Wednesday, 7 August 2013

फैसले   जीवन  के  कुछ  , अब  भी   नहीं  हुए  ,
कौन  अपना  ?  पराया  कौन  ? छंटनी  नहीं  हुए  ,
भ्रमित  ,  तब  भी  थे  ,  और  अब  भी  हैं  ,
स्वार्थ  मेरे  ,  परमार्थ  से  ,  कितने  अलग ? रौशन , नहीं  हुए !!

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