यूँ ही ऊंचाईयों पे जा बैठे परिंदे , आकाश अपना समझ बैठे हैं ,
रात ढलने पर आसरा मिलता है तो जमीं पे बस !!"
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"हर तरफ उम्मीद बस उम्मीद ,
और नासूर भरते नहीं देश के मेरे !!"
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"इक घरौंदा , रोटी इक , और तन को कपडा न मिले सबको तो ,
आजादी किसका नाम और करनी भी क्या !!"
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"चारों तरफ ही है शोर , चोर चोर , चोर चोर ,
सिपाही इस खेल में अब कोई बचा ही नहीं !!"
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"जो भी बचा है देशप्रेमी इस देश में ,
है परीशां ,कौन है जिसको सुनाएं , दिल का हाल !!"
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"जो भी उठता आवाज , सुधरो और सुधारो ,
उसको बची बस इक जगह , बस , जेल जेल , जेल जेल !!"
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"सब निवासी उदास हैं और बे - आस हैं , राजनीति में भरे सब ....................
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