इक पलाश मेरे अन्दर भी जलता है ,
जंगल इक बीहड़ सा मेरे अन्दर भी पलता है ,
मैं भी नर्म गर्म , सा हूँ इंसान ,
तेरे इंसान होने से , इंसान हो जाने का शौक ,
कभी मुझे भी हो आता है !!
जंगल इक बीहड़ सा मेरे अन्दर भी पलता है ,
मैं भी नर्म गर्म , सा हूँ इंसान ,
तेरे इंसान होने से , इंसान हो जाने का शौक ,
कभी मुझे भी हो आता है !!
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