जय पलासणियां
Thursday, 15 August 2013
उम्र में शामिल पल पल , कहाँ इक दिन जिया ?
कहाँ मौत आई अभी , डर से काटे जो पल ,
और जो कौतुहल रहा बीच में ? उसको किसने जिया ?
फिर क्यों शकुन अपशकुन ? क्यों ज्योतिषी के दर हम ?
और देखना चाहे खेल का अंत खेल से पहले ही ?
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