जो भी गुज़रा , वाहियात गुजरा , यार , फिर भी देखो नज़ारा ,
फुर्सत से घूमते हुए , पत्तों को झाड़ता चला जा रहा हूँ मैं ,
अपनी गलतियों के लिए , वक्त को लाताड़ता जा रहा हूँ मैं !!
फुर्सत से घूमते हुए , पत्तों को झाड़ता चला जा रहा हूँ मैं ,
अपनी गलतियों के लिए , वक्त को लाताड़ता जा रहा हूँ मैं !!
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