रहे खामोश फिर भी , बहुत बोला ज़माना ,
तेरी चुप्पी से नादान , है बरहम खुद ज़माना !!
तुमने याद किया तो यारो , याद मुझे भी हो आया ,
इस दिन राम ने कुछ करने को , भेजा था मुझको भाया ,
उपलब्धि ? याद नहीं , नित नियम भी पूरा न हो पाया ,
पर हिम्मत भाईयो तुम सब की , हारे तुम , अब भी नहीं ,
हर वर्ष जन्म दिन अवसर पर , भूले को राम सिमराया !!
Wednesday, 12 June 2013
इक पलाश मेरे अन्दर भी जलता है ,
जंगल इक बीहड़ सा मेरे अन्दर भी पलता है ,
मैं भी नर्म गर्म , सा हूँ इंसान ,
तेरे इंसान होने से , इंसान हो जाने का शौक ,
कभी मुझे भी हो आता है !!
सिरहाने , ज़रा पैताने से भी मिल लेना दोस्त ,
है सच , तू मुंहलग है मालिक का , पर न भूल ,
तू भी उसी बान से बुना है , उसी डंडे से धुना है ,
उन्ही पावों पे है नींव तेरी , जिसे मालिक ने चुना है !!
ठहरा तो है , बहुत देर न ठहरेगा सैलाब ,
सब्र का बाँध , बांधे है गर कोई , न जांच ,
तेरी गुस्ताखियाँ , न तोड़ दें , संबंधों की डोर ,
तो लगा अपनी नादानियों पे बाँध , न जांच !!
Tuesday, 11 June 2013
विज्ञान ने गुलाब को काँटा रहित कर दिया ,
अब निर्भय हो , जितने चाहे गुलाब तोड़िए ,
लेकिन उगाएगा कोई मासूम बेटियों में कांटे ?
वो भी तो निर्भय हों , या जितनी चाहे तोड़िए ?
अब तो किसे कारवाँ की तलाश ?
सब नाभिस्थ हो रहे हैं ज़माने में ,
मैं , पत्नी , और ? तलाश जारी ,
कोई शायद फिर मिल जाए , ज़माने में !!
फैसले जब भी करना , पाँव ज़मीं पे , सर बर्फ रख , करना ,
कदम आगे निकालो तो , पीछे चार कदम , जगह रखना ,
शंका होती है , है सच , पर उम्मीद , पे दम हरदम , रखना ,
और निर्भय हो , असफलता पर , सफलता का चिन्ह रखना !!
दिल की बात करें साकी ? देता मय , पर आधी क्यों ? क्यों छुपे नयन हैं घूंघट में , मदभरे नयन ? शर्माती क्यों ?
उसकी आँखों की बेबाकी , देखिये ,
संग जुबां की चालाकी , देखिये ,
नाच रहा है जग को बहलाने को ,
नज़र हटते ही , डंक मारने की , अदा देखिये !!
Monday, 10 June 2013
प्राणाधार पवन , कब आंधी हो जाए , न मालूम ,
औ , ह्रदय कंपाती आंधी , कब सृजन कराये , न मालूम ,
और न मालूम प्रलय कब , स्रष्टा बन जाए ,
तो छोड़ सभी पूर्वाग्रह , कब भाग्य पलट जाए , न मालूम !!
क़त्ल के सिवा , सब किया उसने ,
दूध निगला , जहर उगला , फिर उसने ,
जाने क्यों बिसर जाता है इंसान ,
जिस कोख से निकला , नरक कहा उसने !!
उन सुरमयी आँखों में , आज भी मेरे लिए कुछ न था ,
आस की बंधी डोर में , आस सा , आज भी कुछ न था ,
वो पेट को पीठ तक निचोड़े , ताक़ रही थी टुकुर टुकुर ,
उसकी झोली में भरने को , रूखे बोल सिवा , कुछ न था !!
Sunday, 9 June 2013
इक हल्का सा सुख ,
अये आईने मुझे देदे ,
शर्मिंदा न कर यार को मेरे ,
जो कड़वा है सच , मुझे देदे !!
शौक मेरा भी था , रौशन करूँ ज़मानें को ,
मालूम किसे ? इस शौक में , जलना पड़ेगा !!
भूलेंगे तेरी भी गुस्ताखियाँ , यारा ,
अब तो सफ़र मंजिल के है क़रीब !
मैं तो भूला हूँ , कामयाबियां भी मेरी ,
होके हल्का , सफ़र से , जाएगा गरीब !
मैं तो उनको हैराँ हूँ , निभाया जिसने भी ,
ऐसा कुछ ख़ास नहीं था , अपना नसीब !
अब चाहे अनचाहे , सब रिश्ते , आर ही हैं ,
पार जायेंगे वोही , जित कारण लटके सलीब !!
किसके पहलू में बसेगा सुख चैन ?
ये खुदा का खेल है यारा ,
और किस पहलू में है मेरा सुख चैन ?
वो खुदा के संग है यारा !!
भीगे हैं आज भी , तेरी हाँ ना में ,
अये बादल , बारिश में न सही , पसीने में !!
इक शरारत , फिर मुझे कर लेने दो ,
बरसों पहले की , गल्ती सर लेने दो ,
जो तुमको , कहा था सबसे अलग ,
उस अलग को , अब का अलग कर लेने दो !!
उफ़ , ये ललाट पे भृकुटी , और आँखों की लालिमा तेरी ,
जलाता क्यों है अब दिनकर , हम तो छांह भी चाहते हैं , तो बस तेरी !
क्यों जताता है तू , के तू पावर में है ,
यहाँ तो मेंढक भी डराता है तो , देते हैं उसे भी उपमा , तेरी !!
Monday, 3 June 2013
मेरी आँखों में धूल के कण ?
शायद गुस्ताखियाँ हैं मेरी ,
मेरे हाथों को देते हैं मौका ,
इक और भूल सुधार का !!