Wednesday, 18 April 2012


"तरोताज़ा  हो  आना  तुम  , खामोश  सुबह  , शबनम  की  गली  ,
मैं  निहार  घटाओं  का  आंचल  , आ जाऊंगा  सपनों  में  तेरे  !!"
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"जहाँ  जीत  लो  जुबान  में  रस  है  भरा  ,
शहद  भी  है  इसमें  और  ज़हर  भी  भरा  ,
युक्तिसंगत  तुम  इनका  करलो  प्रयोग  ,
और  क़दमों  में  करलो  तुम  वसुंधरा  !!"
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"अजब  हालात  में  रिंद  घर  आया  ,
मयकदा  छोड़  सीधा  घर  चला  आया  ,
न  गम  का  ख्याल  न  इज़हारे  ख़ुशी  ,
न  रोना  धोना  न  शेरोशायरी  ,
न  गिरना  पड़ना  , न  माशूका  का  जिक्र  ,
बस  सीधे  सीधे  घर  चला  आया  ,
या  तो  दिल  पे  लगी  चोट  ,या  मय  का  है  कसूर  ,
मेरा  यार  यूँ  कभी  पैरों  पे  न  आया  !!"
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"निशानियाँ  ख़त्म  कर  दल  , दिल  से  बहारों  की  ,
फानी  है  जब  जहाँ  तो  , सिर्फ  खुदा  को रख याद  !!"
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"निकल  के  आएगा  सच  , कहाँ  कहाँ  से  खुदा  ,
झूठ  का  बुत  , परदे  में  खुदा  और  जहाँ  झूठा  !!"
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"पत्तों  को  दर्द  दिखा  आया  हूँ  ,
अब  ज़रा  सी  हवा  लगते  ही  ,
नगमों  का  गुमान  होता  है  !!
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"हलके  हलके  से  उतर  आता  है  नशा  चाँदनी  पे  सवार  ,
और  समंदर  बहका  बहका  सा  चाँद  छूने  , उछल  पड़ता  है  !!"
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"शतरंज  के  मोहरों  को  सिर्फ  पिटना  है  ,
हारेगा  खिलाडी  तो , जीतेगा  भी  इक  दिन  !
घबरा  न  किस्मत  के  मोहरों  से  तू  हारा  है  आज  ,
बाजी  पलटेगी  किस्मत  इक  दिन  !!"
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"इक  सफ़र  तय  नहीं  ,दूजे  की  फिक्र  होने  लगी  ,
ठहरता  ही  नहीं  मन  किसी  मंजिल  पे  , खुदा  !!
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"तबाही  का  सब  सामान  सजा  ,
बंदा  खुश  है  के  मैं  हूँ  महफूज़  !!"
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अगरचे  दुनियां  , दुनियां  होती  , और  इंसान  होता  , खुदा  ,
तब  भी  क्या  मोहब्बत  के  यही  मायने  होते  ?"
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"खुदा  खुश  तो  मैं  खुश  ,
पर  खुदा  मुझसे  खुश  ,
होगा  कभी  क्या  ?"
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"मैं  हर  गुनाह  पे  खुदा  खैर  करे  कहता  हूँ  ,
अब  खुदा  की  खुदा  जाने  !!"
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"असर  मुझपे  दुआओं  का  क्या  होगा  ,
मौत  पीछे  लगी  जब  से , पैदा  मैं  हुआ  !!"
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"वाजिब  है  तिलमिलाना  , दर्द  से  गुज़रा  है  दिल  ,
संभल  जाएगा  , हद  हो  जायेगी  जब  !!
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"इक  पल  को  धरा  छोड़  दे , अम्बर  में  मुझे  ,
फिर  मुझे  माँ  की  , उछालती  , बाहों  की  याद  हो  आएगी  !!"
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ये  खोखली  जिंदगी  और  ये  खोखले  वादे  तेरे  ,
कुछ  भरी  हैं  तो  मेरी  आँखें  ,
जो  छलक  आती  हैं  तन्हाई  में  !!"
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कैसे  कह्दूं  तेरा  ख्याल  आता  ही  नहीं  ,
कैसे  अपने  ही  दिल  को  धोखा  दे  दूं  !!"
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"इक  सितम  फिर  से  मुझपे  कर  दो  ,
फिर  दो  घड़ी  अनजान  बनों  मेरे  लिए  !!"
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"चाँद  को  अपना  चेहरा  मत  दिखा  ,
उसको  छुपने  को  बादल  को  बुलाना  होगा  !!"
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"फिर  मुझे  अपनी  बाहों  में  लेले  माँ  ,
आँखों  में  बरसात  हुयी  ,
और  झुला  झूलूँ  बाँहों  का  , मन  में  है  आज  !!"
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"रहे  घूम  के  आयीं  मंजिल  तक  , मंजिल  थी  वहीँ  ,
पर  मंजिल  पर  ठहरा  कौन  ?
लुत्फ़  उठा  , मंजिल  को  पा  , घर  वापिस  लौटा  कारवां  ,
और   राहें  चलती  रहीं  घर  से  मंजिल  और  मंजिल  से  घर  तक  !!"
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अनजान  लोगों  से  पहचान  बनाने  को ,
मैं  मन  हारा  , और  जग  सारा  !!"

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