परिंदे चले आये अचानक , देश तेरे , इक अनजान ,
छूटन लागा , जब देश वही , जाने लगी तब जान ,
जाने लगी तब जान , और मोह तब न्यारा हो गया ,
जो लगता था विदेश , अब देश वही प्यारा हो गया ,
कह संतन को ध्याय , जय तो मूरख हो गया ,
जो ज्ञानी था राम का , राम से सून हो गया !!
छूटन लागा , जब देश वही , जाने लगी तब जान ,
जाने लगी तब जान , और मोह तब न्यारा हो गया ,
जो लगता था विदेश , अब देश वही प्यारा हो गया ,
कह संतन को ध्याय , जय तो मूरख हो गया ,
जो ज्ञानी था राम का , राम से सून हो गया !!
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