Wednesday, 25 April 2012


"चाँद सवेरा ले आएगा , लगता है क्यूँ ,
मेरा मन पुच्छल तारा बन उम्मीद जगाये ,
अवलोकन करते जन में ज्यूँ !!"
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"जलने दे जिया कुछ और अभी ,
भटके पंथी , आस लगाये किरणों की अभी !!"
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"चलने दे अभी , मस्त जहां को छलने दे अभी ,
बेपरवाह सितारों को , चाँद की चाल , चलने दे अभी !!"
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"ग़ज़ल  के  रंग  दिल  में  , और  दिल  में  ग़ज़ल  तू ,
तेरी  तस्वीर  का  रुख  ,मेरी  तरफ  हो  और  तू  हो  तकदीर  मेरी  ,
ऐसा  वक्त  आये  तो  क्या  ? क्या  ग़ज़ल , फिर , होगी  खुदा  !!"
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नक़ल  के  भाव  बढ़े  इतने  , के  असल  सस्ती  लगे  अब  ,
अब  असल  को  असल  कहते  हुए  डर  लगता  है  !!"
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"चला  जा  थोड़ी  देर  को  तू  , रंगे  महफ़िल  से  ऐ  खुदा  ,
महफ़िल  को  भी  तो  एहसास   हो  , खुदा  होता  है  क्या  !!"
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"चुभने  लगे  फिर  प्यार  के  आंसू  ,
इन  अश्कों  को  भी  मालूम  है  ,
कितना  नर्म  दिल  हूँ  मैं  !!"
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"दिल  के  आईने  में  धुंध  सी  है  ,
मेरे  हुजुर  और  मैं  , बदल  बदल  दिखते  हैं  !!"
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"किसके  हिस्से  में  कौन  आया  न  बता  ,
मैं  तेरे  हिस्से  में  हूँ  के  नहीं  , ये  बता  , काफी  है  !!"
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"आराम  से  राम  का  ले  नाम  ,
सनम  तो  वैसे  भी  तुम्हारे  हैं  ,
पर  नाम  में  है  आराम  और  केवल  आराम  !!"
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"मजूरी  करूँ  दिल  से , न  कोई  मजबूरी  ,
जब  मालिक  मेरा  सनम  होवे  ,
गुलामी  भी  शाम  सिन्दूरी  !!"
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"दूध  को  दही  बना  आया  ,
अब  खीर  बनादे  , कहे  यार , खुदाया  !!
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"अंदाज़  मेरे  सब  तुमसे  शुरू  और  तुम  पे  ख़तम  ,
मेरा  नाम  भी  बस  मेरा  नहीं  , जो  तुम  न  पुकारो , तो  !!"
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"हर  जन्म  कोई , जिस्म  मैं  ढोता  हूँ  ,
और  बोझ  उतरने  पे  रोता  हूँ  !!"
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"हमसे  उम्मीद  सितारों  की  रक्खे  है  जो  ,
कैसे  उससे  कहदें  के  खाक  भी  हाथों  में  नहीं  मेरे  !
उनकी  उम्मीद  से  जिंदा  मैं  भी  हूँ  ,
उठते  उसके  साथ  ही  दुआ  में  हाथ  मेरे  !!"
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"सिर्फ  उतनी  दूर  चलो  साथ  मेरे  ,
के  दूरी  भी  तय  हो  और  मन  भी  न  भरे  !!"
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किताबों  से  निकल  बहार  आये  अक्षर  ,थोड़ी  हो  जाए  धूप  ,
बंद  वर्षों  से  हैं  हम  , कोई  हमसे  बतियाता  नहीं  !!"



Sunday, 22 April 2012


"मैं  वक्त  का  गुलाम  हूँ  , मुझे  हर  घड़ी  नचाये  वक्त  ,
कभी  डुस्कुओं  रुलाये  वक्त  , कभी  खिलखिला  के  हंसाये  वक्त  !!
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"मयकदे  में  हालात  अच्छे  न  अब  ,
सूरते  हालात  अच्छे  न  अब  ,
हर  हलक  को  चाहिए  , जाम  अनगिनत  ,
और  गम  का  नशा  , सब  बिखरा  सा  है  !!"
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"दिलकश  हैं  नज़ारे  तो  मुबारिक  तुम्हें  ,
अपना  तो  माज़ी  है  रूठा  हुआ  !!"
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बदला  ज़माना  और  बदले  हैं  वो  ,
हर  कदम  पर  मरने  की  धमकी  दें  वो  ,
उनको  मालूम  है  मैं  उनसे  डरता  नहीं  ,
अब  हालात  की  गर्मी  में  जलाने  लगे वो !!"
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"कुछ  तो  होंगे  हालात  , बद  से  भी  बदतर  ,
यूँ  ही  शह्नयिओन  की  धुन  , मातमी  न हुई  होगी  !!"
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"मुझको  गम  दे  के  चले  तो  हो  , बंदापरवर  ,
पर  ये  गम  मुझको  परेशां  नहीं  करते  ,
मैं  तो  हालात  को  पैमाना  बना  ,
गम  का  रोज़  नशा  करता  हूँ  !!"
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"इक  सितारा  मेरी  खुशियों  का  भी  था  दुनियां  में  ,
टूट  के  कब  राख  हुआ  , देखा  ही  नहीं  !!"
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"मैं  बिखर  गया  जहां  में  टुकड़ा  , टुकड़ा  ,
सहेज  , समेट  के  रखना  , कहीं  मिल  जाए  अगर  !!"
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मुझको  कभी  चाँद  दिखाना  मत  ,
चांदनी  दिन  में  ही  छल  गयी  कई  बार  !!"
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"किसी  अजनबी  को  भी  पीड़ा  में  देख  चिंतित  होना  , स्वाभाव  है  मेरा  , कोशिश  नहीं  ,
और  इस  स्वाभाव  ने  रुलाया  बहुत  , दुखाया  बहुत  , और  धोखे  भी  बहुत  खाए  मैंने  ,
पर  संभव  नहीं  बदलूँगा  मैं  ,या  स्वाभाव  मेरा  !!"
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"कौन  सितारा  है  जो  ,चमकना  न  चाहे  ,
पर  जल  जाना  चाह  में  , हर  किस्मत  में  कहाँ  !!"
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"बटोही  को  , दो  टुकड़ा  , छांह  से  मतलब  ,
जात  क्या  पूछूं  , पेड़  कौन  सा  ?"
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"मोहब्बत  अगर  दिमाग  से  होती  तो  दिल  रोता  ,
अब  दिल  से  है  तो  भी  रोता  है  दिल  , सुभानल्लाह  !!
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"खानाबदोश  को  ज़मीं  से  क्या  ,
जहाँ  चल  दिए  , वहीँ  वतन  अपना  !!"
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"चलो  जिंदगी  की  कश्मकश  से  निजात  पा  लें  दो  घड़ी  ,
झूठ  ही  सही  , पर  खुदा  को  खुद  बना  दें  दो  घड़ी  !!"
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"दिल  खोल  हंस  लिए  , अपनी  गल्तियों  पे  आज  ,
अगर  सदा  होते  सही  तो  , पछताते  हम  आज  !!"
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उनसे  हमें  थी  झूमते  आस्मां  की  उम्मीद  ,
पल  में  गिरा  ज़मीं  पे  हमें  चल  दिए  !!"
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बर्फानी  आशाओं  में  इक  चिंगारी  छोड़ी  , 
अब  खुश  हैं  वो  आग  , तबाही  से  !!

Friday, 20 April 2012


"चलो  चलके  झील  में  हंसों  से  बतियाएं  ,
चुने  मोती  कितने  , कितना  अलग  किया  पानी  ,
कितना  दूध  मिला  था  , मानसरोवर  में  ,
जो  नदियों  में  बहना  भूल  गया  है  अब  ,
कौन  थी  गुजरिया  , क्या  नाम  उसका  था  ,
जिसने  नदिया  का  दूध  बिलोया  था  ,
और  नदी  का  दूध  बन  गया  पानी  ,
चलो  हंसों  से  पूछें  आज  !!"
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"इस  जहाँ  में  कुछ  अकेले  , जग  से  खेले  ,
अब  अकेले  ही  झुण्ड  का  अहसास  देते  हैं  ,
और  असंभव  दिखने  वाला  कम  ,
सहज  में  करके  जाते  हैं  !!"
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बहुत  बोल  लिए  अब  , कुछ  मौन  हो  जाए  ,
इक  चुप  बस  इक  चुप  , समाधान  हो  जाए  !!"
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"खली  हाथ  चले  आओ  , किसने  कहा  ख़ाली  है  जहाँ  ,
ख़ाली  हाथ  चले  चलो  , भरा  वो  जहाँ  भी  है  !!"
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"बहुत  बार  किया  मैंने  कुछ  ऐसा  , अपनों  को  पराया  कर  आया  ,
जिसको  समझा  था  मैं  दगा  , वो  निकला  वफ़ा  का  साया  !!"
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"सगरे  जगत  में  तू  तारणहार  ,
जगत  भी  तू  और  नाव  भी  तू  ,
सवार  भी  तू  और  पतवार  भी  तू  ,
फिर  क्यों  झंझट  में  मन  है  ,
करता  भी  तू  ,करतार  भी  तू  !!"
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"जड़  से  जुडूं  और  उडूं  आकाश  ,
ऐसे  हैं  एक  सहारे ,
माँ  बाप  हमारे  पेड़  सामान  !!"
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"सिर्फ  मन  है  मेरे  साथ  , जो  दिल  को  मना  लेता  है  ,
बिगाडूँ  उसे  भी  , मेरे  बस  में  कहाँ  ."
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"दिल  से  खेलोगे  और  दाद  मिलेगी  ,
यार  वहम  ये  कितना  अच्छा  है  !!"
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"मैं  नहीं  कहता  मुझे  शायर  मान  ,
दिल  का  मारा  तो  कह  ही  सकते  हो  ,
तू  तारीफ़  में  न  बोल  , कुछ  मीठे  बोल  ,
दारू  सा  कड़वा  कुछ  , हलक  में  तो  घोल  !!"
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"मुझे  संदेशे  कोई  नहीं  आते  , और  मैं  उब  भी  गया  हूँ  मेलों  से  ,
जिन  रिश्तों   में  नहीं  अपनापन  , उनको  खींचने  की  ज़रुरत  भी क्या  है  !!"
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"प्याला  मेरा  भर  दे  कोई  , अंगूरी  अंगूरी  ,
तन्हाई  के  आलम  में  , शाम  बने  सिन्दूरी  सिन्दूरी  ,
अपने  कहाँ  मिलते  हैं  ज़माने  में  अब  ,
इक  जाम  जिगर  में  हो  तंदूरी  तंदूरी  !!
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"आओ  चलो  करलें  तौबा  , न  तुम  बोलो  , न  मैं  बोलूँ  ,
बस  एक  चांदनी  की  चादर  , खामोश , शिकायत  पे  डालें  !!"
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"न  कोई  चाहने  वाला  फिर  भी  , इक  आवाज़  लगाता  हूँ  , आये  कोई  !
अपना  न  कहे  , हसरत  से  चाहे  मुझे  , पर  पास  बुला  , बहला  भर  जाए  कोई  !!"
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"घूँट  दर  घूँट  , पीता  ही  गया  कड़वे  घूँट  ,
अब  न  दिल  ख़ाली  न  जिगर  ख़ाली  !!"
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"सूरज  , पवन  , आकाश  , जल  , पृथ्वी  के  बिना  जीवन  कहाँ  ?
पर  वो अपने  कर्तव्यों  का  रोना  कभी  नहीं  रोते  ,
और  एक  हम  , हर  कदम  एहसान  जताए  जाते  हैं  !!"


यूँ  ही  ऊंचाईयों  पे  जा  बैठे  परिंदे  , आकाश  अपना  समझ  बैठे  हैं  ,
रात  ढलने  पर  आसरा  मिलता  है  तो  जमीं  पे  बस  !!"
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"हर  तरफ  उम्मीद  बस  उम्मीद  ,
और  नासूर  भरते  नहीं  देश  के  मेरे  !!"
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"इक  घरौंदा   , रोटी  इक  , और  तन  को  कपडा  न  मिले  सबको  तो  ,
आजादी  किसका  नाम  और  करनी  भी  क्या  !!"
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"चारों  तरफ  ही  है  शोर  , चोर  चोर  , चोर  चोर  ,
सिपाही  इस  खेल  में  अब  कोई  बचा  ही  नहीं  !!"
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"जो  भी  बचा  है  देशप्रेमी  इस  देश  में  ,
है  परीशां  ,कौन  है  जिसको  सुनाएं  , दिल  का  हाल  !!"
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"जो  भी  उठता  आवाज  , सुधरो  और  सुधारो  ,
उसको  बची  बस इक  जगह , बस , जेल  जेल  , जेल  जेल  !!"
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"सब  निवासी  उदास  हैं  और  बे - आस  हैं  , राजनीति  में  भरे  सब  ....................

Wednesday, 18 April 2012

प्रथम  अभिव्यक्ति  हो  मेरी  तुम ,
अब  तुम  ही  रहो  मौन , तो  क्या  किस्मत ?
प्रथम  संध्या  हो  मेरी  तुम ,
अब  तुम  ही  रहो  गौण , तो  क्या  किस्मत ?
प्रथम  दिवस  हो  तुम  मेरा  ,
अब  तुम  ही  न  जागो , तो  क्या  किस्मत ?
प्रथम  रात्रि  हो  मेरी  तुम ,
अब  तुम  ही  बनो  स्वप्न , तो क्या  किस्मत ?

"तरोताज़ा  हो  आना  तुम  , खामोश  सुबह  , शबनम  की  गली  ,
मैं  निहार  घटाओं  का  आंचल  , आ जाऊंगा  सपनों  में  तेरे  !!"
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"जहाँ  जीत  लो  जुबान  में  रस  है  भरा  ,
शहद  भी  है  इसमें  और  ज़हर  भी  भरा  ,
युक्तिसंगत  तुम  इनका  करलो  प्रयोग  ,
और  क़दमों  में  करलो  तुम  वसुंधरा  !!"
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"अजब  हालात  में  रिंद  घर  आया  ,
मयकदा  छोड़  सीधा  घर  चला  आया  ,
न  गम  का  ख्याल  न  इज़हारे  ख़ुशी  ,
न  रोना  धोना  न  शेरोशायरी  ,
न  गिरना  पड़ना  , न  माशूका  का  जिक्र  ,
बस  सीधे  सीधे  घर  चला  आया  ,
या  तो  दिल  पे  लगी  चोट  ,या  मय  का  है  कसूर  ,
मेरा  यार  यूँ  कभी  पैरों  पे  न  आया  !!"
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"निशानियाँ  ख़त्म  कर  दल  , दिल  से  बहारों  की  ,
फानी  है  जब  जहाँ  तो  , सिर्फ  खुदा  को रख याद  !!"
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"निकल  के  आएगा  सच  , कहाँ  कहाँ  से  खुदा  ,
झूठ  का  बुत  , परदे  में  खुदा  और  जहाँ  झूठा  !!"
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"पत्तों  को  दर्द  दिखा  आया  हूँ  ,
अब  ज़रा  सी  हवा  लगते  ही  ,
नगमों  का  गुमान  होता  है  !!
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"हलके  हलके  से  उतर  आता  है  नशा  चाँदनी  पे  सवार  ,
और  समंदर  बहका  बहका  सा  चाँद  छूने  , उछल  पड़ता  है  !!"
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"शतरंज  के  मोहरों  को  सिर्फ  पिटना  है  ,
हारेगा  खिलाडी  तो , जीतेगा  भी  इक  दिन  !
घबरा  न  किस्मत  के  मोहरों  से  तू  हारा  है  आज  ,
बाजी  पलटेगी  किस्मत  इक  दिन  !!"
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"इक  सफ़र  तय  नहीं  ,दूजे  की  फिक्र  होने  लगी  ,
ठहरता  ही  नहीं  मन  किसी  मंजिल  पे  , खुदा  !!
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"तबाही  का  सब  सामान  सजा  ,
बंदा  खुश  है  के  मैं  हूँ  महफूज़  !!"
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अगरचे  दुनियां  , दुनियां  होती  , और  इंसान  होता  , खुदा  ,
तब  भी  क्या  मोहब्बत  के  यही  मायने  होते  ?"
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"खुदा  खुश  तो  मैं  खुश  ,
पर  खुदा  मुझसे  खुश  ,
होगा  कभी  क्या  ?"
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"मैं  हर  गुनाह  पे  खुदा  खैर  करे  कहता  हूँ  ,
अब  खुदा  की  खुदा  जाने  !!"
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"असर  मुझपे  दुआओं  का  क्या  होगा  ,
मौत  पीछे  लगी  जब  से , पैदा  मैं  हुआ  !!"
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"वाजिब  है  तिलमिलाना  , दर्द  से  गुज़रा  है  दिल  ,
संभल  जाएगा  , हद  हो  जायेगी  जब  !!
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"इक  पल  को  धरा  छोड़  दे , अम्बर  में  मुझे  ,
फिर  मुझे  माँ  की  , उछालती  , बाहों  की  याद  हो  आएगी  !!"
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ये  खोखली  जिंदगी  और  ये  खोखले  वादे  तेरे  ,
कुछ  भरी  हैं  तो  मेरी  आँखें  ,
जो  छलक  आती  हैं  तन्हाई  में  !!"
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कैसे  कह्दूं  तेरा  ख्याल  आता  ही  नहीं  ,
कैसे  अपने  ही  दिल  को  धोखा  दे  दूं  !!"
...............
"इक  सितम  फिर  से  मुझपे  कर  दो  ,
फिर  दो  घड़ी  अनजान  बनों  मेरे  लिए  !!"
............
"चाँद  को  अपना  चेहरा  मत  दिखा  ,
उसको  छुपने  को  बादल  को  बुलाना  होगा  !!"
..........
"फिर  मुझे  अपनी  बाहों  में  लेले  माँ  ,
आँखों  में  बरसात  हुयी  ,
और  झुला  झूलूँ  बाँहों  का  , मन  में  है  आज  !!"
.........
"रहे  घूम  के  आयीं  मंजिल  तक  , मंजिल  थी  वहीँ  ,
पर  मंजिल  पर  ठहरा  कौन  ?
लुत्फ़  उठा  , मंजिल  को  पा  , घर  वापिस  लौटा  कारवां  ,
और   राहें  चलती  रहीं  घर  से  मंजिल  और  मंजिल  से  घर  तक  !!"
..........
अनजान  लोगों  से  पहचान  बनाने  को ,
मैं  मन  हारा  , और  जग  सारा  !!"

Tuesday, 17 April 2012


"बातें  उनकी  , जग  को  समझ  नहीं  आतीं   , और  पागल  भी  , उनको  ही  कहते  लोग  !!"

...........
"सितारों  से  दामन  भरने  का  दम  भरते  हैं  वो  ,
पर  चिंगारियों  से  डरते  हैं  वो  ,
अजब  सपने  दिखा  रहे  हैं  गुलिस्ताँ  में  बहार  के  ,
और  उजड़े  चमन  के  उल्लू  के  रिशतेदारां  हैं  वो  !!"
..........
"सिर्फ  दूर  रहो  तुम  इतना  के  पराया  न  लगे  ,
और  क़रीब  आओ  तो  इतना  ,की  अपना  कहूं  और  बुरा  न  लगे  !!"
..........
"समंदर  पी  लिया  करते  हैं  कई  बार  , सूखे  पत्ते  भी  , और  कभी इक  बूँद  भी  न  समा  पाती  हलक  में  फलक  के  !!"
...........
"सिर्फ  इतना  समझ  आता  है  के  मैं  हूँ  , था  ? या  हूँगा  ? खुदा  जाने  !!"
................
"अपनी  डगर  का  पता  नहीं  , नदिया  को  रास्ता  बता  रहा  हूँ  मैं  ,
खुद  खड़ा  गुमनाम  और  ,राह  चलतों  को  उपनाम  दे  रहा  हूँ  मैं  !!

"कसम उनको भी दो यार , जो सनम को बहका आये कि वो धोखे में हैं ,
मेरी ही जुबान क्यों बंद रहे , मौकाए इज़हार में !!"
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बस्तियां हसीं और बाशिंदे नौबहार ,
फिर गुलिस्ताँ में खिजाँ की नौबत क्यों है आज ?"
........
क्यों अहसास हुआ मैं चूका , क्यों जाना अब समय नहीं ,
क्यों आँखों में आंसू आये , इक उम्र गुज़र जाने के बाद !!
...............
"हरी सिमरन को बचा है क्या अब , पश्चाताप की अगन के बाद ,
अब तुम सोना , सोने सा दिल , हरी विराजे तुम में आज !!"
............
"रौनकें सदा बादशाहत में हैं , कभी जय जय करो अपनी भी तुम ,
कभी बाँट दो अपने हिस्से के सुख , और हासिल करो मन की शांति तुम !!"
.......
"तेरी शामों में मेरी इक शाम और मेरे छालों का दिल से मिट जाना ,
जैसे लू की जलन से चेहरे को , शबनम का मरहम मिल जाना !!"
...........
"फिर से गुज़र गया तूफ़ान , और हिंडोले डोलते रहे ,
घर में दुबके चेहरे , इक झूले को तरसते रहे !

Monday, 16 April 2012


"मैं  देखता  हूँ  दरख्तों  के  साए  , कभी  लम्बे  होते  कभी  छोटे  होते  ,
मैं  देखता  हूँ  , बादल  के  टुकड़े  , कभी  घनघनाते  , कभी  छितराते  ,
मैं  देखता  हूँ  ,मौसम  के  तेवर  , कभी  ठन्डे  ठन्डे  ,कभी  जलते  शोले  ,
यहाँ  पर  खड़ा  कुछ  भी  नहीं  , फिर  मैं  क्यों  चाहता  हूँ  , जीवन  को  रोके  रखना  ,
चल  रे  चल  , यहाँ  कुछ  भी  न  अचल  !!"
.........
"गाँव  अब  खेत  हुए  शहरों  के  लिए  ,
खेतों  में  बोते  हैं  अब , दुःख  दर्द  नए  !
गाँव  की  बोली  अब  , बूढों  के  लिए  ,
बच्चे  अब  गाँव  के  अँगरेज़  हुए  !"
............
"उपवन  में  वन  की  झलक  मिलने  लगी  अब  ,
माली  अब  उदासीन  हुआ  , सड़कों  के  किनारे  बोता  है  फूल  !!"
..........

मुझ  में  कुछ  , रहा  न  बाकी  , सब  गया  ,
इक  खुदा  , इक  उसकी  याद  , और  बुत  इक  ,बन  गया  !!"

...........
"जो  न  थे  मेरे  उसूल  , अब  बन  गये  ,
इन  ठोकरों  ने  , जग  में  रहना  सिखा  दिया  !!"
...........


"दवा  की  शीशी  में  सोना  बिकता  है  अब  ,
गरीब  की  पहुँच  से  बाहर  हैं  अब  !!"
.............
अजी  क्या  सुनाएं  दिल्ली  की  बातें  , दिल्ली  में  दिल  रह  गया  ,
हुक्मरान  कोई  पागल  न  थे  , दिल्ली  को  दिल  , दर्ज़ा  दिया  !!"
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जुबान  से  दिल  गया  ,और  दिल  से  जुबान  ,
इस  प्यार  ने  सब  कर  दिया  है  अस्त  व्यस्त  !
जिस्म  में  है  रूह  , या  रूह  है  जिस्म  बिना  ,
इस  प्यार  ने  जग  को  बनाया  मस्त  मस्त  !!"
.............
झरोखों  से  रौशनी  आने  तो  दी  ,
पर  दिल  जला  , तब  रूह  ,रौशन  हुई  !!"
........
"दिल  उनका  रूह  पे  कब्जाई  हुआ  ,
क्या  करें  जब  दिमाग  तमाशाई  हुआ  !!"
..............
"ये  तब्दीलियाँ  , बचपन  से  बुढ़ापे  तक  की  हैं  ,
यूँ  ही  नहीं  जय  इक  दिन  में  , सयाना  हो  गया  !!"
...........
"ये  सयानापन  मेरा  बचपन  में  भी  था  ,
पर  तब  , बचपना  , इसे  कहते  थे  लोग  !!"
...............
सयानापन  , जवानी  , दो  धुरे  हैं  दूर  दूर  ,
जो  सयाना  , जवान  कैसे  ? जो  जवान  तो  अक्ल  का  क्या  काम  ?"
................
"दिल  खोल  के  हँसता  है  मलंग  ,
रोने  से  दिन  बदले  हैं  क्या  ?"
.................
"जुल्मी  हैं  पिया  , देखा  भी  , और  अनदेखा  भी  किया  !
बोझिल  है  जिया  , धड़के  भी  और  धधके  भी  हिया  !!"
.............
"चलो  फुर्सत  के  वक्त  ,कुछ  तारे  गिनलें  ,
ज़माना  गुजरा  है  , अम्बर  पे  नज़र  डाले  हुए  !!"
............
"मलिन  मुख  से  , दरिद्रता  न  हटेगी  ,
कुछ  हस  बोल  , रिझा  अपने  सनम  को  ,
वर्ना  रोते  रहोगे  , सजन  सौतन  का  हुआ  ,
यूँ  ही  नहीं  , अशर्फी  बायीं  का  चले  सिक्का  जहां  में  !!"
..............
"लफ़्ज़ों  को  तरतीब  में  रख  , और  दिल  से  बोल  ,
वाह  बोलेगा  ख़ुदा  , और  ज़माना  ग़ज़ल  सुन  लेगा  !!"
............
"अभी  बस  सुन  ले  तू  , ख़ामियां  बहुत  हैं  मेरी  तक़रीर  में  ,
नुक्ताचीनी  भी  सुन  लूँगा  तेरी  ,पर  वक्त  के  पहले  ही  तू  , मौत  तो  न  दे  !!"
............
"सूरज  को  जलता  देख  ,
रौशनी  देता  है  , खाक  होने  के  लिए  !!"
..............
"मेरी  रूह  पे  पर्दा  है  जिस्म  ,
और  इसको  जलना  भी  है  , मौत  के  बाद  ,
तो  क्यों  न  ,जिन्दा जी  इससे  अलग  हो  लूं  मैं  ,
असल  क्या  है  उसका  भी  तो  नज़ारा  कर  लें  !!"
............
"खुदा  के  गुनाहगारों  में  मैं  भी  हूँ  ,
यूँ  ही  तो  ख़ुदा  मौत  न  देता  होगा  !!
...........
"खुदा  के  पास  है  क्या  मेरी  फितरत  के  बाद  ,
मैं  भी  तो  उसकी  फितरत  का  ही  नज़ारा  हूँ  !
जो  मैं  हूँ  ख़ुदा  की  फितरत  से  ,
तो  वो  भी  ख़ुदा  , मेरी  फितरत  से  जनाब  !!"
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"मैंने  जिक्र  कमाया  है  , होता  है  अब  , सब  जगह  ,
पर  फिक्र  क्यों  है  अब  , जिक्र  अच्छा  ही  हो  !!"
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"हैराँ  कर  के  मुझे  चल  दिए  तुम  कौन  जहाँ  ,
मैं  समझा  मज़ाक  हो  रहा  है  अभी  , तुम  हो  वफादार  अभी  !!"
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"खुदा  भी  खुद  से  खेलता  है  कभी  ,
कभी  फैलता  है  , कभी  सिमट  आता  है  मुट्ठी  में  मेरी  !!"
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"बस  इस  बहाने  से  सताले  मुझे  ,
मैं  तेरा  कुछ  भी  नहीं  !!"
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"बस  मेरी  नज़र  भर  दुनियां  है  ,
उस  से  ओझल  कुछ  भी  नहीं  !