Wednesday, 12 June 2013

इक पलाश  मेरे  अन्दर  भी  जलता  है ,
जंगल  इक  बीहड़  सा मेरे  अन्दर  भी  पलता है ,
मैं  भी  नर्म  गर्म ,  सा  हूँ  इंसान ,
तेरे  इंसान  होने  से ,  इंसान  हो  जाने  का  शौक ,
कभी  मुझे  भी  हो  आता  है  !!

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