दो कदम चल , पूछता राही नया , है कोई मुझसा ? पहले भी क्या ?
गुनगुना लेता अगर दो चार स्वर , पूछता , पहले भी गाती थी हवा ?
कूची भी थी पहले क्या किसी हाथ में ? बहार भी थी इतनी क्या रंगज़दा ?
छुआ मुझसे पहले ख्वाब ? क्या किसी रात ने , भीगी थी पहले भी बरसात क्या ?
समेटा शबनम को था क्या , पहले भी क्या फूल ने ? पहले भी सूरज गर्म था क्या ?
अरे मैं ही हूँ , मैं ही हूँ पहला कदम , मुझसे पहले रास्ता , इतना कम था क्या ?
गुनगुना लेता अगर दो चार स्वर , पूछता , पहले भी गाती थी हवा ?
कूची भी थी पहले क्या किसी हाथ में ? बहार भी थी इतनी क्या रंगज़दा ?
छुआ मुझसे पहले ख्वाब ? क्या किसी रात ने , भीगी थी पहले भी बरसात क्या ?
समेटा शबनम को था क्या , पहले भी क्या फूल ने ? पहले भी सूरज गर्म था क्या ?
अरे मैं ही हूँ , मैं ही हूँ पहला कदम , मुझसे पहले रास्ता , इतना कम था क्या ?
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