उन सुरमयी आँखों में , आज भी मेरे लिए कुछ न था ,
आस की बंधी डोर में , आस सा , आज भी कुछ न था ,
वो पेट को पीठ तक निचोड़े , ताक़ रही थी टुकुर टुकुर ,
उसकी झोली में भरने को , रूखे बोल सिवा , कुछ न था !!
आस की बंधी डोर में , आस सा , आज भी कुछ न था ,
वो पेट को पीठ तक निचोड़े , ताक़ रही थी टुकुर टुकुर ,
उसकी झोली में भरने को , रूखे बोल सिवा , कुछ न था !!
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