Friday, 19 July 2013

प्यास ?
शायद  समझ  आये  , जब  मीलों  हो , सहारा ,
और ,  सहारा ? न  हो ,  कोई ,
दिखे  बंद  आँख  , पानी ,  और  , खुली  आँख ,  मरीचि ,
और  ,  मिर्च  कटे  दांतों ,
तब   आग ,  दे  जाए  कोई   !!


लकीरें  , खींचता  है  पागल  , रेत  के  माथे ,
और  बेखबर  मौला , किस्मत  बना  रहा  है ,
और  बेखबर  शायर  , गुम  अपने ख्याल  में ,
हाथों  में  आई  किस्मत ,  बना  रेत बहा  रहा  है !!
महफिलों  में  तेरी , मेरा  शुमार  कहाँ  ? बंदिश  हो  बंदगी  पर , ऐसा भी कहाँ ?
हर  रोज़  मंदिर  मस्जिद  , रास्ते  में  आते  , मगर ख्याल  आये  तेरा , ऐसा , है कहाँ ?

Tuesday, 9 July 2013

जीवन  में  सरकता  जाता  हूँ  फिसलन  से  भरी  राहों  में ,
चढ़ता  हूँ , खुदा  होता  हूँ , गिरता हूँ तो सीधा , खुदा  की  बाहों  में  !!