Wednesday, 19 June 2013

रहे खामोश फिर  भी  , बहुत  बोला  ज़माना  ,
तेरी  चुप्पी  से  नादान , है बरहम खुद  ज़माना !!

तुमने  याद  किया  तो  यारो , याद  मुझे  भी  हो  आया ,
इस  दिन  राम  ने  कुछ  करने  को , भेजा था  मुझको  भाया ,
उपलब्धि ? याद नहीं , नित  नियम भी  पूरा न हो  पाया ,
पर  हिम्मत  भाईयो  तुम  सब  की ,  हारे  तुम , अब  भी  नहीं ,
हर  वर्ष  जन्म  दिन  अवसर  पर , भूले  को  राम सिमराया !!



Wednesday, 12 June 2013

इक पलाश  मेरे  अन्दर  भी  जलता  है ,
जंगल  इक  बीहड़  सा मेरे  अन्दर  भी  पलता है ,
मैं  भी  नर्म  गर्म ,  सा  हूँ  इंसान ,
तेरे  इंसान  होने  से ,  इंसान  हो  जाने  का  शौक ,
कभी  मुझे  भी  हो  आता  है  !!
सिरहाने , ज़रा  पैताने  से  भी  मिल  लेना  दोस्त ,
है  सच ,  तू  मुंहलग है  मालिक  का , पर   न भूल ,
तू  भी  उसी  बान से  बुना है  , उसी  डंडे  से  धुना  है ,
उन्ही  पावों  पे  है  नींव तेरी  ,  जिसे  मालिक ने  चुना  है !!
ठहरा  तो  है  ,  बहुत  देर  न  ठहरेगा  सैलाब ,
सब्र  का  बाँध , बांधे  है  गर  कोई , न  जांच ,
तेरी  गुस्ताखियाँ  ,  न  तोड़  दें , संबंधों  की  डोर ,
तो  लगा  अपनी  नादानियों  पे  बाँध , न  जांच !!

Tuesday, 11 June 2013

विज्ञान  ने  गुलाब  को  काँटा  रहित  कर  दिया ,
अब  निर्भय  हो  ,  जितने  चाहे  गुलाब  तोड़िए ,
लेकिन  उगाएगा  कोई  मासूम बेटियों  में  कांटे ?
 वो भी  तो  निर्भय  हों , या  जितनी  चाहे तोड़िए ?
अब  तो  किसे  कारवाँ  की  तलाश  ?
सब  नाभिस्थ  हो  रहे  हैं  ज़माने  में ,
मैं  ,  पत्नी  ,  और  ? तलाश  जारी  ,
कोई  शायद  फिर  मिल  जाए ,  ज़माने  में !!
फैसले  जब  भी  करना , पाँव  ज़मीं  पे , सर  बर्फ  रख ,  करना ,
कदम  आगे  निकालो  तो , पीछे  चार  कदम  ,  जगह  रखना  ,
शंका  होती  है  ,  है  सच ,  पर  उम्मीद  , पे  दम  हरदम , रखना ,
और  निर्भय  हो  , असफलता  पर  , सफलता  का  चिन्ह  रखना !!
दिल  की  बात करें  साकी ? देता  मय , पर आधी  क्यों ?
क्यों  छुपे  नयन  हैं  घूंघट  में , मदभरे  नयन  ? शर्माती  क्यों ?
उसकी  आँखों  की  बेबाकी  ,  देखिये ,
संग  जुबां  की  चालाकी  , देखिये ,
नाच  रहा  है  जग  को  बहलाने  को ,
नज़र  हटते  ही , डंक  मारने  की , अदा देखिये !!

Monday, 10 June 2013

प्राणाधार  पवन  , कब  आंधी  हो  जाए , न  मालूम ,
औ ,  ह्रदय  कंपाती  आंधी , कब सृजन कराये , न मालूम ,
और  न  मालूम  प्रलय  कब ,  स्रष्टा  बन  जाए  ,
तो  छोड़  सभी  पूर्वाग्रह , कब  भाग्य पलट  जाए ,  न  मालूम !! 
क़त्ल  के  सिवा , सब  किया  उसने  ,
दूध  निगला , जहर  उगला , फिर उसने ,
जाने  क्यों  बिसर  जाता  है  इंसान ,
जिस  कोख  से  निकला , नरक  कहा उसने !!

उन सुरमयी  आँखों  में  ,  आज  भी  मेरे  लिए  कुछ  न  था ,
आस  की  बंधी  डोर  में ,  आस  सा , आज  भी  कुछ  न  था ,
वो  पेट  को  पीठ  तक  निचोड़े  ,  ताक़  रही  थी  टुकुर  टुकुर ,
उसकी  झोली  में  भरने  को , रूखे  बोल  सिवा , कुछ  न  था  !!


Sunday, 9 June 2013

इक हल्का  सा  सुख  ,
अये  आईने  मुझे  देदे ,
शर्मिंदा  न  कर  यार  को  मेरे ,
जो  कड़वा  है  सच ,  मुझे  देदे !!
शौक  मेरा  भी  था  ,  रौशन  करूँ  ज़मानें  को  ,
मालूम  किसे ? इस शौक  में  ,  जलना  पड़ेगा  !!
भूलेंगे  तेरी  भी  गुस्ताखियाँ , यारा  ,
अब  तो  सफ़र  मंजिल  के  है  क़रीब  !
मैं  तो  भूला  हूँ  , कामयाबियां  भी  मेरी ,
होके  हल्का , सफ़र से ,  जाएगा  गरीब !
मैं  तो  उनको  हैराँ  हूँ  , निभाया जिसने  भी ,
ऐसा  कुछ  ख़ास  नहीं  था  , अपना  नसीब !
अब  चाहे  अनचाहे , सब  रिश्ते , आर  ही  हैं ,
पार  जायेंगे  वोही , जित कारण लटके  सलीब !! 

किसके  पहलू  में  बसेगा  सुख  चैन  ?
ये  खुदा  का  खेल  है  यारा  ,
और  किस  पहलू  में  है  मेरा  सुख  चैन  ?
वो  खुदा  के  संग  है  यारा  !!
भीगे  हैं  आज  भी  ,  तेरी  हाँ  ना  में  ,
अये बादल , बारिश में  न  सही , पसीने  में !!
इक  शरारत , फिर  मुझे  कर  लेने  दो ,
बरसों  पहले  की , गल्ती  सर  लेने  दो ,
जो  तुमको , कहा  था  सबसे  अलग ,
उस  अलग  को  ,  अब  का  अलग कर  लेने   दो !!

उफ़ , ये  ललाट  पे  भृकुटी ,  और  आँखों  की  लालिमा  तेरी ,
जलाता  क्यों  है  अब  दिनकर  , हम  तो  छांह  भी  चाहते  हैं , तो  बस  तेरी !
क्यों  जताता  है  तू  ,  के  तू  पावर  में  है  ,
यहाँ  तो  मेंढक  भी  डराता  है  तो ,  देते  हैं  उसे  भी  उपमा ,  तेरी  !!

Monday, 3 June 2013

मेरी  आँखों  में  धूल  के  कण   ?
शायद  गुस्ताखियाँ  हैं  मेरी  ,
मेरे  हाथों  को  देते  हैं  मौका  ,
इक  और  भूल  सुधार  का  !!