Wednesday, 18 April 2012
"तरोताज़ा हो आना तुम , खामोश सुबह , शबनम की गली ,
"जहाँ जीत लो जुबान में रस है भरा ,
शहद भी है इसमें और ज़हर भी भरा ,
युक्तिसंगत तुम इनका करलो प्रयोग ,
"अजब हालात में रिंद घर आया ,
मयकदा छोड़ सीधा घर चला आया ,
न गम का ख्याल न इज़हारे ख़ुशी ,
न रोना धोना न शेरोशायरी ,
न गिरना पड़ना , न माशूका का जिक्र ,
बस सीधे सीधे घर चला आया ,
"निशानियाँ ख़त्म कर दल , दिल से बहारों की ,
"निकल के आएगा सच , कहाँ कहाँ से खुदा ,
"पत्तों को दर्द दिखा आया हूँ ,
अब ज़रा सी हवा लगते ही ,
"हलके हलके से उतर आता है नशा चाँदनी पे सवार ,
"शतरंज के मोहरों को सिर्फ पिटना है ,
हारेगा खिलाडी तो , जीतेगा भी इक दिन !
घबरा न किस्मत के मोहरों से तू हारा है आज ,
"इक सफ़र तय नहीं ,दूजे की फिक्र होने लगी ,
"तबाही का सब सामान सजा ,
अगरचे दुनियां , दुनियां होती , और इंसान होता , खुदा ,
"खुदा खुश तो मैं खुश ,
पर खुदा मुझसे खुश ,
"मैं हर गुनाह पे खुदा खैर करे कहता हूँ ,
"असर मुझपे दुआओं का क्या होगा ,
"वाजिब है तिलमिलाना , दर्द से गुज़रा है दिल ,
"इक पल को धरा छोड़ दे , अम्बर में मुझे ,
ये खोखली जिंदगी और ये खोखले वादे तेरे ,
कुछ भरी हैं तो मेरी आँखें ,
कैसे कह्दूं तेरा ख्याल आता ही नहीं ,
"इक सितम फिर से मुझपे कर दो ,
"चाँद को अपना चेहरा मत दिखा ,
"फिर मुझे अपनी बाहों में लेले माँ ,
आँखों में बरसात हुयी ,
"रहे घूम के आयीं मंजिल तक , मंजिल थी वहीँ ,
पर मंजिल पर ठहरा कौन ?
अनजान लोगों से पहचान बनाने को ,
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment