  दें  दो  घड़ी  !!"
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"दिल  खोल  हंस  लिए  , अपनी  गल्तियों  पे  आज  ,
अगर  सदा  होते  सही  तो  , पछताते  हम  आज  !!"
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उनसे  हमें  थी  झूमते  आस्मां  की  उम्मीद  ,
पल  में  गिरा  ज़मीं  पे  हमें  चल  दिए  !!"
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बर्फानी  आशाओं  में  इक  चिंगारी  छोड़ी  , 
अब  खुश  हैं  वो  आग  , तबाही  से  !!

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