थका कहाँ था मैं ?
थक गये पाँव थे ,
जम गयी थी शिराएँ ,
दृष्टि बढ़ चली थी , अंधत्व की तरफ ,
कर्ण सुनते नहीं थे शब्द कोई ,
अन्न बिना पचे पड़ा था पेट में मेरे ,
पर मैं चला जा रहा था ,
निःशब्द , निडर ,
मृत्यु पथ पर ,
नए जन्म की ओर ,
हर हार के बाद !!
थक गये पाँव थे ,
जम गयी थी शिराएँ ,
दृष्टि बढ़ चली थी , अंधत्व की तरफ ,
कर्ण सुनते नहीं थे शब्द कोई ,
अन्न बिना पचे पड़ा था पेट में मेरे ,
पर मैं चला जा रहा था ,
निःशब्द , निडर ,
मृत्यु पथ पर ,
नए जन्म की ओर ,
हर हार के बाद !!