फैसले जीवन के कुछ , अब भी नहीं हुए ,
कौन अपना ? पराया कौन ? छंटनी नहीं हुए ,
भ्रमित , तब भी थे , और अब भी हैं ,
स्वार्थ मेरे , परमार्थ से , कितने अलग ? रौशन , नहीं हुए !!
कौन अपना ? पराया कौन ? छंटनी नहीं हुए ,
भ्रमित , तब भी थे , और अब भी हैं ,
स्वार्थ मेरे , परमार्थ से , कितने अलग ? रौशन , नहीं हुए !!
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