हैराँ हूँ कि , माँ का का भी दिन , हो गया तय ,
कहाँ समझता था , ममतामय है जगत , मैं जय !
रही होगी कोई मजबूरी , कि याद करलें हम ,
वर्ना माँ तो सब में बसी , जैसे ह्रदय में लय !!
कहाँ समझता था , ममतामय है जगत , मैं जय !
रही होगी कोई मजबूरी , कि याद करलें हम ,
वर्ना माँ तो सब में बसी , जैसे ह्रदय में लय !!
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