ढूंढते रहे , जीवन भर संकल्प कोए ,
बिना साधन भूख , हिवड़े में संजोये ,
बीनते रहे कूड़ा कर्कट सड़क से ,
और झिड़कियों का दर्द नयनों को भिगोये ,
नंगे पैरों में न कांटे , न तपती रेत ,
जलन कोई दे गया तो , बस इंसानी भेद !!
बिना साधन भूख , हिवड़े में संजोये ,
बीनते रहे कूड़ा कर्कट सड़क से ,
और झिड़कियों का दर्द नयनों को भिगोये ,
नंगे पैरों में न कांटे , न तपती रेत ,
जलन कोई दे गया तो , बस इंसानी भेद !!
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