Friday, 20 April 2012


"चलो  चलके  झील  में  हंसों  से  बतियाएं  ,
चुने  मोती  कितने  , कितना  अलग  किया  पानी  ,
कितना  दूध  मिला  था  , मानसरोवर  में  ,
जो  नदियों  में  बहना  भूल  गया  है  अब  ,
कौन  थी  गुजरिया  , क्या  नाम  उसका  था  ,
जिसने  नदिया  का  दूध  बिलोया  था  ,
और  नदी  का  दूध  बन  गया  पानी  ,
चलो  हंसों  से  पूछें  आज  !!"
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"इस  जहाँ  में  कुछ  अकेले  , जग  से  खेले  ,
अब  अकेले  ही  झुण्ड  का  अहसास  देते  हैं  ,
और  असंभव  दिखने  वाला  कम  ,
सहज  में  करके  जाते  हैं  !!"
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बहुत  बोल  लिए  अब  , कुछ  मौन  हो  जाए  ,
इक  चुप  बस  इक  चुप  , समाधान  हो  जाए  !!"
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"खली  हाथ  चले  आओ  , किसने  कहा  ख़ाली  है  जहाँ  ,
ख़ाली  हाथ  चले  चलो  , भरा  वो  जहाँ  भी  है  !!"
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"बहुत  बार  किया  मैंने  कुछ  ऐसा  , अपनों  को  पराया  कर  आया  ,
जिसको  समझा  था  मैं  दगा  , वो  निकला  वफ़ा  का  साया  !!"
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"सगरे  जगत  में  तू  तारणहार  ,
जगत  भी  तू  और  नाव  भी  तू  ,
सवार  भी  तू  और  पतवार  भी  तू  ,
फिर  क्यों  झंझट  में  मन  है  ,
करता  भी  तू  ,करतार  भी  तू  !!"
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"जड़  से  जुडूं  और  उडूं  आकाश  ,
ऐसे  हैं  एक  सहारे ,
माँ  बाप  हमारे  पेड़  सामान  !!"
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"सिर्फ  मन  है  मेरे  साथ  , जो  दिल  को  मना  लेता  है  ,
बिगाडूँ  उसे  भी  , मेरे  बस  में  कहाँ  ."
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"दिल  से  खेलोगे  और  दाद  मिलेगी  ,
यार  वहम  ये  कितना  अच्छा  है  !!"
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"मैं  नहीं  कहता  मुझे  शायर  मान  ,
दिल  का  मारा  तो  कह  ही  सकते  हो  ,
तू  तारीफ़  में  न  बोल  , कुछ  मीठे  बोल  ,
दारू  सा  कड़वा  कुछ  , हलक  में  तो  घोल  !!"
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"मुझे  संदेशे  कोई  नहीं  आते  , और  मैं  उब  भी  गया  हूँ  मेलों  से  ,
जिन  रिश्तों   में  नहीं  अपनापन  , उनको  खींचने  की  ज़रुरत  भी क्या  है  !!"
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"प्याला  मेरा  भर  दे  कोई  , अंगूरी  अंगूरी  ,
तन्हाई  के  आलम  में  , शाम  बने  सिन्दूरी  सिन्दूरी  ,
अपने  कहाँ  मिलते  हैं  ज़माने  में  अब  ,
इक  जाम  जिगर  में  हो  तंदूरी  तंदूरी  !!
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"आओ  चलो  करलें  तौबा  , न  तुम  बोलो  , न  मैं  बोलूँ  ,
बस  एक  चांदनी  की  चादर  , खामोश , शिकायत  पे  डालें  !!"
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"न  कोई  चाहने  वाला  फिर  भी  , इक  आवाज़  लगाता  हूँ  , आये  कोई  !
अपना  न  कहे  , हसरत  से  चाहे  मुझे  , पर  पास  बुला  , बहला  भर  जाए  कोई  !!"
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"घूँट  दर  घूँट  , पीता  ही  गया  कड़वे  घूँट  ,
अब  न  दिल  ख़ाली  न  जिगर  ख़ाली  !!"
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"सूरज  , पवन  , आकाश  , जल  , पृथ्वी  के  बिना  जीवन  कहाँ  ?
पर  वो अपने  कर्तव्यों  का  रोना  कभी  नहीं  रोते  ,
और  एक  हम  , हर  कदम  एहसान  जताए  जाते  हैं  !!"

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