जय पलासणियां
Friday, 15 February 2013
गर्दन झुकी झुकी , गति मंथर मंथर , सोच में डूबा लगता है ,
ये देश मेरा , अनजान मोड़ पर , अपनों से सताया लगता है !!
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment