लकीरें , खींचता है पागल , रेत के माथे ,
और बेखबर मौला , किस्मत बना रहा है ,
और बेखबर शायर , गुम अपने ख्याल में ,
हाथों में आई किस्मत , बना रेत बहा रहा है !!
और बेखबर मौला , किस्मत बना रहा है ,
और बेखबर शायर , गुम अपने ख्याल में ,
हाथों में आई किस्मत , बना रेत बहा रहा है !!
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